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खतौली में गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर सिख समाज की भव्य प्रभात फेरी — Muzaffarnagar शहर में छाया भक्ति और एकता का अद्भुत नज़ारा!

Muzaffarnagar  गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के पावन अवसर पर गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा, जानसठ रोड खतौली के सानिध्य में निकाली जा रही प्रभात फेरी ने पूरे नगर को भक्ति, प्रेम और एकता के रंग में रंग दिया।
रविवार सुबह सिख समाज की इस पांचवें दिन की प्रभात फेरी में नगरवासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। जहां भी यह प्रभात फेरी पहुंची, वहां “वाहेगुरु” के जयकारों और कीर्तन धुनों से पूरा वातावरण गूंज उठा।


गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा से हुई शुरुआत

प्रभात फेरी की शुरुआत गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा, जानसठ रोड से की गई।
संगत ने गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र शब्दों का पाठ करते हुए नगर भ्रमण आरंभ किया।
मार्ग में फेरी जानसठ रोड, जी.टी. रोड, मोहल्ला मिट्ठू लाल से होकर बिद्धी बाड़ा स्थित गुरुद्वारा माई राम मूर्ति तक पहुंची, जहां ज्ञानी सोहन सिंह द्वारा शब्द कीर्तन किया गया।


प्रसाद वितरण से महका वातावरण, सेवा भावना की मिसाल

गुरुद्वारा माई राम मूर्ति पहुंचने पर राजकुमार ग्रोवर परिवार द्वारा संगत के लिए चाय-नाश्ते का प्रसाद वितरण किया गया।
सभी श्रद्धालुओं ने सच्चे सेवाभाव से इस प्रसाद का सेवन किया।
इसके बाद प्रभात फेरी नगर भ्रमण करते हुए मोहल्ला मिट्ठू लाल में प्रसिद्ध समाजसेवी सरदार वीरेन्द्र सिंह मान (बिल्लू भाई) के आवास पर पहुंची, जहां पुष्प वर्षा कर प्रभात फेरी का स्वागत किया गया।

यहां शब्द कीर्तन के बाद पुनः संगत को चाय-नाश्ते का प्रसाद वितरित किया गया।
यह दृश्य भक्ति और एकता की अद्भुत मिसाल बन गया — सिख, हिंदू, और अन्य समुदायों के लोग एक साथ श्रद्धा से शामिल हुए।


विश्व हिंदू परिषद ने किया स्वागत, एकता की मिसाल

इसके बाद प्रभात फेरी जी.टी. रोड हिटलर मंदिर पर पहुंची, जहां विश्व हिंदू परिषद खतौली इकाई ने पुष्प वर्षा कर प्रभात फेरी का स्वागत किया।
यह दृश्य सांप्रदायिक सौहार्द और धर्मों के बीच आपसी सम्मान का प्रतीक बन गया।

विहिप के पदाधिकारियों ने कहा कि यह आयोजन समाज में प्यार, भाईचारे और एकता का संदेश देता है।
संगत ने कीर्तन और अरदास के माध्यम से देश और समाज की शांति के लिए प्रार्थना की।


दयाल पुरम में श्रद्धालुओं का स्वागत, ज्ञानी जनक सिंह ने किया कीर्तन पाठ

फेरी आगे बढ़ते हुए दयाल पुरम में सरदार इकबाल सिंह (बबल) के आवास पर पहुंची,
जहां ज्ञानी जनक सिंह ने भावपूर्ण शब्द कीर्तन प्रस्तुत किया।
इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए चाय-नाश्ते का प्रसाद वितरण किया गया।

आसपास के मोहल्लों के लोग भी इस फेरी में शामिल हुए।
हर घर से गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई गईं, और वाहेगुरु के जयकारों से सारा क्षेत्र भक्तिमय हो उठा।


संगत का उत्साह और सामूहिक भक्ति का भाव

प्रभात फेरी ने जी.टी. रोड और जानसठ ओवर ब्रिज होते हुए पुनः गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा, तहसील रोड खतौली पहुंचकर समापन किया। यहां बिजेंद्र बागड़ी और देवेंद्र बागड़ी परिवार ने संगत का गर्मजोशी से स्वागत किया।
गुरुद्वारे में अरदास के बाद फेरी को संपूर्ण विश्राम दिया गया।

गुरुद्वारे में भजन-कीर्तन, शब्द पाठ और लंगर सेवा का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं और युवाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई।


समाज के प्रमुख व्यक्तित्वों की उपस्थिति

इस प्रभात फेरी में सिख समाज के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित रहे, जिनमें शामिल रहे —
ज्ञानी जनक सिंह, ज्ञानी सोहन सिंह, सरदार सतपाल सिंह पाली, सरदार वीरेन्द्र सिंह मान, भाजपा नेता मदन छाबड़ा, सरदार जसवीर सिंह, सरदार सरबजीत सिंह, सरदार राजेंद्र सिंह, सरदार गुरमीत सिंह, सरदार मंजीत सिंह, हरबंस लाल सलूजा, आशीष रावल, सरदार मन्नू सिंह, सरदार सतनाम सिंह (कंप्यूटर वाले), सरदार जसवीर सिंह छाबड़ा (खजांची), विनोद कुमार, सचिन तनेजा, मनीष कुमार, सरदार गुरचरण सिंह, गौरव सलूजा, सरदार अवतार सिंह, सरदार गौरी शंकर गौरी, कौशल भाटिया, सरदार ईश्वर सिंह, विद्या भूषण साहनी, सरदार गुरविंदर सिंह चुन्नीलाल, अश्वनी तनेजा, नितिन ग्रोवर, सरदार टीनू सिंह, मनीष नारंग, रौनक सिंह, सुमित रहेजा आदि।

इसके अलावा अनेक महिला-पुरुष साध-संगत ने भी बड़ी संख्या में भाग लेकर आयोजन को भव्य बनाया।


नगर में भक्ति, सौहार्द और प्रेम का संदेश

खतौली की इस प्रभात फेरी ने यह साबित कर दिया कि जब समाज प्रेम और भक्ति में एकजुट होता है, तो पूरा नगर शांति और आनंद का केंद्र बन जाता है।
लोगों ने कहा कि गुरु नानक देव जी के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं — सेवा, सत्य, और एकता का मार्ग ही मानवता का सच्चा धर्म है।

नगर में चारों ओर कीर्तन, लंगर और गुरु वाणी की गूंज ने रविवार की सुबह को आध्यात्मिक बना दिया।


गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर खतौली में निकली यह प्रभात फेरी केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि मानवता, सौहार्द और एकता का जीवंत उदाहरण बनी।
सिख संगत और नगरवासियों की भागीदारी ने इस दिन को यादगार बना दिया।
“नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला” — इस पवित्र वाक्य की गूंज ने पूरे खतौली को अध्यात्म और प्रेम के संदेश से भर दिया।

 

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