Muzaffarnagar News : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का पर बच्चों को गोली खिलाकर किया शुभारंभ
मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar News) चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आज जनपद में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के रूप में मनाया गया, जिसके अंतर्गत जनपद के समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों ,सरकारी, अर्ध सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पेट के कीड़ों की दवाई खिलाई गई।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ ए टू जेड रोड स्थित आर्य एकेडमी इंटरनेशनल स्कूल में नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती मीनाक्षी स्वरूप जी के द्वारा बच्चों को अपने हाथों से पेट के कीड़ों की दवाई खिलाकर किया गया। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है जो की अत्यंत सराहनीय है
उन्होंने सभी बच्चों से कहा कि वे अवश्य साल में दो बार पेट के कीड़ों की दवा अवश्य खाएं। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ महावीर सिंह फौजदार ने बताया कि प्रत्येक वर्ष दो बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है इस वर्ष पहले यह फरवरी माह में मनाया गया था, आज हम वर्ष का दूसरा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मना रहे हैं
जिसके अंतर्गत एक से १९ वर्ष के सभी बच्चों, किशोर किशोरियों को कृमि मुक्ति के लिए यह गोली खिलाई जाती है उन्होंने बताया कि इस बार पूरे जनपद में ५३६३८६ बच्चों को पेट की कीड़ों की दवाई खिलाने का लक्ष्य रखा गया है।कार्यक्रम में उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार, जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी ड गीतांजलि वर्मा, विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती सोनिका आर्य,विद्यालय के प्रबंधक सुघोष आर्य, डॉ उमंग श्रीवास्तव, संजीव मलिक आदि उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस: स्वास्थ्य और समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
मुजफ्फरनगर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर जनपद में विशेष अभियान चलाया। इस अभियान के तहत जनपद के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा दी गई।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस: उद्देश्य और महत्व
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस भारत सरकार की एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल है, जिसका उद्देश्य देशभर के बच्चों और किशोरों को कृमि संक्रमण से मुक्त करना है। यह अभियान साल में दो बार, फरवरी और अगस्त में, बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है, क्योंकि पेट में कृमि संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह पहल विशेष रूप से गरीब और पिछड़े क्षेत्रों में बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुजफ्फरनगर में आयोजित कार्यक्रम: स्वास्थ्य और शिक्षा का संगम
मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन ए टू जेड रोड स्थित आर्य एकेडमी इंटरनेशनल स्कूल में किया गया। नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती मीनाक्षी स्वरूप ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया और बच्चों को अपने हाथों से पेट के कीड़ों की दवा खिलाई। उन्होंने इस अवसर पर बच्चों से संवाद करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम सरकार की एक सराहनीय पहल है, जो बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया कि इस वर्ष फरवरी में भी राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया था, और अब यह साल का दूसरा अभियान है। इस बार पूरे जनपद में 5,36,386 बच्चों को पेट के कीड़ों की दवाई खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। यह संख्या दर्शाती है कि कितने बड़े पैमाने पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है और इसके पीछे सरकार की प्रतिबद्धता है कि कोई भी बच्चा कृमि संक्रमण का शिकार न हो।
स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव
कृमि संक्रमण बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिसमें भूख में कमी, खून की कमी (एनीमिया), कमजोरी और शारीरिक विकास में रुकावट शामिल हैं। यह संक्रमण बच्चों की शैक्षिक उपलब्धियों को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि कमजोर स्वास्थ्य के कारण बच्चे स्कूल में ध्यान नहीं दे पाते।
सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य सुधारना नहीं है, बल्कि समाज के व्यापक हित में भी है। स्वस्थ बच्चे एक स्वस्थ समाज का निर्माण करते हैं, और इस दिशा में यह अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से न केवल बच्चों को स्वस्थ रखने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि देश के भविष्य को भी सुरक्षित किया जा रहा है।
सरकार की पहल: स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस केवल एक दिन का अभियान नहीं है, बल्कि यह एक लंबी अवधि की योजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य देशभर में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है। सरकार का यह प्रयास इस बात को सुनिश्चित करता है कि हर बच्चा, चाहे वह किसी भी सामाजिक या आर्थिक वर्ग से हो, स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सके।
कृमि मुक्ति के लिए दवाओं का वितरण केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि निजी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में भी इसे समान रूप से लागू किया जाता है। इस तरह के समग्र दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी बच्चा इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा से वंचित न रहे।
स्वास्थ्य के प्रति नैतिक जिम्मेदारी
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर सदस्य की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि वे इस अभियान का समर्थन करें और अपने बच्चों को समय पर दवाएं दिलवाएं। यह भी आवश्यक है कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों को स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित करें, ताकि वे भविष्य में भी ऐसे संक्रमण से बच सकें।
आगे की दिशा
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कितनी व्यापकता से इसे लागू किया जाता है और कितने बच्चों तक इसका लाभ पहुंचाया जाता है। इस अभियान की निरंतरता और इसके प्रति समाज की जागरूकता आने वाले वर्षों में भारत को एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
अंत में, इस पहल का सामाजिक और नैतिक महत्व भी है। यह न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने का प्रयास है, बल्कि यह समाज के प्रति एक नैतिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। स्वस्थ बच्चे ही देश के उज्जवल भविष्य की नींव हैं, और राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाना, स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना, और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत और स्वस्थ भारत का निर्माण करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है।

