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Muzaffarnagar में छात्र उज्जवल राणा आत्मदाह प्रकरण गरमाया: कॉलेज प्राचार्य ने अग्रिम जमानत को अदालत का रुख किया 🔥

मुजफ्फरनगर।Muzaffarnagar संगीन होते जा रहे उज्जवल राणा आत्मदाह प्रकरण में अब मामले ने कानूनी मोर्चे पर बड़ा मोड़ ले लिया है। कस्बा बुढाना स्थित डीएवी डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रदीप कुमार ने अपनी संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दी है। न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई हेतु 29 नवंबर 2025 की तारीख निर्धारित की है।

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब छात्र परिवार, सामाजिक संगठन और छात्र नेता लगातार कॉलेज प्रबंधन पर सवाल उठा रहे हैं।


🟦 कैसे जन्मा विवाद? फीस विवाद से उपजा तनाव और आत्मदाह की घटना

यह पूरा मामला 8 नवंबर को उस समय सामने आया जब डीएवी डिग्री कॉलेज के बीए छात्र उज्जवल राणा ने फीस विवाद को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने ऊपर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्मदाह का प्रयास किया।

प्रत्यक्षदर्शियों और कॉलेज सूत्रों के अनुसार:

  • छात्र का कहना था कि कॉलेज प्रशासन उसे अनावश्यक रूप से परेशान कर रहा था

  • आरोप था कि फीस को लेकर उत्पीड़न किया गया

  • इसी तनाव में उज्जवल ने आत्मघाती कदम उठाया

घटना के बाद कॉलेज परिसर में अफरा-तफरी मच गई और उज्जवल को गंभीर अवस्था में पहले स्थानीय अस्पताल, फिर दिल्ली रेफर किया गया।

लेकिन दुर्भाग्यवश 9 नवंबर को दिल्ली में उज्जवल राणा की मौत हो गई।


🟩 बहन की शिकायत पर मुकदमा दर्ज — PTI गिरफ्तार, तीन पुलिसकर्मी लाइन हाजिर

उज्जवल राणा की बहन ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया
इसके बाद भविष्य में दबाव और विरोध को देखते हुए पुलिस ने कार्रवाई करते हुए:

  • एक आरोपी PTI (फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर) को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया

  • तीन आरोपी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया

यह घटना आग की तरह फैल गई और पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई।


🟧 प्राचार्य की अग्रिम जमानत — विरोध और उम्मीदों के बीच कानूनी लड़ाई तेज

उज्जवल राणा की मौत के बाद कॉलेज प्रबंधन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
इसी माहौल के बीच कॉलेज प्राचार्य प्रदीप कुमार ने अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की है।
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए:

  • पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट

  • अभियोजन (Prosecution) से केस विवरण

  • घटना से जुड़े तथ्यात्मक पते

सभी बिंदुओं पर जानकारी मांगी है।

इस पूरे घटनाक्रम के चलते यह प्रकरण और अधिक गर्मा गया है।


🟦 जमानत अर्जी की खबर मिलते ही परिवार और समर्थक पहुंचे अदालत

जैसे ही यह खबर फैली कि प्राचार्य ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगा दी है,
उज्जवल की बहन (वादी) अपने चाचा सचिन राणा और अधिवक्ता अनूप राठी के साथ अदालत पहुंच गई।

अदालत परिसर में:

  • छात्र नेता

  • किसान संगठन के प्रतिनिधि

  • सामाजिक कार्यकर्ता

  • और स्थानीय युवा

सभी बड़ी संख्या में मौजूद थे।


🟧 कौन-कौन हुआ मौजूद?—छात्र और किसान संगठनों ने दिखाई एकजुटता

मौके पर कई प्रमुख सामाजिक और छात्र नेताओं की उपस्थिति रही, जिनमें शामिल थे:

  • भाकियू अराजनैतिक के वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र मलिक

  • मोनू मलिक

  • दीपक राठी

  • कपिल बालियान

  • वीशू मलिक

  • विशाल

  • और अन्य छात्र एवं सामाजिक कार्यकर्ता

इन सबका कहना था कि:

“उज्जवल राणा को न्याय दिलाना अब आंदोलन का स्वरूप ले चुका है। दोषियों को सजा मिले, यही परिवार की मांग है।”

अदालत परिसर में तनावपूर्ण लेकिन संयमित माहौल मौजूद रहा।


🟩 परिवार और सामाजिक संगठनों की मांग—“दोषियों को सख्त सजा मिले”

उज्जवल राणा की बहन और परिवार का कहना है:

  • फीस विवाद कोई इतना बड़ा मुद्दा नहीं था

  • कॉलेज प्रशासन ने अत्यधिक दबाव डाला

  • मानसिक रूप से प्रताड़ित कर छात्र को मजबूर किया गया

  • घटना की पूरी जांच CBI या SIT से हो

सामाजिक संगठनों का भी स्पष्ट मत है कि घटना की गंभीरता को देखते हुए कड़े प्रावधानों में कार्रवाई होनी चाहिए।


🟦 मामला क्यों बना संवेदनशील? — शिक्षा संस्थान, छात्र अधिकार और कानून व्यवस्था का सवाल

यह केस धीरे-धीरे पूरे उत्तर प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है क्योंकि:

  • इसमें शैक्षिक संस्थान पर गंभीर आरोप शामिल हैं

  • छात्र उत्पीड़न के मामलों में बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है

  • कॉलेज प्रबंधन पर सवाल खड़े हुए हैं

  • पुलिस की कार्रवाई अभी भी संदेह की नजर से देखी जा रही है

  • परिवार और छात्र संगठनों का बढ़ता दबाव प्रशासन पर साफ झलक रहा है

मामले की यह गंभीरता न्यायालय में भी परिलक्षित हुई, जहां सुनवाई की अगली तारीख 29 नवंबर तय की गई है।


🟧 क्या आगे होगा? — सुनवाई से पहले दोनों पक्षों की तैयारी तेज

सुनवाई से पहले:

  • प्राचार्य पक्ष कानूनी रूप से अपनी सुरक्षा चाहता है

  • परिवार और सामाजिक संगठन चाहते हैं कि अग्रिम जमानत न मिले

  • पुलिस और अभियोजन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी जा चुकी है

  • अदालत के बाहर माहौल पहले से ही गरम है

ऐसा माना जा रहा है कि अगली सुनवाई में अदालत का रुख इस मामले की दिशा तय कर सकता है।


उज्जवल राणा आत्मदाह प्रकरण अब कानूनी, सामाजिक और प्रशासनिक तीनों मोर्चों पर एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। कॉलेज प्राचार्य की अग्रिम जमानत याचिका पर 29 नवंबर को होने वाली सुनवाई से पहले माहौल गरम है और हर पक्ष अपनी दलीलें मजबूत करने में जुटा है। छात्र संगठनों और परिवार की न्याय की मांग तथा कॉलेज प्रबंधन पर उठ रहे सवाल इस मामले को और भी संवेदनशील बनाते हैं। आने वाले दिनों में अदालत के फैसले पर पूरे जनपद की निगाहें टिकी रहेंगी।

 

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