Noida में SIR अभियान का दबाव बढ़ा: महिला शिक्षक पिंकी सिंह ने थककर दी नौकरी से इस्तीफा, 215 ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद बोलीं—‘न पढ़ा सकती हूं, न BLO का काम’
उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी बीच Noida से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ गेझा उच्च प्राथमिक विद्यालय, सेक्टर-34 की शिक्षिका पिंकी सिंह ने अत्यधिक दबाव, बीमारी और दोहरी जिम्मेदारियों से तंग आकर अपनी नौकरी ही छोड़ दी।
पिंकी सिंह ने अपने इस्तीफे में साफ लिखा कि उन्होंने 215 ऑनलाइन फॉर्म फीड कर दिए, लेकिन अब वह न शिक्षण कार्य कर पा रही हैं और न ही BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) की जिम्मेदारियां निभा पाने की स्थिति में हैं।
SIR campaign Noida के दौरान शिक्षकों पर बढ़ते काम के बोझ का यह मामला अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।
BLO ड्यूटी से पहले ही छूट मांगी थी—but सुनवाई नहीं हुई
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिंकी सिंह ने पहले ही अधिकारियों से SIR ड्यूटी से मुक्त करने की अपील की थी।
लेकिन—
न उनकी बात सुनी गई
न उन्हें किसी तरह की छूट मिली
न बीमारी को देखते हुए कोई वैकल्पिक व्यवस्था दी गई
स्कूल प्रिंसिपल के अनुसार पिंकी सिंह को रॉकवुड स्कूल पर BLO की जिम्मेदारी दी गई थी, जहाँ उनके बूथ क्षेत्र में कुल 1179 मतदाता हैं।
BLO कार्य में—
घर-घर सत्यापन
फॉर्म की जांच
ऑनलाइन एंट्री
दस्तावेज़ अपलोड
बूथ रिपोर्टिंग
जैसे कार्य शामिल थे।
215 फॉर्म भरने के बाद पिंकी सिंह की शारीरिक स्थिति और बिगड़ गई, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा भेज दिया।
महिला शिक्षक का इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल—“थायरॉइड, कमजोरी और पारिवारिक तनाव ने काम असंभव कर दिया”
अपने इस्तीफे में पिंकी सिंह ने लिखा कि उन्हें थायरॉइड, लगातार कमजोरी, और गंभीर शारीरिक थकान की समस्या है।
इसके साथ ही वे पारिवारिक तनाव से भी गुजर रही हैं।
उन्हें रोज़—
स्कूल की पढ़ाई
प्रशासनिक कार्य
BLO के फील्ड वर्क
सब एक साथ करना पड़ रहा था, जिससे स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति दोनों प्रभावित हो रही थीं।
उनका इस्तीफा BLO अधिकारियों के ग्रुप में वायरल होने के बाद व्यापक चर्चा में आ गया है।
पिंकी सिंह ने क्या लिखा? इस्तीफे का मुख्य अंश
उनके इस्तीफे का प्रमुख भाग इस प्रकार बताया जा रहा है—
“मेरा BLO का पार्ट नंबर 206 है। मतदाता स्थल रॉकवुड स्कूल है। भाग संख्या में 1179 मतदाता हैं। 215 फॉर्म मैंने ऑनलाइन फीड कर दिए हैं। लेकिन अब मैं न BLO का कार्य कर सकती हूं, न शिक्षण कार्य कर सकती हूं। इसलिए मैं नौकरी से इस्तीफा दे रही हूं। कृपया बताएं कि निर्वाचन का सामान किसे सौंपूं।”
यह बयान दिखाता है कि SIR campaign Noida ने किस तरह शिक्षकों को मानसिक और शारीरिक रूप से थका दिया है।
BSA ने क्या कहा?—“कोई जानकारी नहीं मिली”
जब मामला सामने आया, तो बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) राहुल पवार ने कहा कि—
उन्हें इस इस्तीफे की कोई जानकारी नहीं
न किसी शिक्षक ने आधिकारिक रूप से इस्तीफा भेजा
जो वायरल हो रहा है, वह उनके रिकॉर्ड में दर्ज नहीं
इस बयान ने प्रशासनिक स्तर पर अस्पष्टता बढ़ा दी है, क्योंकि सोशल मीडिया पर इस्तीफा खुलकर घूम रहा है।
SIR अभियान ने यूपी में बढ़ाया भारी दबाव—शिक्षकों की हालत बिगड़ रही
माना जा रहा है कि SIR अभियान के कारण—
सरकारी स्कूलों के शिक्षक
आंगनबाड़ी कर्मचारी
पंचायत स्तर की टीमें
सब पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है।
BLO को सुबह से देर रात तक फील्ड में जाकर—
फॉर्म की जांच
वोटर सूची अपडेट
डेटा एंट्री
सत्यापन
जैसे जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही हैं।
कई जिलों में स्वास्थ्य समस्याओं, बेहोशी, और यहां तक कि मौत की खबरें भी आ चुकी हैं।
SIR campaign Noida भी इसी दबाव का हिस्सा बन चुका है।
स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित—डबल ड्यूटी पर सवाल
यह सवाल भी गंभीर है कि—
अगर शिक्षक 10–12 घंटे BLO का काम करेंगे, तो पढ़ाई कैसे चलेगी?
क्या यह अकादमिक सेशन को प्रभावित नहीं करेगा?
क्या शिक्षक सिर्फ प्रशासनिक कार्यों के लिए ही रह गए हैं?
कई शिक्षकों ने बताया कि ब्लॉक और जिला प्रशासन द्वारा दबाव बनाया जा रहा है कि हर स्थिति में डेटा पूरी तरह अपडेट होना चाहिए।
क्या SIR अभियान को लेकर नीति पर पुनर्विचार होगा?
शिक्षक संगठनों का कहना है कि—
शिक्षकों पर BLO का बोझ कम होना चाहिए
बीमारी, गर्भावस्था, विकलांगता जैसे मामलों में छूट अनिवार्य की जाए
BLO के लिए अलग संविदा कर्मी नियुक्त किए जाएं
स्कूल शिक्षा और चुनावी कार्यों को अलग किया जाए
पिंकी सिंह का इस्तीफा इस बहस को और तेज कर रहा है कि चुनावी जिम्मेदारियां शिक्षकों के कंधों पर किस सीमा तक डाली जा सकती हैं।

