Pakistan की UNSC में करारी बेइज्जती: पहलगाम अटैक पर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े सवालों ने खोल दी पोल
Pakistan एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बुरी तरह बेनकाब हो गया है। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में जो उम्मीदें इस्लामाबाद ने पाल रखी थीं, वो पूरी तरह ध्वस्त हो गईं। उसकी साजिशें, झूठे दावे और फर्जी कहानियां इस बार UNSC के सदस्य देशों ने सिरे से खारिज कर दीं।
पाकिस्तान बड़ी धूमधाम से यूएनएससी पहुंचा था, लेकिन वहां जो हुआ उसने उसके होश उड़ा दिए। परिषद की क्लोज्ड डोर बैठक में उसके फर्जी आरोपों पर सवालों की बौछार कर दी गई। केंद्र में था पहलगाम हमला, जिसमें धार्मिक पहचान के आधार पर टूरिस्ट्स को गोली मारे जाने की खबरें सामने आई थीं। और यहीं से पाकिस्तान की फजीहत की कहानी शुरू हो गई।
UNSC में खुली पोल: लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर उठे तीखे सवाल
बैठक के दौरान जब पाकिस्तान ने भारत पर उंगली उठाने की कोशिश की, तो UNSC के सदस्यों ने उल्टा उससे ही यह पूछ लिया कि क्या इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका रही है? यह वही आतंकी संगठन है जिसे दुनिया पहले ही ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर चुकी है और जो पाकिस्तान की सरजमीं से ऑपरेट करता है।
इस हमले में जिस तरह से टूरिस्ट्स से धर्म पूछा गया और फिर गोली चलाई गई, उसने पूरे विश्व समुदाय को झकझोर दिया। सदस्य देशों ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान से जवाबदेही तय करने की बात की और चेताया कि अब ऐसे मामले नजरअंदाज नहीं किए जाएंगे।
पाकिस्तान की चाल नाकाम: न बयान मिला, न समर्थन
पाकिस्तान की कोशिश थी कि बैठक के बाद कोई आधिकारिक बयान आए, जिससे वह अपनी बात को सही साबित कर सके और भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बना सके। लेकिन भारत की कुशल कूटनीति और मजबूत तथ्यों के आगे उसकी एक न चली।
UNSC ने कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। यही नहीं, पाकिस्तान को यह भी साफ-साफ कह दिया गया कि भारत के साथ मुद्दों को द्विपक्षीय तरीके से हल किया जाना चाहिए, न कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर झूठ और भ्रम फैलाकर।
सदस्य देशों की चिंता: मिसाइल परीक्षण और परमाणु बयानबाज़ी
बैठक में कई देशों ने पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों और परमाणु हमलों की धमकियों पर भी चिंता जताई। इन गतिविधियों को क्षेत्र में तनाव को बढ़ावा देने वाला बताया गया। UNSC के सदस्यों ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान को अपनी ज़िम्मेदारियों को समझना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए।
UNSC में भारत की रणनीति ने पाकिस्तान को किया ढेर
भारत ने इस बैठक के लिए गहन तैयारी की थी। उसकी रणनीति साफ थी—तथ्यों के आधार पर पाकिस्तान के झूठ को उजागर करना और उसके आतंकी संगठनों के लिंक को विश्व के सामने लाना। यही हुआ भी।
जब पाकिस्तान ने भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाने की कोशिश की, तो भारत ने सामने रखे सबूत—पहलगाम हमले में इस्तेमाल किए गए हथियारों की जांच रिपोर्ट, आतंकियों के कॉल रिकॉर्ड्स और लश्कर से जुड़ी जानकारियां। यह सब देखकर सदस्य देशों ने पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया।
UNSC से नहीं मिला समर्थन, उल्टा आ गया वॉर्निंग
पाकिस्तान की उम्मीद थी कि उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा। लेकिन जो मिला वो था सख्त संदेश—आतंक को शह देना बंद करो। यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेइज्जती हुई हो। इससे पहले भी FATF और UNGA जैसे मंचों पर वह आतंकवाद पर दोहरी नीति के चलते निशाने पर रहा है।
दुनिया की नजर में अब खुल चुकी है पाकिस्तान की असलियत
आज की तारीख में पाकिस्तान की पहचान एक ऐसे देश के रूप में बन चुकी है जो आतंकवाद को पालता है, उसे संरक्षण देता है और फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पीड़ित बनने का नाटक करता है। लेकिन अब ये ड्रामा ज्यादा दिन नहीं चल सकता।
पहलगाम जैसा हमला, जिसमें निर्दोष पर्यटकों को सिर्फ उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया, न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। और जब इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा का नाम आता है, तो पाकिस्तान का नाम सीधे-सीधे सामने आता है।
भारत की विदेश नीति की बड़ी जीत
इस पूरी घटना ने यह भी साबित कर दिया कि भारत अब कूटनीतिक मोर्चे पर कितनी मजबूती से खड़ा है। भारत की स्पष्ट नीति, मजबूत साक्ष्य और प्रभावशाली संवाद से पाकिस्तान को न सिर्फ UNSC में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, बल्कि भविष्य के लिए भी एक सख्त संदेश चला गया—अब दुनिया सिर्फ बातों से नहीं, तथ्यों से फैसले लेगी।