उत्तर प्रदेशवैश्विक

पंचायत चुनाव की गहमागहमी: तोड़फोड़, आगजनी, जानलेवा हमले और कत्लेआम…

 त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में यूपी के 18 जिलों में मतदान संपन्न हो गया। करीब सत्तर फीसदी से अधिक मतदान हुआ लेकिन पंचायत चुनाव की गहमागहमी के बीच इससे जुड़ी हिंसा की घटनाओं में दो दर्जन से अधिक लोगों की अब तक जानें जा चुकी हैं। न जाने कितने लोग हाथ पैर तुड़वा कर इलाज करा रहे हैं।

पंचायत चुनाव से जुड़ी हिंसा की बढ़ती घटनाओं ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं कि क्या हमारे नीति नियंताओं ने इसी दिन के लिए गांव की सरकार का सपना देखा था। क्या इसी तरह गांव में मजबूती आएगी।

क्या इसीलिए संविधान संशोधन करके पंचायत राज को साकार किया गया था। गांव में पंचायत चुनाव की रंजिश में जिस तरह से कत्लेआम हुए हैं उसने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।

30 मार्च आजमगढ़ जिले के बरहद पुलिस सर्कल के उसाहर सोनहारा गांव में पंचायत चुनाव के उम्मीदवार की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई है। पुलिस ने मौजूदा ग्राम प्रधान समेत 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

8 अप्रैल देवरिया जिले के मईल क्षेत्र के नरियांव में प्रधानी चुनाव को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। इस दौरान एक पक्ष के लोगों ने दूसरे पक्ष के एक समर्थक की पीट-पीट कर हत्या कर दी।

15 अप्रैल मैनपुरी में दूसरे चरण में ग्राम पंचायत का चुनाव होना है। 19 तारीख को मतदान होना है। प्रत्याशी पूरे दमखम के साथ चुनाव में लगे हुए हैं। इसी बीच कोतवाली क्षेत्र के गांव ललूपुरा में बीडीसी प्रत्याशी की धारदार हथियार से हत्या करके शव खेत में फेंके दिया गया।

11 अप्रैल वाराणसी में प्रधान पद के प्रत्याशी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मामला वाराणसी के बड़ागांव क्षेत्र के इंदरपुर गांव का है, जहां के पूर्व प्रधान और इस बार फिर से पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे 45 वर्षीय विजेंद्र यादव उर्फ पप्पू की बीती रात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई।

15 अप्रैल बदायूं जिले में गुरुवार रात एक प्रधान प्रत्याशी के समर्थक की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई। मामला सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के नरऊ गांव का है।

15 अप्रैल मेरठ के थाना इंचौली क्षेत्र के तोफापुर गांव निवासी प्रेमपाल यादव उर्फ गुड्डन इस बार ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। बताया जाता है वह गांव में लोगों से वोट देने की अपील कर रहे थे। इस दौरान गांव के ही दूसरे पक्ष के लोग आए और उन्होंने प्रेमपाल पर गोलियां बरसा दीं। प्रेमपाल के चाचा का कहना है की चुनावी रंजिश के चलते ही इस वारदात को अंजाम दिया गया है।

20 मार्च कासगंज जनपद के सहावर क्षेत्र के ग्राम म्यांसुर क्षेत्र के पूर्व प्रधान बाबूराम की गला दबाकर हत्या करने के बाद उनका शव कासगंज क्षेत्र के बांकनेर के जंगल में फेंक दिया गया। पूर्व प्रधान की हत्या के पीछे चुनावी रंजिश की संभावना जताई जा रही है।

11 मार्च गोरखपुर गगहा थाना के रितेश मौर्य गगहा के वार्ड नंबर 51 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. बाइक सवार दो बदमाश आए और ताबड़तोड़ फायरिंग कर उन्हें घायल कर दिया. लहूलुहान अवस्था में रितेश को अस्पताल लाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई।

दर्दनाक यह है कि पंचायत चुनाव को लेकर रंजिश में तीन साल के मासूम बच्चे को भी नहीं बख्शा गया उसकी भी हत्या कर दी गई। कानपुर जिले के महाराजपुर थाना क्षेत्र के महोली गांव में पूर्व प्रधान के भतीजे पर मासूम की हत्या करने का आरोप लगा है।

ये बढ़ती घटनाएं कई सवाल खड़े कर रही हैं। जानकारों का कहना है कि यह सिलसिला अभी चुनाव के बाद भी जारी रह सकता है। जो कानून व्यवस्था के लिए संकट खड़ा कर सकता है। पंचायत चुनाव के लिए मतदाताओं में उत्साह अच्छी बात है। लेकिन तोड़फोड़, आगजनी, जानलेवा हमले और कत्लेआम को स्वस्थ लोकतंत्र में जगह नहीं दी जा सकती है।

 

News Desk

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