संपादकीय विशेषउत्तर प्रदेश

श्रमिक हितकारी है: उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड

देश की श्रम शक्ति का बहुत बड़ा भाग असंगठित व अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में भवन निर्माण कार्यों में लगे हुये श्रमिकों की संख्या काफी अधिक है। निर्माण श्रमिकों के कार्य की प्रवृत्ति ऐसी होती है कि उन्हें कठिन स्थितियों में कार्य करना पड़ता है। जिसमें धूल व प्रदूषण, जोखिम पूर्ण कार्य अनिश्चित व अस्थाई रोजगार, कार्य के घण्टों का अनिश्चित होना, कल्याणकारी उपायों का अभाव आदि शामिल हैं, जो निर्माण श्रमिकों  की कार्य दशाओं को और कठिन बनाते है।
 श्रमिकों की इन्ही स्थितियों/समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुये  निर्माण श्रमिकों के नियोजन व सेवा शर्तों का विनियमन करने तथा उनकी सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कल्याण के उपाय करने के  उद्देश्य से भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक अधिनियम 1996 बनाया गया था जिसके अन्तर्गत उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का गठन करते हुये प्रदेश सरकार ने श्रमिकों के कल्याण एवं उनके जीवन में गुणात्मक सुधार करने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की हैं।

कोई भी प्रतिष्ठान जो सरकार के स्वामित्व या उसके नियन्त्रण के अधीन हो, कोई निकाय, कम्पनी फर्म कोई संघ या व्यक्तियों के कोई संगठन जो भवन व अन्य सन्निर्माण कार्य में श्रमिकों को नियोजित करते हैं, ठेकेदार से सम्बन्धित प्रतिष्ठान, जो श्रमिक से कार्य कराते हैं,इस अधिनियम के अन्तर्गत आते हैं। इसी प्रकार निर्माण स्थलों जहां वर्ष मेे किसी भी दिन 10 या इससे अधिक निर्माण श्रमिक नियोजित हैं का पंजीयन भी अधिनियम के अन्तर्गत अनिवार्य है, रिहायशी भवनों की स्थिति में 10 लाख रूपये से अधिक लागत के भवनों पर ही अधिनियम के प्राविधान लागू हैं। प्रदेश में माह जून 2019 तक कुल 210841  निर्माण स्थलों का पंजीयन किया जा चुका है।

उत्तर प्रदेश  भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम 1996 की धारा-3 द्वारा अधिनियम से आवर्त सभी भवनों एवं अन्य सन्निर्माणों के लागत का 01 प्रतिशत धनराशि उपकर लिये जाने का प्राविधान है। जून 2019 तक कुल 4786.30 करोड़ रूपये की धनराशि उपकर के रूप में बोर्ड को प्राप्त हो चुकी है। उपकर के रूप में प्राप्त धनराशि का उपयोग पंजीकृत निर्माण श्रमिकों हेतु संचालित कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय किया जाता है। इस अधिनियम के अन्तर्गत 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के निर्माण श्रमिक जो निर्माण प्रक्रिया में एक वर्ष में 90 दिन से अधिक कार्य किये हो, पंजीयन हेतु पात्र है। 

भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक वे हैं जो किसी भवन या अन्य निर्माण (कन्सट्रक्शन) कार्य में अकुशल, अर्द्ध कुशल श्रमिक के रूप में शारीरिक, तकनीकी, सुपरवाइजरी, लिपिकीय कार्य वेतन या पारिश्रमिक पाने के लिए करते हैै। इसके अन्तर्गत 40 प्रक्रियाओं के निर्माण कार्यों में लगे प्रदेश में माह जून 2019 तक 4941825 श्रमिकों का पंजीकरण किया गया है। 

इन श्रमिको में बांध, पुल, सड़क या भवन निर्माण के अधीन कोई संक्रिया, ईट-भट्टों पर ईंट निर्माण, मिट्टी का कार्य, राजमिस्त्री, सीमेंट कंक्रीट, ईंट आदि ढोने का कार्य, इलेक्ट्रानिक, सड़क निर्माण, पुताई, बढ़ई, मिट्टी, बालू, मोंरम के खनन, लिपिकीय/लेखा कार्य, प्लम्बरिंग, वेल्डिंग, सभी प्रकार के पत्थर काटने, तोड़ने व पीसने वाले श्रमिक, चैैकीदारी, लोहार, मकानों/भवनों की आन्तरिक सज्जा का कार्य, टाइल्स लगाने, मार्बल एवं स्टोन वर्क, कुआं खोदना, छप्पर डालने का कार्य, चट्टान तोड़ने, खनिकर्म, हथोड़ा चलाने, चूना बनाना, मिक्सर चलाना, रोलर चलाना, बड़े यान्त्रिक कार्य, जैसे-मशीनरी, पुल निर्माण कार्य, खिड़की, ग्रिल, दरवाजे आदि की गढ़ाई एवं स्थापना का कार्य, रसोई में उपयोग हेतु माडूलर इकाईयों की स्थापना का कार्य, मोजैक पालिश, लिफ्ट एवं स्वचालित सीढ़ी की स्थापना, सुरक्षा द्वार एवं अन्य उपकरणों की स्थापना का कार्य, सामुदायिक पार्क या फुटपाथ का निर्माण, स्प्रे वर्क या मिक्सिंग वर्क, सुरंग निर्माण, स्विमिंग पूल, गोल्फ कोर्स आदि/सहित अन्य मनोरंजन सुविधाओं का निर्माण कार्य, अग्निशमन प्रणाली की स्थापना एवं मरम्मत कार्य, कुएं से गाद (तलछट) हटाने का कार्य/डिविंग तथा ठण्डे एवं गर्म मशीनरी की स्थापना और मरम्मत का कार्य करने वाल श्रमिक सम्मिलित किये गये हैं। जिन्हें उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अन्तर्गत पंजीकृत करते हुये प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही 18 प्रकार की श्रमिक हितकारी एवं कल्याणकारी योजनाओें से लाभान्वित किया जा रहा है।

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