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Zambia: तांबे की खदानों पर फिर से नियंत्रण हासिल करने वाले हैं वेदांता ग्रुप के संस्थापक Anil Agarwal

Zambia: वेदांता ग्रुप के संस्थापक Anil Agarwal जाम्बिया की तांबे की खदानों पर फिर से नियंत्रण हासिल करने वाले हैं. इस तांबा खदानों को दक्षिण अफ्रीकी सरकार के द्वारा जब्त कर लिया गया था. बताया जा रहा है कि उन्होंने वादा किया है कि वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के जाम्बिया में ताबा खदानों को टेकओवर करने के साथ ही, आपूर्तिकर्ताओं को बकाया 250 मिलियन डॉलर का भुगतान करेंगे.

देश के पूर्व राष्ट्रपति एडगर लुंगु के प्रशासन ने 2019 में कोंकोला कॉपर माइंस को Provisional Liquidation के तहत रख लिया था. इसे लेकर, मामला कोर्ट में पहुंच गया. बाद में उनके उत्तराधिकारी, राष्ट्रपति हाकैंडे हिचिलेमा ने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की मांग की. इस बीच अनिल अग्रवाल अपनी कंपनी पर कर्ज का बोझ कम करना चाहते थे.

ऐसे में उन्होंने कोंकोला में 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने और ऑपरेशन से दोगुने से अधिक तांबे के उत्पादन का वादा किया है. हालांकि, इस वर्ष जाम्बिया में पिछले 14 वर्षों में सबसे कम धातु के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है. इधर, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तांबे की मांग काफी ज्यादा बढ़ी है. ऐसे में इसमें काफी ज्यादा निवेश की जरूरत है.

अरबपति अनिल अग्रवाल ने ब्लूमबर्ग के जोहान्सबर्ग कार्यालय में एक साक्षात्कार में कहा कि मैं लोगों का दिल जीत सकूं, इसके लिए सभी लेनदारों को भुगतान करने की योजना है, इस काम में पैसा कभी भी बाधा नहीं बनेगा.

नकी कंपनी के पास करीब 2 बिलियन डॉलर के बांड बकाया हैं. इस सौदे को अनिल अग्रवाल की एक बड़ी जीत के रुप में देखा जा रहा है. जबकि, इससे जाम्बिया सरकार को भी बड़ा फायदा होगा अगर, वेदांता ग्रुप पांच वर्ष में एक अरब डॉलर के निवेश की बात को पूरा करने में समर्थ होती है. जाम्बिया की अर्थव्यवस्था 70 प्रतिशत तक धातु के नियात पर निर्भर है. खदान में उत्पादन बढ़ाने से देश में राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी.

ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने इसी महीने के एक तारीख को वेदांता ग्रुप को लेकर एक खुलासा किया था. इस नई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि खनन तथा तेल के कारोबार से जुड़ी कंपनी वेदांता ने वैश्विक महामारी के दौरान अहम पर्यावरण नियमों को कमजोर करने के लिए गलत तरीके से लॉबिंग की.

गैर-लाभकारी संगठन ने कहा कि भारत सरकार ने सार्वजनिक परामर्श के बिना कुछ परिवर्तनों को मंजूरी दी और उन्हें अवैध तरीकों से लागू किया गया. रिपोर्ट में कहा गया था कि एक मामले में, वेदांता ने यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाला कि खनन कंपनियां नई पर्यावरणीय मंजूरी के बिना 50 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन कर सकें. हालांकि, वेदांता के प्रवक्ता ने इस मामले पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं किया था.

रिपोर्ट में दावा किया गया था कि वेदांता की तेल व्यवसाय कंपनी, केयर्न इंडिया ने भी सरकारी नीलामी में हासिल किए गए तेल ब्लॉकों में ‘ड्रिलिंग’ के लिए सार्वजनिक सुनवाई रद्द करने की पैरवी भी की. तब से स्थानीय विरोध के बावजूद राजस्थान में केयर्न की छह विवादास्पद तेल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई.

इससे पहले ओसीसीआरपी ने अदाणी समूह पर गुपचुप तरीके से अपने ही कंपनियों के शेयरों में निवेश का आरोप लगाया था. संस्थान ने आरोप लगाया था कि ग्रुप के कुछ सार्वजनिक तौर पर कारोबार करने वाले कंपनियों के शेयरों में अपारदर्शी मॉरीशस फंड के माध्यम से लाखों डॉलर का निवेश किया गया, जिसने अदाणी फैमिली के कथित व्यापारिक भागीदारों की हिस्सेदारी को अस्पष्ट किया है.

News Desk

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