आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रयास से बची मासूम की जान
मुजफ्फरनगर। कई बार लोगों की नासमझी से उनके बच्चों की जान जोखिम में पड़ जाती है। इस तरह का एक वाकया पुरकाजी के गांव बसेड़ा गांव में देखने को मिला। यहां एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीतू के अथक प्रयास से एक अतिकुपोषित मासूम की जान बच गयी । इस बच्चे की हालत को देखते हुए जहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी को हस्तक्षेप करना पड़ा, वहीं रक्त बैंक के एक कर्मचारी ने खून देकर और डाक्टर व स्टाफ ने पूरी मेहनत करके इंसानियत का परिचय दिया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीतू ने गृह भ्रमण के दौरान पुरकाजी ब्लॉक के बसेड़ा गांव निवासी गोवर्धन के ढाई साल के बच्चे को अतिकुपोषित हालत में देखा तो उसने गोवार्धन की पत्नी पुष्पा को उसका इलाज कराने के लिए कहा।
पहले तो वह अस्पताल जाने को राजी नहीं थे, बड़ी मुश्किल से समझा-बुझाकर बच्चे को स्वामी कल्याण देव जिला अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया गया। वहां डॉ. आरती नंदवार ने उसकी जांच की तो पता चला कि बच्चे का वजन मानक से बहुत कम है। बच्चे का हीमोग्लोबिन भी मानक से बहुत कम था। बच्चे को खून चढ़ाया गया। बच्चे की सेहत में जैसे ही थोड़ा सा सुधार आया तो उसके मां-बाप उसे घर ले जाने की जिद करने लगे। जबकि एनआरसी में डॉक्टर ने उसकी हालत गंभीर बताते हुए उसे कुछ दिन और भर्ती रखने को कहा।
एनआरसी में भर्ती बच्चे की जान बचाने में जुटा स्वास्थ्य विभाग
रक्त बैंक के कर्मचारी ने स्वेच्छा से दिया मासूम को खून
मामले की जानकारी मिलने पर सीएमओ डॉ० पीएस मिश्रा एवं डीपीओ वाणी वर्मा भी एनआरसी पहुंचे। काफी जद्दोजहद और समझाने के बाद बच्चे को एनआरसी में भर्ती रखा गया। ब्लड बैंक के कर्मचारी सोनू ने स्वेच्छा से मासूम के लिए रक्तदान किया। एनआरसी में डाक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत रंग लायी। शनिवार को बच्चे की हालत में काफी सुधार दिखा। बच्चे की हालत में सुधार के बाद उसके माता-पिता दोनों अब बहुत खुश हैं।
उनका कहना है कि हमारी नासमझी की वजह से बच्चे की जान जा सकती थी पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीतू और अन्य अधिकारियों ने बच्चे की जान बचा ली। सीएमओ ने बताया कि कुपोषित बच्चों के लिए जिले में स्वामी कल्याण देव जिला अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है। यहां कुपोषित-अतिकुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है। यहां भर्ती होने वाले बच्चों के माता-पिता को निशुल्क भोजन मिलता है। साथ ही 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से श्रम ह््रास भी दिया जाता है। इस केंद्र में अभी 11 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं।