उत्तर प्रदेश

Aligarh- 3 साल की बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को पॉक्सो कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा, 25 हजार रुपये अर्थदंड

Aligarh की कोतवाली खैर क्षेत्र में एक छोटे से गांव में हुई दिल दहला देने वाली घटना में तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी अजीत को अपर सत्र न्यायाधीश, पॉक्सो कोर्ट संख्या 03, विनय तिवारी ने दोषी ठहराते हुए 20 साल की जेल और 25 हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया।

यह मामला समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आरोपी पर न्यायालय ने सख्त कार्रवाई की है, जिससे यह संदेश गया कि बाल यौन अपराधों के मामलों में अदालतें शून्य सहिष्णुता अपनाती हैं।


मामले की शुरुआत: थाने में रिपोर्ट दर्ज

कोतवाली खैर क्षेत्र के एक गांव निवासी महिला ने 3 अक्टूबर 2020 को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में आरोप था कि उसकी तीन साल की बेटी घर के बाहर खेल रही थी। उसी दौरान आरोपी अजीत ने बच्ची को खाने की चीज दिलाने का लालच देकर अपने साथ नलकूप के पास ले गया। वहां उसने बच्ची के साथ शराब का सेवन कराया और फिर उसे कपास के खेत में ले जाकर दुष्कर्म किया।

बच्ची के गायब होने के बाद परिजन उसे तलाशते हुए खेतों तक पहुंचे और बच्ची को रोते हुए पाया। उसके कपड़े खून से लथपथ थे। यह घटना पूरे गांव के लिए झकझोर देने वाली थी और परिजनों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं थी।


पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आरोपी अजीत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जांच अधिकारी ने आरोप और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।

जांच में बच्ची के मेडिकल रिपोर्ट, परिजनों के बयान और आरोपी के खिलाफ साक्ष्य अदालत में पेश किए गए। अदालत ने इन साक्ष्यों की गहन समीक्षा के बाद आरोपी को दोषी ठहराया।


पॉक्सो कोर्ट में सुनवाई और सजा

अपर सत्र न्यायाधीश विनय तिवारी की अदालत ने आरोपी को बाल यौन अपराधों से संबंधित कानून (POCSO Act) के तहत दोषी पाया। अदालत ने आरोपी को 20 साल की कठोर सजा और 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे अपराध समाज के लिए बहुत ही गंभीर हैं और न्यायिक प्रणाली की जिम्मेदारी है कि पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाया जाए।


समाज और परिवार पर प्रभाव

इस घटना ने पूरे गांव में सदमे और आक्रोश पैदा किया। बच्चे के परिवार और पड़ोसियों में सुरक्षा की चिंता बढ़ गई। बाल यौन अपराधों के मामले में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को लेकर सामाजिक जागरूकता भी बढ़ी।

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए परिवार और समाज को सतर्क रहना होगा। साथ ही, बच्चों को इस तरह की घटनाओं के बारे में सतर्क करने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण की जरूरत है।


कानूनी प्रक्रिया और न्याय की मिसाल

अलीगढ़ पॉक्सो कोर्ट ने यह साबित किया कि बाल यौन अपराधों के मामलों में अदालतें तत्काल और सख्त कार्रवाई करती हैं। आरोपी के खिलाफ सबूतों का ठोस आधार और पीड़ित बच्ची के बयान ने मामले में निर्णायक भूमिका निभाई।

इस फैसले से अन्य अपराधियों के लिए भी एक संदेश गया है कि किसी भी उम्र के बच्चे के साथ अपराध करने पर कानूनी कार्रवाई अवश्य होगी।


अलीगढ़ की इस घटना ने बच्चों की सुरक्षा के प्रति समाज और प्रशासन दोनों को जागरूक किया है। पॉक्सो कोर्ट द्वारा आरोपी को 20 साल की सजा और अर्थदंड से दंडित करना यह दिखाता है कि बाल यौन अपराधों के मामलों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह फैसला भविष्य में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के खिलाफ एक कड़ा संदेश है।

News-Desk

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