स्वास्थ्य विषय को राज्य सूची से निकालकर केंद्रीय सूची में शामिल करने की अपील खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें स्वास्थ्य विषय को राज्य सूची से निकालकर केंद्रीय सूची में शामिल करने की अपील की गई थी। याचिका में एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के गठन की भी मांग की गई थी।सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
पूर्व जिला जज सुजाता कोहली द्वारा दायर याचिका में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड की कमी और दवाईयों की किल्लत का हवाला देते हुए स्वास्थ्य को केंद्रीय सूची में शामिल करने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे कोरोना के दूसरी लहर के दौरान आई परेशानियों और उससे संबंधित आंकड़ों को पेश नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यह एक जंगली आग की तरह थी जिसकों बुझाने के लिए केंद्र और राज्य के नेता अग्निशमन यंत्र खोज रहे थे। आगे वकील ने कहा कि राज्यों ने स्वास्थ्य विषय की अनदेखी की है, इसलिए इसे केंद्रीय सूची में डाल देना चाहिए।
इसपर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि क्या अदालत ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है या ऐसे आदेश को पारित किया जा सकता है। हम विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते हैं। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता को सरकार से संपर्क करने को कह दिया। पीठ ने साफ़ कह दिया कि ऐसे आदेश हमारे अधिकारक्षेत्र में नहीं हैं।
इस दौरान याचिकाकर्ता ने कुछ ऐसे मामलों को पीठ के सामने रखा जिसमें न्यायालय द्वारा सरकार को दिशानिर्देश जारी किए गए थे। लेकिन पीठ ने याचिकाकर्ता की दलील को ख़ारिज करते हुए इस मामले पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून बहुत सारे हैं और इस तरह से विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है।