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रात का खाना (Night Meals) मौत का न्योता! बंदर, चिड़िया नहीं होते बीमार, इंसान क्यों?

(Night Meals) आधुनिक जीवनशैली ने इंसान को बीमारियों की खान बना दिया है। जहां एक ओर जंगलों में रहने वाले जानवर जैसे बंदर और चिड़िया बिना किसी डॉक्टर, दवा और इलाज के पूरी ज़िंदगी स्वस्थ रहते हैं, वहीं इंसान, जो खुद को सबसे बुद्धिमान प्राणी मानता है, दवाइयों और डॉक्टरों के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जानवरों को डायबिटीज, हाई बीपी, थायराइड या हार्ट अटैक क्यों नहीं होता?

यही सवाल जब एक वरिष्ठ मेडिकल प्रोफेसर ने खुद से किया, तो उन्होंने बंदरों पर वर्षों लंबा शोध किया। उनका यह शोध अब हेल्थ सेक्टर में सनसनी बन चुका है।


🐒 बंदर को बीमारी क्यों नहीं होती? RH Factor बना चमत्कार

मेडिकल कॉलेज के अनुभवी प्रोफेसर डॉ. रविंद्रनाथ शानवाग ने एक बड़ा रहस्य उजागर किया है। उन्होंने 15 वर्षों तक बंदरों पर वायरस, बैक्टीरिया और अन्य रोगजनकों के इंजेक्शन द्वारा कई प्रयोग किए। परंतु हैरानी की बात यह रही कि बंदर पर कोई बीमारी हावी नहीं हो सकी।

डॉ. शानवाग बताते हैं कि इसका मुख्य कारण बंदर का RH Factor है, जो इतना मजबूत है कि किसी भी वायरस या बैक्टीरिया का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। यही RH Factor मानव शरीर में भी जांचा जाता है, लेकिन डॉक्टर यह जानकारी मरीजों को नहीं देते।

बंदर का ब्लड प्रोफाइल इतना आदर्श है कि न तो उसका कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, न ट्रायग्लिसराइड्स और न ही शुगर टिकती है। लेकिन इसका कारण सिर्फ उसका जेनेटिक सिस्टम नहीं, बल्कि उसकी दिनचर्या है।


🍌 बंदर की दिनचर्या से सीखें: सुबह भरपेट भोजन, रात को उपवास

प्रोफेसर शानवाग ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बंदर सुबह सूरज निकलते ही भरपेट भोजन करता है और दिन ढलने के बाद कुछ नहीं खाता। यही दिनचर्या उसकी मजबूत इम्यूनिटी और रोगमुक्त जीवन का राज़ है।

जब उन्होंने अपने मरीजों को भी यही दिनचर्या अपनाने की सलाह दी—सुबह सूरज निकलने के ढाई घंटे के अंदर भरपेट भोजन और सूर्यास्त से पहले रात का भोजन—तो नतीजे चौंकाने वाले थे।

  • कई मरीजों की डायबिटीज नियंत्रित हो गई

  • कोलेस्ट्रॉल में कमी आई

  • घुटनों व कमर के दर्द से राहत मिली

  • गैस, पेट जलन जैसी समस्याएं खत्म हो गईं

  • नींद की गुणवत्ता में सुधार आया


🕉️ आयुर्वेद की सदियों पुरानी सीख: सुबह का भोजन ही असली भोजन

प्राचीन आयुर्वेदाचार्य बागभट्ट ने 3500 वर्ष पहले ही स्पष्ट कर दिया था—“सुबह का भोजन सर्वोत्तम है।” सुबह सूर्य निकलने से ढाई घंटे तक यानी अधिकतम 9:30 या 10 बजे तक भोजन कर लेना चाहिए।

इस दौरान हमारी जठराग्नि (पाचन अग्नि) सबसे तीव्र होती है, खासकर स्नान के बाद। इसलिए सुबह नहा-धोकर भोजन करना, शरीर को ऊर्जा, संतुलन और रोगों से सुरक्षा देता है। यह क्रिया शरीर के सभी तंत्रों को सक्रिय करती है।


नाश्ता: एक अंग्रेज़ी जाल!

नाश्ते की आदत भारतीय संस्कृति में नहीं थी। यह आदत अंग्रेजों द्वारा लाई गई थी। असली तरीका यह है कि सुबह का एक ही समय पर भरपेट भोजन किया जाए और फिर दोपहर में हल्का भोजन।

बीच-बीच में खाना, तले-भुने स्नैक्स और रात को देर तक खाना—यही है असली बीमारियों की जड़।


🌅 रात्रि भोजन: रोगों का सच्चा कारण

रात को खाना तब करना चाहिए जब सूर्य अस्त नहीं हुआ हो। जैसे ही अंधेरा होता है, शरीर की पाचन क्रिया मंद पड़ जाती है। जो भी भोजन किया जाता है, वह पच नहीं पाता और धीरे-धीरे यह भोजन अम्लता, गैस, मोटापा, डायबिटीज और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन जाता है।

जानवरों और पक्षियों को देखिए—कोई भी सूरज ढलने के बाद खाना नहीं खाता। और यही कारण है कि वे बीमार नहीं होते।


💡 क्या करें और क्या न करें: हेल्दी रूटीन के टिप्स

✅ सुबह सूरज निकलने के 2.5 घंटे के अंदर भरपेट पौष्टिक भोजन करें
✅ रात का खाना सूर्यास्त से 30 मिनट पहले करें
✅ दिन में दो मुख्य भोजन के बीच कम से कम 6 घंटे का अंतर रखें
✅ दिन डूबने के बाद कुछ न खाएं
✅ नाश्ते की आदत धीरे-धीरे छोड़ें
✅ सुबह नहाने के बाद ही भोजन करें


🧘‍♂️ बंदर से सीखिए: जीने की असली कला

बंदर की आदतों को अपनाकर हम एक स्वस्थ, रोगमुक्त और ऊर्जावान जीवन जी सकते हैं। आयुर्वेद, प्राकृतिक विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा—तीनों इस बात पर सहमत हैं कि भोजन का समय, मात्रा और गुणवत्ता हमारे स्वास्थ्य का आधार हैं।

हर इंसान अगर केवल सुबह का भोजन गंभीरता से ले और रात्रि भोजन को त्याग दे, तो दवाइयों, डॉक्टरों और अस्पतालों से जीवनभर की छुट्टी मिल सकती है।


📣 स्वस्थ जीवन का मंत्र

“सुबह खाओ राजाओं की तरह, दोपहर को आम आदमी की तरह और रात को साधु की तरह—या बिल्कुल न खाओ!”

यह मंत्र केवल कहावत नहीं, एक वैज्ञानिक, आयुर्वेदिक और प्राकृतिक सत्य है। अपने शरीर के साथ न्याय कीजिए, और बंदर से सबक लीजिए—खाओ सही समय पर, और जियो बीमारी रहित।


👉 एक छोटी सी दिनचर्या में बदलाव आपको रोगों से आज़ादी और जीवन की असली ऊर्जा दे सकता है।

Anchal Agarwal (Advocate)

Anchal Agarwal कानूनी मामलों पर परामर्श देती हैं और एक वरिष्ठ सिविल वकील और कानून की प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने जिला सिविल बार एसोसिएशन के सचिव (पुस्तकालय) के रूप में निर्वाचित होकर अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया है।उनके मार्गदर्शन में, कई छात्र और युवा वकील अपने करियर में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। उनकी विद्वता और अनुभव कानूनी समुदाय में बहुत सम्मानित हैं, और उनकी नेतृत्व क्षमता और कानूनी मामलों में उनकी गहरी समझ ने उन्हें एक प्रतिष्ठित कानूनी पेशेवर के रूप में मान्यता दिलाई है।

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