“कुंवारी लड़की का दूध पिया है कभी?” Bareilly में थानेदार ने बीमार सिपाही से की शर्मनाक बातचीत, वायरल ऑडियो
उत्तर प्रदेश के Bareilly जिले में एक थानेदार की शर्मनाक हरकत ने पुलिस विभाग को हिला कर रख दिया है। देवरनियां थाने के इंस्पेक्टर की एक बीमार सिपाही के साथ की गई शर्मनाक बातचीत का ऑडियो अब वायरल हो गया है, जिससे पूरे इलाके में हलचल मच गई है। इस ऑडियो में इंस्पेक्टर द्वारा सिपाही को न सिर्फ बेहूदी सलाह दी जाती है, बल्कि इस बातचीत से यह भी साफ हो जाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी शक्ति का किस तरह से दुरुपयोग किया है।
घटना की शुरुआत
यह पूरा मामला तब सामने आया जब देवरनियां थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर ने एक बीमार सिपाही से फोन पर हालचाल पूछा। सिपाही इलाज के सिलसिले में बरेली में था और थानेदार को उसकी तबीयत के बारे में जानकारी चाहिए थी। लेकिन सिपाही की सेहत का हाल जानने के बजाय इंस्पेक्टर ने कुछ ऐसा कह दिया, जिसे सुनकर कोई भी व्यक्ति शर्मसार हो जाएगा।
#Viral #Audio थानेदार : कुंवारी लड़की का दूध पिया है कभी? बीमार सिपाही : नहीं, कभी नहीं थानेदार : अबे दूध पी, करंट आ जाएगा ऑडियो पर अफसरों ने जांच शुरू कर दी है। #viral2024 pic.twitter.com/nYstkcoMg6
— News & Features Network (@newsnetmzn) November 18, 2024
वायरल हुआ शर्मनाक ऑडियो
ऑडियो में इंस्पेक्टर बीमार सिपाही से कहता है, “कुंवारी लड़की का दूध पिया है कभी?” इस पर सिपाही जवाब देता है, “नहीं, कभी नहीं।” इसके बाद इंस्पेक्टर की तरफ से बेहद आपत्तिजनक और शर्मनाक सलाह आती है, “अबे दूध पी, करंट आ जाएगा।” यह पूरी बातचीत सिपाही को असहज करने वाली थी, और जैसे ही यह ऑडियो वायरल हुआ, पूरे जिले में पुलिस विभाग की छवि पर सवाल उठने लगे।
प्रशासनिक जांच शुरू
ऑडियो के वायरल होते ही मामले ने तूल पकड़ लिया। अधिकारियों ने तुरंत एक जांच कमेटी का गठन किया और एसएसपी ने सीओ बहेड़ी, अरुण कुमार को मामले की जांच सौंप दी। एसएसपी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तीन दिन के भीतर इस मामले पर रिपोर्ट पेश की जाए। यह भी माना जा रहा है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि यह न सिर्फ एक पुलिसकर्मी के खिलाफ अनुशासनहीनता का मामला है, बल्कि यह एक अधिकारी द्वारा अव्यवसायिक और असम्मानजनक व्यवहार की भी मिसाल प्रस्तुत करता है।
पुलिस विभाग में हड़कंप
इस वायरल ऑडियो ने न केवल बरेली पुलिस बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग को शर्मिंदा किया है। ऐसे मामलों से पुलिस के आंतरिक अनुशासन पर भी सवाल उठते हैं। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक इंस्पेक्टर का मानसिक स्थिति कैसी हो सकती है, जो अपने ही विभाग के एक सिपाही के साथ इस तरह की गंदगी भरी बातें करता है।
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत अपमान की नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की कार्यशैली और आंतरिक मूल्यों पर भी गंभीर सवाल उठाती है। इस ऑडियो के वायरल होने से यह भी साबित होता है कि पुलिस कर्मियों के बीच कोई भी अंतरंगता या पारिवारिक भावनाएं अक्सर उन्हें गंभीरता से काम करने से रोक सकती हैं, और इस तरह की बातें सार्वजनिक हो जाने से न केवल उनका व्यक्तिगत जीवन, बल्कि विभाग की छवि भी प्रभावित होती है।
सिपाही का बयान
जिन्हें यह शर्मनाक बातचीत झेलनी पड़ी, वह सिपाही खुद भी इस मामले में कुछ कहना चाहते थे। उन्होंने कहा कि यह घटना उनके लिए बहुत चौंकाने वाली थी। वह पहले से ही बीमार थे, और ऐसे वक्त में एक उच्च अधिकारी द्वारा ऐसी बातें कहना न केवल अपमानजनक था, बल्कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक था।
सिपाही ने आगे कहा कि वह इस मामले को लेकर प्रशासन से उम्मीद करते हैं कि उन्हें न्याय मिलेगा और इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस विभाग की छवि पर असर
पुलिस विभाग में ऐसे मामलों के सामने आने से एक और बुरी आदत सामने आती है, वह है विभाग की छवि पर असर डालने वाली मानसिकता। बरेली जैसी जगह पर इस तरह की घटनाएं पुलिस के लिए एक बड़ा दाग हैं। यह मामला केवल बरेली जिले तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे राज्य में यह चर्चा का विषय बन चुका है। इससे पुलिस बल के अन्य कर्मचारियों को भी अपनी कार्यशैली पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
भविष्य में क्या हो सकता है?
इस मामले के बाद, बरेली पुलिस को इस पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। यह घटना न केवल विभाग की छवि को धूमिल करती है, बल्कि पुलिस में मौजूद उन अधिकारियों की कार्यशैली को भी सवालों के घेरे में लाती है, जो अपने पद का दुरुपयोग करते हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस घटना के बाद पुलिस विभाग में अधिक पारदर्शिता और अनुशासन स्थापित होगा, ताकि भविष्य में ऐसी शर्मनाक घटनाएं न घटें।
बरेली के देवरनियां थाने के इंस्पेक्टर द्वारा बीमार सिपाही से की गई इस शर्मनाक बातचीत ने पूरे पुलिस विभाग को शर्मिंदा कर दिया है। इस मामले की जांच की जा रही है और उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी। यह घटना पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपनी जिम्मेदारी और कार्यशैली पर पुनर्विचार करें ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।