Mahant Ravindra Puri का सनातन बोर्ड पर बयान, देश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता का खुलासा
प्रयागराज: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष Mahant Ravindra Puri ने सनातन धर्म को बचाने के लिए सनातन बोर्ड बनाने की जोरदार मांग की है। उनके बयान ने एक नई बहस छेड़ दी है, जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म के खिलाफ बढ़ते हमलों और देश में फैलते धार्मिक कट्टरपंथ के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। महंत रवींद्र पुरी ने आरोप लगाया कि गैर-हिंदू ताकतें हिंदू धर्म को कमजोर करने के लिए लगातार काम कर रही हैं, और उनके द्वारा किए जा रहे ‘लैंड जेहाद’, ‘लव जेहाद’, ‘थूक जेहाद’ और ‘पेशाब जेहाद’ जैसे कृत्य हिंदू समाज को विभाजित करने की साजिश हैं।
Mahant Ravindra Puri ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड के पास 9 लाख एकड़ जमीन है, जबकि सनातनियों के पास इस जमीन का कोई हिसाब नहीं है। यह बयान हिंदू समाज में फैल रही असमानता और धार्मिक तनाव की ओर इशारा करता है, जो न केवल सामाजिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। महंत पुरी ने यह स्वीकार किया कि सनातनी आज भी बहुत सी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिनमें भूख और गरीबी प्रमुख हैं। उनकी बातों से साफ था कि सनातन धर्म के अनुयायी आज भी सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, जबकि कुछ धार्मिक समूहों के पास भारी संपत्ति और प्रभाव है।
सनातन बोर्ड की जरूरत और उद्देश्य: महंत रवींद्र पुरी ने सनातन बोर्ड बनाने की जरूरत को इस तरह बताया कि यह बोर्ड सनातनी समुदाय के आध्यात्मिक और धार्मिक मामलों में मार्गदर्शन करेगा। इसके माध्यम से सनातनी धर्म से जुड़ी सभी गतिविधियों को नियंत्रित और दिशा-निर्देशित किया जाएगा। उनके अनुसार, यह बोर्ड सनातन धर्म के अस्तित्व को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। महंत पुरी ने इस बोर्ड के गठन को एक ऐतिहासिक पहल बताया, जिससे हिंदू धर्म के सशक्तिकरण और उसकी रक्षा में मदद मिलेगी।
मुस्लिम धर्म गुरुओं द्वारा बीजेपी को वोट न देने की अपील पर प्रतिक्रिया: महाराष्ट्र में कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं द्वारा बीजेपी को वोट न देने की अपील को लेकर महंत रवींद्र पुरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी करते हैं, लेकिन वोट कभी नहीं देते। यह तंज महंत पुरी ने मुस्लिम समाज की चुनावी राजनीति को लेकर उठाया था। इसके जरिए उन्होंने यह संकेत दिया कि मुस्लिम समाज का वोट राजनीति में एक बड़ा पैमाना बन चुका है, और इस स्थिति का हिंदू समाज पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
गैर सनातनी दुकानों का विरोध: महंत रवींद्र पुरी ने एक और अहम मुद्दे पर अपनी राय दी, जो समाज के लिए बहुत विवादास्पद बन गया। उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्रों में गैर-सनातनी दुकानों का आवंटन नहीं किया जाना चाहिए। उनके अनुसार, अगर मेला क्षेत्रों में इन दुकानों को स्थान दिया गया, तो वहां पर धार्मिक और सांस्कृतिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिशें हो सकती हैं। महंत पुरी ने उदाहरण दिया कि अगर इन दुकानों को जगह दी जाती है तो चाय में थूकने या जूस में पेशाब मिलाने जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि गैर सनातनियों के मन में हिंदू धर्म को नष्ट करने की भावना है।
यह बयान धार्मिक तनाव और कट्टरपंथी गतिविधियों के बीच एक और चिंताजनक पहलू को उजागर करता है। महंत पुरी के इस बयान से एक बार फिर यह साबित होता है कि देश में धार्मिक मतभेदों के कारण कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे पूरे समाज का माहौल प्रभावित हुआ है।
महाकुंभ के दौरान विवाद की संभावना: महंत रवींद्र पुरी ने महाकुंभ के दौरान किसी भी तरह की विवाद की स्थिति को टालने के लिए यह मांग की कि गैर सनातनियों को महाकुंभ में दुकानें न दी जाएं। उनका कहना था कि यह कदम धार्मिक सद्भावना और शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक है, क्योंकि महाकुंभ एक पवित्र अवसर है और यहां कोई भी विवाद हिंदू धर्म और सनातनी समाज के लिए हानिकारक हो सकता है। महंत पुरी ने यह भी कहा कि जब तक सनातनी समाज की भलाई के लिए कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक उनके लिए धार्मिक कार्यों की दिशा तय करने में मुश्किलें आती रहेंगी।
धार्मिक कट्टरता और उसके प्रभाव: देश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता ने समाज के विभिन्न हिस्सों में विभाजन की दीवार खड़ी कर दी है। महंत रवींद्र पुरी ने जिन मुद्दों को उठाया, वे न केवल हिंदू धर्म के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए चिंताजनक हैं। लव जिहाद, लैंड जिहाद जैसे मुद्दों पर हो रही बहस ने इस समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। महंत पुरी का यह बयान एक चेतावनी की तरह है, जो समाज में बढ़ते धार्मिक संघर्ष और असहमति को लेकर सामने आया है।
आज के समय में धार्मिक असहिष्णुता का बढ़ना समाज के लिए घातक साबित हो सकता है। महंत रवींद्र पुरी जैसे नेताओं की ओर से दिए गए बयान इस बात का इशारा करते हैं कि धर्म, समाज और राजनीति के बीच जो जटिल रिश्ते बन रहे हैं, वे देश के भविष्य के लिए संकटपूर्ण हो सकते हैं।
आखिरकार, क्या कदम उठाए जाने चाहिए? देश में धार्मिक सद्भावना बनाए रखने के लिए महंत रवींद्र पुरी के सुझाव महत्वपूर्ण हो सकते हैं। हालांकि, इस तरह के बयानों से कुछ समय के लिए समाज में असहमति पैदा हो सकती है, लेकिन अगर सरकार और समाज मिलकर इन समस्याओं का समाधान ढूंढे, तो धर्म के नाम पर हो रही नफरत और विभाजन को कम किया जा सकता है। इस दिशा में कदम उठाना जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो।