Manipur में सीआरपीएफ कैंप में हुई गोलीबारी: जवान ने दो साथियों की हत्या के बाद की आत्महत्या
Manipur/मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल स्थित सीआरपीएफ कैंप में गुरुवार रात लगभग साढ़े 8 बजे एक हृदयविदारक घटना घटी। सीआरपीएफ की 120वीं बटालियन के हवलदार संजय कुमार ने अपनी सर्विस राइफल से अंधाधुंध गोलीबारी करते हुए एक कांस्टेबल और एक उपनिरीक्षक की हत्या कर दी। इस हमले में आठ अन्य जवान भी घायल हो गए। इसके बाद संजय कुमार ने स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घायलों को तुरंत इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया, जहां उनका उपचार जारी है।
सीआरपीएफ के अधिकारियों ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि घटना के कारणों की जांच की जा रही है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हवलदार संजय कुमार ने अज्ञात कारणों से अपने साथियों पर गोलीबारी की और फिर आत्महत्या कर ली। इस दुखद घटना ने सुरक्षा बलों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन के महत्व पर एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है।
यह पहली बार नहीं है जब सुरक्षा बलों के भीतर इस प्रकार की घटनाएं सामने आई हैं। पिछले कुछ वर्षों में, देश के विभिन्न हिस्सों में सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा अपने साथियों पर हमला करने की घटनाएं सामने आई हैं, जो सुरक्षा बलों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की ओर संकेत करती हैं।
उदाहरण के लिए, नवंबर 2024 में गुजरात के पोरबंदर जिले के तुकड़ा गोसा गांव में एक सीआरपीएफ जवान ने अपने साथियों पर असॉल्ट राइफल से गोलीबारी की, जिसमें दो जवानों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। इसी प्रकार, जुलाई 2024 में मणिपुर के जिरीबाम जिले के मोंगबंग गांव में संदिग्ध उग्रवादियों द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इन घटनाओं के पीछे के कारणों की जांच से पता चला है कि कई बार जवान व्यक्तिगत या पेशेवर तनाव के कारण इस प्रकार के कदम उठाते हैं। लंबे समय तक परिवार से दूर रहना, कठिन कार्य परिस्थितियां, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और उचित परामर्श की कमी जैसे कारक इन घटनाओं में योगदान कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा बलों के जवानों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। नियमित मानसिक स्वास्थ्य जांच, परामर्श सत्र, तनाव प्रबंधन कार्यक्रम और परिवार के साथ समय बिताने के अवसर प्रदान करना आवश्यक है। इसके अलावा, साथियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच संवाद को बढ़ावा देना और एक सहायक वातावरण का निर्माण करना भी महत्वपूर्ण है।
सरकार और सुरक्षा बलों के उच्च अधिकारियों को इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। जवानों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए, उनकी समस्याओं को समझना और उनका समाधान करना न केवल उनकी भलाई के लिए, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
इस प्रकार की घटनाएं न केवल सुरक्षा बलों के भीतर की चुनौतियों को उजागर करती हैं, बल्कि समाज के लिए भी एक संदेश हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। हमें सभी के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और आवश्यक समर्थन प्रदान करना चाहिए।
मणिपुर की इस दुखद घटना ने एक बार फिर से हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे सुरक्षा बलों के जवान किन परिस्थितियों में काम करते हैं और उनकी मानसिक भलाई के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहिए। आवश्यक है कि हम सभी मिलकर उनके लिए एक सहायक और समझदार वातावरण का निर्माण करें, ताकि वे देश की सेवा करते हुए मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
इस घटना की जांच जारी है, और उम्मीद है कि जल्द ही इसके पीछे के कारणों का पता चल सकेगा। इस बीच, हमें अपने सुरक्षा बलों के जवानों के प्रति सम्मान और समर्थन व्यक्त करना चाहिए और उनकी भलाई के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।