दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal ने इस्तीफे की घोषणा की: राजनीति, भ्रष्टाचार और भविष्य की राह
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 15 सितंबर, 2024 को एक चौंकाने वाली घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि वे दो दिनों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले हैं। इस घोषणा ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है और नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। केजरीवाल ने कहा कि जब तक जनता का स्पष्ट फैसला नहीं आ जाता, तब तक वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे हर घर और गली में जाकर जनता से निर्णय प्राप्त करेंगे।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: दिल्ली में भ्रष्टाचार और राजनीतिक संकट
Arvind Kejriwal की यह घोषणा दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से आबकारी नीति घोटाला शामिल है। इस घोटाले में कई उच्च अधिकारियों और मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें खुद केजरीवाल भी शामिल थे। इस मामले में उनकी जेल यात्रा ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया।
जेल में रहते हुए, केजरीवाल ने गीता और भगत सिंह की ‘जेल डायरी’ का अध्ययन किया, जिससे उन्हें एक नई प्रेरणा मिली। उन्होंने यह दावा किया कि उनका जेल यात्रा का अनुभव उन्हें और भी दृढ़ बना गया। वे जेल में एक पत्र लिखने में सक्षम थे, जिसमें उन्होंने एलजी से 15 अगस्त को आतिशी को झंडा फहराने की अनुमति मांगी थी, लेकिन वह पत्र एलजी तक नहीं पहुंचाया गया।
भविष्य की राह: दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
अरविंद केजरीवाल की इस्तीफे की घोषणा के बाद, दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए विभिन्न नामों पर चर्चा हो रही है। इस समय प्रमुख दावेदारों में आतिशी, सौरभ भारद्वाज और कैलाश गहलोत का नाम सामने आ रहा है।
- आतिशी: आतिशी, जो दिल्ली की शिक्षा मंत्री हैं, केजरीवाल के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक मानी जाती हैं। उन्होंने मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद शिक्षा विभाग और दिल्ली का बजट संभाला है। 15 अगस्त को झंडा फहराने के लिए उनके नाम की सिफारिश भी की गई थी। उनके पास शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं।
- सौरभ भारद्वाज: सौरभ भारद्वाज, जो ग्रेटर कैलाश सीट से विधायक हैं, दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास और पर्यटन मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। वे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और संकट की स्थितियों में पार्टी की ओर से पक्ष रखते हैं। उनका संयमित और विचारशील दृष्टिकोण उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाता है।
- कैलाश गहलोत: कैलाश गहलोत, जो परिवहन और पर्यावरण मंत्री हैं, नजफगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे एक लो-प्रोफाइल नेता माने जाते हैं और कम चर्चा में रहते हैं। उनकी प्रशासनिक क्षमता और अनुभव उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाते हैं।
भविष्य की राजनीति: परिवारवाद और आप की राजनीति
अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने भी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, अगर सुनीता केजरीवाल दिल्ली की मुख्यमंत्री बनती हैं, तो विपक्ष को परिवारवाद का आरोप लगाने का अवसर मिल सकता है। यह स्थिति उस समय की याद दिलाती है जब बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव ने जेल जाने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था।
दिल्ली की राजनीति की नई दिशा
अरविंद केजरीवाल की इस्तीफे की घोषणा ने दिल्ली की राजनीति में नई दिशा दी है। इस स्थिति में, अगले मुख्यमंत्री के चयन पर चर्चा जारी है और जनता का फैसला ही यह निर्धारित करेगा कि दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाएगी। इस राजनीतिक संकट का समाधान आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि नई नेतृत्व के तहत दिल्ली की राजनीति में क्या बदलाव आता है।