Delhi के कूड़े के पहाड़: आप सरकार की नाकामी पर भाजपा का वार, गाजीपुर से गूंजा विरोध का स्वर
Delhi के कूड़े के पहाड़, जो गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में वर्षों से एक बड़ी समस्या बने हुए हैं, अब राजनीतिक बहस के केंद्र में हैं। ये पहाड़ न केवल शहर की सौंदर्यता को बिगाड़ते हैं, बल्कि दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आप सरकार ने 10 साल पहले इन्हें हटाने का वादा किया था, लेकिन आज तक समस्या जस की तस बनी हुई है। एमसीडी की ओर से अब इन पहाड़ों को हटाने के लिए दिसंबर 2028 की नई समय-सीमा तय की गई है, जिससे जनता का रोष बढ़ता जा रहा है।
कूड़े के पहाड़ पर सियासी लड़ाई
दिल्ली में एमसीडी पर लंबे समय तक भाजपा का कब्जा था, जिसके दौरान आप सरकार ने भाजपा को इन समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया। लेकिन दिसंबर 2022 में एमसीडी पर आप का कब्जा होते ही राजनीतिक समीकरण बदल गए। अब भाजपा ने आप सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने गाजीपुर कूड़े के पहाड़ को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मछली बाजार से गाजीपुर तक पदयात्रा निकालते हुए केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा। गोयल का कहना है कि दिल्ली की समस्याएं जस की तस हैं—चाहे वह टूटी सड़कें हों, यमुना का प्रदूषण हो, या अस्पतालों की बदहाली।
स्थानीय निवासियों की परेशानी
गाजीपुर और भलस्वा के पास रहने वाले लोग इन कूड़े के पहाड़ों से बेहद परेशान हैं। दुर्गंध, मच्छरों का प्रकोप, और हवा की गुणवत्ता में गिरावट ने उनके जीवन को दूभर कर दिया है। कई बार रीसाइक्लिंग और सड़कों के निर्माण के वादे किए गए, लेकिन जमीन पर इनका कोई असर नहीं दिखता।
आप सरकार की सफाई और भाजपा का हमला
अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में इस मामले में खुद को निर्दोष ठहराते हुए कहा कि कोरोना महामारी और व्यक्तिगत परेशानियों के कारण उनकी सरकार समय पर काम नहीं कर पाई। उन्होंने यह भी वादा किया कि अगर जनता उन्हें दोबारा मौका देती है, तो वे इन सभी समस्याओं का समाधान करेंगे।
दूसरी ओर, भाजपा ने आप पर तीखा हमला करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार मुफ्त योजनाओं के जरिए सिर्फ वोट बटोरने में लगी है। गोयल ने कहा, “केजरीवाल की फ्री-फ्री वाली राजनीति ने दिल्ली को कूड़ादान बना दिया है। अगर वे मुफ्त की रेवड़ियां बांटना बंद करें, तो उनकी पार्टी का नामोनिशान मिट जाएगा।”
विकल्प और समाधान: एक अनसुलझी चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि इन कूड़े के पहाड़ों को हटाने के लिए दीर्घकालिक योजना और ठोस प्रबंधन की आवश्यकता है।
- रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट प्रबंधन: कूड़े का सही ढंग से पुनर्नवीनीकरण करके इसका उपयोग सड़क निर्माण और अन्य परियोजनाओं में किया जा सकता है।
- वैज्ञानिक तरीके अपनाना: तकनीकी और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों का इस्तेमाल करके कूड़े का निपटान किया जाना चाहिए।
- जनभागीदारी: स्थानीय निवासियों और विशेषज्ञों को इस प्रक्रिया में शामिल करके समाधान निकाला जा सकता है।
भाजपा की पदयात्रा: जनता की नाराजगी का प्रतीक
रविवार को गाजीपुर में भाजपा ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। पदयात्रा में स्थानीय निवासियों ने भी हिस्सा लिया, जो इन कूड़े के पहाड़ों से सबसे अधिक प्रभावित हैं। प्रदर्शन के दौरान गोयल ने कहा कि आप सरकार केवल बहानेबाजी करती है और समस्याओं का ठोस समाधान नहीं देती।
राजनीतिक नतीजे और चुनावी असर
आगामी विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे का सीधा असर पड़ सकता है। भाजपा, आप के पुराने वादों और नाकामियों को जोर-शोर से उठा रही है। वहीं, केजरीवाल सरकार जनता से एक और मौका मांग रही है।
निष्कर्ष नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदें
दिल्ली के कूड़े के पहाड़ केवल भौतिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी बन गए हैं। जनता अब उम्मीद कर रही है कि कौन सी सरकार इन पहाड़ों को हटाने के लिए ठोस कदम उठाएगी। क्या केजरीवाल अपना वादा पूरा करेंगे, या भाजपा इस मुद्दे को भुनाकर दिल्ली की सत्ता में वापसी करेगी? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।