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बारामुला में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़

जम्मू-कश्मीर के बारामुला में मंगलवार रात सुरक्षाबलों को आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर इलाके की घेराबंदी की गई। आतंकियों ने खुद को घिरा हुआ देख सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी। जिसके बाद से दोनों तरफ से गोलीबारी जारी है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक एक से दो आतंकी घिरे हुए हैं। 

आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर सेना, सीआरपीएफ और एसओजी की संयुक्त टीम इस ऑपरेशन को लीड कर रही है। आपको बता दें की बीते दिनों जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पिछले एक पखवाड़े के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकियों पर बेहद सख्त शिकंजा कसा है। इस दौरान आतंकवादी घटनाएं बिल्कुल बंद थी, न तो कोई आतंकी हमला हुआ और न ही कोई एनकाउंटर।
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दरअसल सुरक्षाबलों के भारी दवाब के चलते आतंकी तथा उनके मददगार ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) मांद में छिप गए हैं। सुरक्षाबलों ने ऐसी रणनीति बनाई है कि आम लोगों के साथ उसका संपर्क ही न होने पाए। इसके चलते पथराव की घटनाएं भी कम हुई हैं। 

सुरक्षा एजेंसियों के पास मौजूद इनपुट के अनुसार, घाटी में फिलहाल 300 आतंकी सक्रिय हैं। ओजीडब्ल्यू की संख्या छह हजार से अधिक है। यह ओजीडब्ल्यू ही आतंकियों को मदद पहुंचाने के साथ घाटी में हिंसा तथा पत्थरबाजी को भी बढ़ावा देते हैं। इनकी गतिविधियों पर सुरक्षाबलों की पैनी निगाह होने की वजह से यह गड़बड़ी नहीं फैला सके। बताते हैं कि सुरक्षाबलों के दबाव के चलते आतंकियों का मूवमेंट बिल्कुल बंद हो गया है। गांव छोड़कर ये सुरक्षित ठिकाने की ओर चले गए हैं। कई ओजीडब्ल्यू तो घाटी से बाहर भी निकल गए हैं। 

अनुच्छेद 370 के हटने से पहले जब जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबल इस महीने के शुरुआत में भेजे गए तभी से लगभग आतंकी संगठनों तथा अलगाववादियों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया था। चार अगस्त को सुरक्षा बलों ने चप्पे-चप्पे पर अपनी पहुंच बढ़ा दी।

इसके बाद पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने की घोषणा के साथ ही सख्ती और बढ़ा दी गई। चाहे उत्तरी कश्मीर हो या फिर आतंकियों का गढ़ कहा जाने वाला दक्षिणी कश्मीर या फिर अलगाववादियों का गढ़ मध्य कश्मीर हो, सभी जिलों में पाबंदियां लागू कर दी गईं। शांति व्यवस्था भंग होने का खतरा बनने वाले लोगों को हिरासत में ले लिया गया। नेताओं की आवाजाही पर एक तरह से पाबंदी लगा दी गई। एक फुलप्रूफ रणनीति के तहत संपर्क काट कर आतंकी घटनाओं तथा पत्थरबाजी पर रोक लगा दी गई। प्रशासन ने इंटरनेट सेवा ठप कर सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलने से रोक दिया। संचार सेवा बंद किए जाने से भी एक दूसरे तक दुष्प्रचार पर रोक लगा दी गई। इन सब वजहों के चलते पत्थरबाजों को भड़काने का मौका नहीं मिल पाया। इसके चलते ही बकरीद तथा जुमे की नमाज सकुशल संपन्न हो गई। पहले इन दो दिनों में भारी हिंसा की खबरें आती थीं। 

News Desk

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