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गुड़ से गोल्ड तक: Muzaffarnagar में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला से बदलने जा रही है किसानों की किस्मत!

मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) उत्तर प्रदेश सरकार की एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना अब केवल कागजों तक सीमित नहीं रह गया है। इस दिशा में एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है। इसी कड़ी में आज मुजफ्फरनगर स्थित गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र के हॉल में एक अहम और परिवर्तनकारी पहल देखने को मिली।
सहायक चीनी आयुक्त डॉ. मनीष कुमार शुक्ल की अगुवाई में ‘गुड़ उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन’ विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जिले भर के गुड़ उत्पादक और उद्यमी भारी संख्या में पहुंचे।


🔬 ऑनलाईन विशेषज्ञों की क्लास: गुड़ उत्पादन में नई तकनीक और गुणवत्ता का पाठ

कार्यशाला में गन्ना शोध संस्थान, शाहजहांपुर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रियंका सिंह ने ऑनलाईन माध्यम से जुड़ते हुए गुणवत्ता युक्त गुड़ उत्पादन और उसके मूल्य संवर्धन पर बेहद तकनीकी और व्यावहारिक जानकारी दी। उन्होंने जैविक खेती से लेकर नवीनतम प्रोसेसिंग यूनिट्स की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिससे किसानों की आय में दोगुनी बढ़ोतरी संभव हो सके।

🔗 APEDA jaggery export से गुड़ जाएगा विदेश!

इसके बाद एपीडा शाखा वाराणसी (APEDA) के श्री देवेंद्र त्रिपाठी ने किसानों को गुड़ के निर्यात से जुड़ी अहम जानकारियाँ दीं। उन्होंने बताया कि भारत का गुड़ अब केवल गांवों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में उसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। श्री त्रिपाठी ने गुड़ उत्पादकों को APEDA रजिस्ट्रेशन, एक्सपोर्ट प्रक्रिया, और गुणवत्ता मापदंडों की बारीकियाँ विस्तार से समझाईं।


🛡️ खाद्य सुरक्षा और लाइसेंस प्रक्रिया: सफेदपोश के लिए जरूरी हर नियम की जानकारी

मुजफ्फरनगर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री शिव कुमार मिश्रा ने गुड़ की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए आवश्यक पंजीकरण, लाइसेंसिंग प्रक्रिया, एवं खाद्य मानकों को समझाया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि FSSAI रजिस्ट्रेशन न होने पर किसानों को किस तरह की कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।


🌱 जैविक खेती और गांव की कहानी: किसान योगेश बालियान की प्रेरक यात्रा

कार्यशाला में मौजूद बरवाला गांव के उन्नत किसान श्री योगेश बालियान ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने जैविक खेती से न केवल लागत घटाई, बल्कि गुड़ उत्पादन को नया आयाम भी दिया। उन्होंने बताया, “हमारा गुड़ अब गांव की गलियों से निकलकर शहरों की दुकानों और ऑनलाइन मार्केट तक पहुँच रहा है।”


🏆 GI Tag Jaggery से मिला पहचान का ताज: उद्यमी रोबिन का जोश

गुड़ उद्योग में नवाचार लाने वाले GI टैग प्राप्त उद्यमी श्री रोबिन ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने परंपरागत गुड़ को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication Tag) के माध्यम से पहचान दिलाई। उन्होंने उपस्थित किसानों से अपील की कि अधिक से अधिक लोग GI टैग के लिए आवेदन करें और वैश्विक स्तर पर यूपी के गुड़ को ब्रांड बनाएं।


🧪 गन्ना रोग और फसल उन्नति: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाधान

गन्ना किसान संस्थान के प्रशिक्षक डॉ. राम बरन सिंह ने किसानों को गन्ने की उन्नत किस्में, रोग नियंत्रण तकनीक और सस्टेनेबल कृषि पद्धतियों पर गहन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे “स्मार्ट फार्मिंग टेक्नोलॉजी” के जरिये उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।


🤝 प्रशासनिक आश्वासन: भविष्य में और बड़े कार्यक्रमों की तैयारी

कार्यशाला के अंत में सहायक चीनी आयुक्त डॉ. मनीष कुमार शुक्ल ने यह आश्वासन दिया कि आने वाले समय में ऐसे कार्यक्रम और भी बड़े स्तर पर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि “हमारा उद्देश्य न सिर्फ उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि मूल्य संवर्धन के जरिये किसान को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।”


🌟 किसानों का उत्साह और अधिकारियों का सहयोग: एक आदर्श समन्वय

कार्यशाला के सफल आयोजन में श्री मनोज कुमार पाठक, श्री प्रमोद कुमार एवं श्री उमेंद्र कुमार (खांडसारी निरीक्षक) का विशेष सहयोग रहा। साथ ही सहायक चीनी आयुक्त कार्यालय, मुजफ्फरनगर के कर्मचारियों ने आयोजन की हर तकनीकी, प्रशासनिक और प्रबंधन जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाया। आयोजन स्थल पर व्यवस्थाओं का मानक देखकर यह साफ था कि किसानों को सम्मान और सुविधाएं देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई।


💥 गुड़ उद्योग को नया पंख: अब गांवों से उड़ान भरने को तैयार हैं किसान

आज की यह कार्यशाला न सिर्फ एक आयोजन था, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है। उत्तर प्रदेश सरकार के ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी मिशन में अगर कोई असली नायक है, तो वह किसान है — और जब बात हो गुड़ की, तो मुजफ्फरनगर का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।


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यह प्रशिक्षण कार्यशाला मुजफ्फरनगर में गुड़ उत्पादन को लेकर नई उम्मीदें लेकर आई है। विशेषज्ञों की सलाह, प्रशासन की मदद और किसानों का जज़्बा मिलकर न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक स्तर पर ‘गुड़’ को एक ब्रांड बनाएंगे। अब समय है परंपरा और तकनीक के संगम से एक नए युग की शुरुआत का!

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