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Iran में हिजाब कानून पर रोक: महिलाओं की आज़ादी की नई उम्मीद या सरकार का नया खेल?

Iran ने अपने विवादास्पद “हिजाब और शुद्धता कानून” पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिससे देश और दुनिया भर में इस पर चर्चा तेज़ हो गई है। यह फैसला उस समय आया है जब 2022 में महसा झीना अमिनी की मौत के बाद पूरे ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था। इस आंदोलन ने सरकार को मजबूर किया कि वह हिजाब से संबंधित कठोर कानूनों पर पुनर्विचार करे।

महसा झीना अमिनी की मौत ने भड़काया विरोध

महसा झीना अमिनी, एक 22 वर्षीय युवती, पुलिस हिरासत में मारी गई थी। उन पर हिजाब ड्रेस कोड का उल्लंघन करने का आरोप था। इस घटना ने ईरान के हर कोने में आक्रोश फैला दिया। महिलाएं सड़कों पर उतर आईं, उन्होंने अपने बाल खुले छोड़कर और हिजाब जलाकर अपनी नाराजगी ज़ाहिर की।

यह विरोध केवल ईरान तक सीमित नहीं रहा। दुनिया भर में लोगों ने महसा अमिनी के समर्थन में प्रदर्शन किया। वैश्विक मंच पर ईरानी सरकार की आलोचना की गई। मानवाधिकार संगठनों ने इसे महिलाओं की आज़ादी पर हमला करार दिया।

क्या है विवादास्पद “हिजाब और शुद्धता कानून”?

ईरान का यह कानून महिलाओं के लिए बेहद कठोर प्रावधान रखता है। इसके तहत अगर कोई महिला अपने बालों, बाजुओं या घुटनों को पूरी तरह नहीं ढकती, तो उसे 15 साल की जेल और भारी जुर्माना झेलना पड़ सकता है।

यह कानून पिछले शुक्रवार से लागू होना था, लेकिन राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन की आपत्तियों के कारण इसे टाल दिया गया। उन्होंने कहा था कि यह कानून अस्पष्ट है और इसमें सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार का महिलाओं पर अपनी इच्छाएं थोपने का कोई अधिकार नहीं है।

मानवाधिकार संगठनों की कड़ी प्रतिक्रिया

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे “दमनकारी कानून” करार दिया। उनका कहना है कि यह कानून ईरानी महिलाओं और लड़कियों की स्वतंत्रता को और कुचलने का प्रयास है।

एमनेस्टी ने कहा, “ईरानी अधिकारी पहले से ही महिलाओं को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठा रहे हैं, और यह कानून उनके जीवन को और अधिक नियंत्रित और कठिन बना देगा।”

पारस्तू अहमदी की गिरफ्तारी से भड़का विरोध

इस बीच, यूट्यूबर पारस्तू अहमदी की गिरफ्तारी ने विरोध को और हवा दे दी। पारस्तू ने बिना हिजाब के, बिना आस्तीन की पोशाक में एक वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट किया था, जिसमें वह चार पुरुष गायकों के साथ गा रही थीं। यह वीडियो वायरल हो गया और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

उनकी गिरफ्तारी के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह सरकार की महिलाओं पर अत्याचार की नीति का हिस्सा है। बढ़ते दबाव के चलते पारस्तू और उनके साथ गिरफ्तार बैंड सदस्यों को अगले ही दिन रिहा कर दिया गया।

300 से अधिक एक्टिविस्ट्स का संयुक्त बयान

ईरान में पिछले सप्ताह 300 से अधिक लेखकों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नए हिजाब कानून के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान जारी किया। उन्होंने इसे अवैध और असंवैधानिक करार दिया।

उन्होंने कहा, “यह कानून महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए। यह महिलाओं की व्यक्तिगत आज़ादी पर हमला है।”

ईरान में बदलते सामाजिक समीकरण

महिलाओं के विरोध और सरकार की आलोचनाओं के बीच ईरान में सामाजिक और राजनीतिक समीकरण बदलते नज़र आ रहे हैं। महिलाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों को लेकर समझौता नहीं करेंगी।

ईरानी सरकार के सामने अब एक बड़ी चुनौती है। एक तरफ वह कट्टरपंथियों को संतुष्ट रखना चाहती है, तो दूसरी तरफ वह महिलाओं और युवाओं के बढ़ते आक्रोश को शांत करने का रास्ता खोज रही है।

क्या यह रोक स्थायी होगी?

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कानून पर फिलहाल रोक लगा दी है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। महिलाओं की आज़ादी की लड़ाई सिर्फ एक कानून तक सीमित नहीं है। यह पूरे समाज के दृष्टिकोण और सरकार की मानसिकता में बदलाव की मांग करती है।

क्या कहता है भविष्य?

महिलाओं की आज़ादी के लिए यह लड़ाई लंबी है। लेकिन महसा झीना अमिनी की मौत से जो चिंगारी भड़की, उसने यह साबित कर दिया है कि ईरानी महिलाएं अब पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

News-Desk

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