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लड़ाकू विमानों और सैन्य संपत्ति को हवाई ठिकानों पर तैनात करना शुरू

भारत और चीन के बीच सीमा पर चल रहे विवाद के बीच भारतीय वायु सेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया लेह और श्रीनगर के दो दिवसीय दौरे पर थे। वहीं, सीमा विवाद के मद्देनजर वायु सेना ने अपने लड़ाकू विमानों और अपनी सैन्य संपत्ति को हवाई ठिकानों पर तैनात करना शुरू कर दिया है। ताकि समय आने पर पूर्वी लद्दाख में किसी भी अभियान को अंजाम दिया जा सके। 

लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 जवानों के शहीद होने के बाद देश के शीर्ष अधिकारियों द्वारा स्थिति और सैन्य विकल्पों की समीक्षा करने के तुरंत बाद वायु सेना प्रमुख का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण रहा। 

सरकार के सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि वायु सेना प्रमुख भदौरिया लेह-श्रीनगर की दो दिवसीय यात्रा पर थे, जहां उन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के हमले के मद्देनजर उन सभी प्लेटफार्मों की परिचालन तत्परता की जांच की, जिन्हें क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया है। चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 10 हजार से अधिक सैनिक इकट्ठा किए हैं। 

सूत्रों ने बताया कि दौरे के पहले चरण में वह 17 जून को लेह पहुंचे और फिर वहां से वह 18 जून को श्रीनगर एयरबेस गए। दोनों ही हवाई बेस पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के पास स्थित हैं और इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी लड़ाकू विमान वाले अभियान को सुचारू रूप से करने के लिए सक्षम हैं। यहां से चीनी सैनिकों पर बढ़त भी हासिल की जा सकती है। 

जब वायु सेना प्रमुख के लेह और श्रीनगर दौरे को लेकर वायु सेना के प्रवक्ता विंग कमांडर इंद्रनील नंदी से पूछा गया तो उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। 

इसी बीच, वायु सेना ने सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000 और जगुआर लड़ाकू विमान बेड़े सहित अपनी महत्वपूर्ण अग्रिम पंक्ति के विमानों को उन्नत पदों पर स्थानांतरित कर दिया है जहां से वे किसी भी लड़ाकू अभियान का संचालन करने के लिए बहुत कम समय में उड़ान भर सकते हैं।

पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सेना के जवानों को हवाई सहायता प्रदान करने के लिए अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टरों को उन क्षेत्रों के करीब के इलाके में तैनात किया गया है, जहां जमीनी सैनिकों द्वारा कार्रवाई की जा रही है।

 

 

News-Desk

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