अपनी कलम से-वीरो को शत शत नमन
आज फिर दुश्मन ने हम पर,
पीठ पीछे से वार किया,
चंद कुत्तो ने मिलकर फिरसे,
शेरो का संहार किया ।।
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नतमस्तक हूँ उन वीरो पर,
जो अपनी जान लुटा बैठे,
माँ की लाज तो बचा गये
पर खुद के प्राण लुटा बैठे ।।
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ना नेताओ का अंश मिटा,
ना मंत्रियो का बाल गया
फिर किसी अदभुत जननी का,
एक नन्हा मुन्ना लाल गया…
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किसी बहन का भाई गया,
किसी घर का चिराग गया
उस पर क्या गुजरी होगी,
जिस पवित्र का सुहाग गया ।
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दिल्ली अब तो बतलाये,
ऐसी भी क्या लाचारी है,
भारत के बब्बर शेरो पर,
क्यो कुत्तो की टोली भारी है
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दरबारों लज्जित ना करो हमको,
हम पहले से शर्मिंदा है,
भारत को गाली देने वाले,
अब भी सड़को पर जिंदा है ।
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निर्णय कठोर करो अपना अब,
ना मुलाकात करो,ना बात करो,
56 इंची सीना दिखलाकर,
दुश्मन पर सीधे घात करो ।।
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करदो संसोधन संविधान में,
कानून एक नया बना दो तुम,
जीवन रहते हुए बस एक बार,
हर युवा,सरहद पर पहुंचा दो तुम।।
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इतना भी ना छुपाओ अब
कि चेहरा दागी ना हो जाये,
मत डालो बेड़िया पाँव में,
सैनिक बागी ना हो जाये ।।
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आज हुए इस हमले में,
कुछ तो खोट मेरा भी है,
कायर बैठा दिये दिल्ली में,
उसमे एक वोट मेरा भी है।
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नित होती ऐसी घटनाओ पर,
दरबारों की चुप्पी भारी है,
दिल्ली अब भी जो मौन रही,
ये देश के साथ गद्दारी है ।।।
रचनाकार:
इं0 दीपांशु सैनी (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश) उभरते हुए कवि और लेखक हैं। जीवन के यथार्थ को परिलक्षित करती उनकी रचनाएँ अत्यन्त सराही जा रही हैं। (सम्पर्क: 7409570957)