मानखुर्द-शिवाजी नगर का चौंकाने वाला चुनावी परिणाम: Abu Azmi ने मारी बाज़ी, मुस्लिम वोट बैंक की ताकत फिर दिखी!
महाराष्ट्र में हुए विधानसभा उपचुनावों ने राज्य की राजनीति को नई दिशा दी है। इन चुनावों में महायुति गठबंधन (बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट और अन्य) ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का लगभग सफाया कर दिया। लेकिन मुंबई के मानखुर्द-शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र ने इस बार खासा ध्यान खींचा। इस क्षेत्र को मुस्लिम बहुल माना जाता है, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 50% से अधिक है।
यहां चुनावी लड़ाई ने दिलचस्प मोड़ लिया। समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रदेश प्रमुख और वर्तमान विधायक अबू आसिम आजमी (Abu Azmi) ने एक बार फिर बाजी मारी। उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी एनसीपी के नवाब मलिक और एआईएमआईएम के अतीक अहमद खान रहे।
कड़ी टक्कर के बावजूद अबू आजमी की बढ़त
Abu Azmi का राजनीतिक प्रभाव इस सीट पर दशकों से कायम है। उन्होंने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में लगातार जीत दर्ज की है। इस बार भी मतगणना के शुरुआती रुझानों से ही उनकी बढ़त साफ नजर आने लगी थी।
नवाब मलिक, जिन्हें एनसीपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, चौथे स्थान पर सिमटते दिखे। वहीं एआईएमआईएम के अतीक अहमद खान ने मुस्लिम वोटरों का बड़ा हिस्सा अपनी ओर खींचा, जिससे वह दूसरे स्थान पर रहे। एकनाथ शिंदे की शिवसेना से जुड़े महायुति उम्मीदवार सुरेश पाटिल तीसरे स्थान पर रहे।
मुस्लिम वोट बैंक का विभाजन: बड़ा खतरा टला
चुनावों से पहले यह डर था कि मुस्लिम वोटों का विभाजन सत्ताधारी गठबंधन को फायदा पहुंचा सकता है। मुस्लिम समुदाय के भीतर एआईएमआईएम और एनसीपी के बीच समर्थन को लेकर चर्चा थी। हालांकि, अबू आजमी ने अपनी स्थिति मजबूत रखी और यह सुनिश्चित किया कि उनका राजनीतिक कद कायम रहे।
अबू आजमी के खिलाफ शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर रणनीति बनाई थी। बीजेपी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह नवाब मलिक को समर्थन नहीं देगी। इसके बजाय उन्होंने शिवसेना उम्मीदवार पाटिल का समर्थन किया।
राजनीतिक विश्लेषण: क्यों जीते अबू आजमी?
अबू आजमी की जीत के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं:
- स्थानीय जुड़ाव और विश्वसनीयता: आजमी पिछले कई सालों से मानखुर्द-शिवाजी नगर के मतदाताओं के साथ जुड़े रहे हैं। उनका मजबूत ग्राउंड नेटवर्क और जनसंपर्क ने उन्हें अजेय बना दिया।
- विकास का मुद्दा: आजमी ने क्षेत्र में सड़क, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार पर जोर दिया। यह उनके पक्ष में गया।
- मुस्लिम मतदाता: मुस्लिम वोटरों का एक बड़ा वर्ग अबू आजमी के समर्थन में एकजुट रहा।
- एनसीपी और एआईएमआईएम का प्रदर्शन: एनसीपी और एआईएमआईएम मुस्लिम वोटरों का भरोसा हासिल करने में नाकाम रही।
मानखुर्द-शिवाजी नगर: एक राजनीतिक परीक्षण भूमि
यह सीट केवल एक निर्वाचन क्षेत्र नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति का आईना भी है। यहां के नतीजे राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण संकेत देते हैं।
आंकड़े और रुझान
- अबू आसिम आजमी (एसपी): पहले स्थान पर
- अतीक अहमद खान (एआईएमआईएम): दूसरे स्थान पर
- सुरेश पाटिल (शिवसेना – महायुति): तीसरे स्थान पर
- नवाब मलिक (एनसीपी): चौथे स्थान पर
भविष्य की राजनीति पर असर
Abu Azmi की इस जीत से यह साफ हो गया है कि महायुति गठबंधन की लहर हर जगह नहीं चली। मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थानीय नेताओं का प्रभाव ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह परिणाम 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी संकेत देता है।
शिवसेना और बीजेपी के लिए सबक:
महायुति को इस हार से सबक लेना होगा। मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की उनकी कोशिश नाकाम रही। इसके अलावा, नवाब मलिक जैसे एनसीपी उम्मीदवार का कमजोर प्रदर्शन भी एमवीए के लिए चिंता का विषय है।
अबू आजमी की जीत का संदेश
अबू आजमी की जीत ने यह साबित कर दिया कि राजनीतिक अनुभव, जनता से जुड़ाव और विकास की प्राथमिकता हमेशा कामयाब होती है। मुस्लिम समुदाय का समर्थन और उनकी कुशल रणनीति ने उन्हें एक बार फिर विजयी बनाया।