मंगल ग्रह: कब शुभ-कब अशुभ
एक तरफ मंगल जहाँ मांगलिक दोष उत्पन्न करके दाम्पत्य जीवन के लिए सबसे खराब स्थिति पैदा करने वाला ग्रह माना जाता है, वहीं मांगलिक दोष के कारण वैवाहिक जीवन को तहस-नहस करने वाला कहा गया है ! परन्तु मंगल ग्रह आर्थिक सम्पन्नता एवं भूमि-भवन, वाहन आदि की समृद्धि को भी दर्शाता है ! इसमें कोई संदेह नहीं कि मंगल के द्वारा कुंडली मांगलिक होने पर दाम्पत्य जीवन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, किन्तु यहाँ यह बात भी नहीं भूलना है कि मंगल का वैवाहिक जीवन पर दुष्प्रभाव तभी पड़ सकता है, जब मंगल वास्तव में योग, भाव, राशि एवं दृष्टि सम्बंध की विशेष अवस्था के कारण अशुभ हो !
यदि मंगल इस प्रकार अशुभ नहीं है, तब यही मंगल वैवाहिक जीवन को अत्यंत मधुर, सुखी एवं सम्पन्न बना देता है ! मंगल चौथे अथवा सातवें भाव में बैठा हो तो कुंडली मांगलिक कहलाएगी ही ! किन्तु यदि यही मंगल मेष राशि का होकर लग्न में सूर्य के साथ अथवा चौथे भाव में मकर राशि का होकर शनि के साथ हो तब वह व्यक्ति धन-धान्य से संपन्न होकर सबसे सुखी एवं शांत जीवन व्यतीत करेगा इसमें कोई संदेह नहीं है ! इसी प्रकार यदि मंगल भले ही आठवें भाव में क्यों न हो, किन्तु लग्नेश एवं सप्तमेश की युति केंद्र में हो, तब उस जातक का वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखी एवं यशस्वी होगा !
मंगल भले ही बारहवें भाव में स्थित हो, किन्तु यदि गुरु या शुक्र में से कोई भी एक उच्चस्थ होकर एक-दूसरे के साथ केंद्र में कहीं भी बैठे हों तब दाम्पत्य जीवन सुखी होगा ! इसके विपरीत देखें तो दसवें भाव में मंगल रहने से कुंडली मांगलिक नहीं होती है ! तब हम इस भाव में मंगल को उच्च मकर राशि में दसवें भाव में मान लेते हैं, तथा दशमेश को शुभ केंद्र लग्न में शुभ ग्रह बुध के साथ युति मान लेते हैं ! इस प्रकार सभी तरह से मंगल के शुभ होने पर भी वैवाहिक जीवन अनर्थकारी हो जाता है !
जातक दर-दर का भिखारी एवं जाति, समाज से बहिष्कृत हो जाता है ! इसमें तो कोई संदेह ही नहीं है कि अगर कुंडली में मंगल कमजोर हुआ तो आदमी गरीब हो जाता है ! कहा जाता है की मंगल अगर आठवें अथवा बारहवें भाव में हो तब आदमी मांगलिक हो जाता है, किन्तु अगर मंगल आठवें या बारहवें भाव में अपने घर में हो या आठवें घर में बारहवें घर के स्वामी के साथ अथवा बारहवें घर में आठवें भाव के स्वामी के साथ हो तो सरल एवं विमल नामक शुभ योग बनते हैं ! कुंडली मांगलिक होने की मात्र कुछ एक शर्तें ही हैं ! जिससे कुंडली मांगलिक हो जाती है, अन्यथा कुंडली में मंगल अगर कम डिग्री, पापपूर्ण अथवा अस्त आदि से कमजोर न हो तो जीवन धन-धान्य पूर्ण शांत एवं सुखी हो जाता है !
वैसे तो नाम के अनुरूप मंगल हमेशा मंगल ही करता है ! परन्तु विविध भ्रांतियों ने इस देवग्रह की महिमा ही खंडित कर दी है ! जो मंगल भूमि-भवन एवं वाहन का द्योतक है, जिस मंगल के कारण वंश वृद्धि होती है, जो मंगल स्थायी संपदा का द्योतक है, जो मंगल विवाह जैसा पवित्र बंधन प्रदान करता है, जो मंगल रक्त का कारक है ! उस मंगल को इतना बदनाम कर दिया गया है की आम जनता इससे सदा भयभीत रहती है ! यह जान लेना चाहिए की मंगल यदि कमजोर हो तो वंश वृद्धि रुक जाएगी ! धन-संपदा नष्ट हो जाएगी ! साहस एवं पराक्रम क्षीण हो जाएगा !
कुण्डली में मंगलिक दोष दृश्यरूप में भले मांगलिक दिख रहा हो परन्तु बहुत सारी ऐसी स्थितियाँ हैं जिनके बनने पर मंगल दोष समाप्त हो जाता है ! मंगल पराक्रम का ग्रह है, अतः यह खराब स्थिति में होने पर अपना खराब प्रभाव सम्बन्धित जातक के जीवन में अवश्य परिलक्षित होता है !
मांगलिक दोष के निवारण के भी अनेको उपाय बताये गये हैं, उनका सफलता पूर्वक पालन कर इस दोष से निजात पाया जा सकता है !