गोबर (Cow dung) के औषधीय गुण एवं प्रयोग: क्या है सच्चाई?
गोबर (Cow dung) को गाय का पैखाना नहीं समझें बल्कि गोबर एक उपयोगी औषधि है पश्चिमी सभ्यता के प्रभावित हिंदुओं के घरों में आज भी घर की शुद्धि के लिए गोबर (Cow dung) ही लिपा पोता जाता है। पौराणिक परिवारों में पुरोहित जी गोबर Cow dung) से ही गौरी बनाकर विवाह और पूजा करते हैं ।आर्यों ने गोबर के प्रयोगों को आनन-फानन में ही नहीं प्रारंभ किया परंतु इसके पीछे वैज्ञानिक सूझबूझ है।
👉🏼सच्चाई से गोबर (Cow dung) के प्रयोग का अध्ययन करें और लाभ उठाएं—
1.टीवी(क्षय रोग) और हैजा– इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर जी.ई. बोंगेट ने यह सिद्ध किया की ताजी गोबर से टीवी और मलेरिया के कीटाणु मर जाते हैं उनका अनुभव है कि प्राथमिक अवस्था में कीटाणु हो तो गोबर के गंध से ही मर जाते हैं गोबर के इस अलौकिक गुण के कारण इटली के अधिकांश स्वस्थ गृहों में गोबर का उपयोग किया जाता है।
2. गोबर की Cow dung) लिपाई घर की लिपाई गोबर से ही करनी चाहिए सत्यार्थ प्रकाश के दशम समुल्लास में प्रश्न पूछा गया जो गाय के गोबर से चौका लगाते हो तो अपने गोबर से क्यों नहीं लगाते? गोबर के चौके में जाने से चौका अशुद्ध क्यों हो जाता है इसके उत्तर में स्वामी दयानंद सरस्वती ने बताया कि गाय के गोबर से वैसा दुर्गंध नहीं होता जैसा कि मनुष्य के मल से होता है गोबर चिकना होने से स्लीप नहीं करता, ना कपड़ा बिगड़ता है और ना ही मलिन होता है जैसा मिट्टी से मिल सकता है वैसे सूखे गोबर से नहीं होता
मिट्टी और गोबर से जिस स्थान कालेपन करते हैं वह देखने में अति सुंदर होता है और जहां रसोई बनती है वहां भोजन आदि करने से भी ईश्वरीय आशीर्वाद और उत्कृष्ट भी गिरता है उसे लंबे खेड़ी आदि बहुत से जीव उस स्थान पर नहीं आती। जो उसमें झाड़ू लेपन आदि से शुद्धि प्रतिदिन न करता हो या नहीं खाने के सामान व स्थान हो जाता है
इसलिए प्रतिदिन गोबर Cow dung) मिट्टी झाड़ से सर्वथा शुद्ध रखना और जो पक्का मकान हो तो जल से धोकर के शुद्ध रखना चाहिए ।मार्कंडेय पुराण में भी गोबर से लिपने का निर्देश दिया गया है वहां कहा गया है कि प्रातकाल स्त्रियों को अपना घर गोबर से लिपना चाहिए जिस स्थान को गोबर से लीपा जाता है उस स्थान पर छोटे-मोटे खेड़ी नहीं आते जैसे चिंटी, मक्खी और मच्छर आदि।
3. रतौंधी का इलाज रतौंधी में गांव के ताजे गोबर का रस निचोड़ कर के आंखों में काजल के जैसा लगाने से 10 दिन में ही रोग से छुटकारा मिल जाता है एक अन्य अनुभवी विद्वान ने मुझे बताया हैं कि गाय के गोबर के रोज़ 3 4 दिन में तीन चार बार आंखों में डालने से एक ही दिन में खत्म हो जाती है ।ईश्वर ने गाय की रचना करके मनुष्य मात्र का बहुत बड़ा उपकार किया है गाय में ऐसी शक्ति होती है कि वह अपने चारे से विद्युत प्रभावित भाग को बदलकर कैल्शियम बना देती है
बताते हैं कि आकाश से गिरने वाली बिजली जब गाय के गोबर पर गिरती है तो वही कुंठित हो जाती है किंतु उसका सारा तेज वहीं पर नष्ट हो जाता है एक अन्य अनुभवी विद्वान का कथन है कि गाय के आसपास रहने वाले के पास यक्ष्मा तथा क्षय रोग जिसे टीवी कहा जाता है वह कभी हो ही नहीं सकता। संभवत यही कारण है कि गांव में बसने वाले किसान इन सारे रोगों से दूर रहते हैं । इस कारण शहर के लोग इसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
4. शरीर के शोथ पर –यदि शरीर में सूजन हो तो रोगी को कई दिनों तक देसी गाय का पेशाब अल्प मात्रा में गोमूत्र पिलाना चाहिए और सूजन पर उसकी मालिश भी करनी चाहिए। गोमूत्र पेट के समस्त रोगों की सबसे अच्छी दवा है ।जैसे ही कोई विकार उदर में जन्मे तभी गोमूत्र के सेवन करने से उस रोग से मुक्ति मिल जाती है और उदर भी शुद्ध हो जाता है।
5. जलने पर_ जले हुए स्थान पर गाय के गोबर लगा लें शीघ्र आराम आ जाएगा और निशान भी नहीं पड़ेगा।
6. नकसीर_ गाय के गोबर (Cow dung) को कपड़े से बांधकर रस निचोड़ लें और इस रस को 3 4 बूंद नाक में डालकर एक बार भी डाल कर देखें। नाक से खून आना बंद हो जाएगा।
7. त्वचा के रोग_ गाय के गोबर (Cow dung) के सारे शरीर में भली-भांति लगाकर धूप में बैठ जाए ऐसा करने से दाद खाज और अन्य चर्म रोग नष्ट हो जाएंगे शरीर में यदि कहीं चोट लगी हो तो थोड़ा भी नहीं होगा उसके गोबर की पट्टी बांधने से काफी आराम हो जाएगा।
8. पागलपन_ यदि किसी को पागलपन हो तो गाय के ताजे गोबर के रस को भी में मिलाकर के पिलाना चाहिए इस प्रकार कुछ दिन प्रयोग करने से गाय रोगी को आश्चर्यजनक लाभ होगा।
9. सूखा रोग में भैंस का ताजा गोबर प्रातः समय लेकर बच्चे की कमर और जांघों पर 5 मिनट तक अच्छी तरह मिले इसके पश्चात गरम गरम पानी सहने लायक से धो दें। रोगी के कमर पर काले रंग के छोटे-छोटे कांटे दिखाई देंगे इसे निकलें कांटों को जल्दी-जल्दी । उपरोक्त क्रिया को दूसरे दिन पुनः करें कुछ दिन के पश्चात काटों का निकलना बंद हो जाएगा और रोगी बच्चा स्वस्थ हो जाएगा प्रयोग कुछ दिन तक करें।
10. गठिया_ पर गाय के गोबर (Cow dung) को उबालकर लेप करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
11. अपस्मार– एक महात्मा का अनुभूत प्रयोग है कि गाय के गोबर दो तीन अन्य वस्तुओं से तैयार की वही पंचामृत के साथ वेतन करने से मिल गई हिस्ट्रीया आदि ज्ञान तंतुओं के रोग दूर हो जाते हैं इसका अनुभव है कि गाय का दूध 20 तोला, गाय की दही की 11 तोला, गाय का घी 10 तोला, शहद 4 तोला, गोमूत्र 5 तोला ,गोबर का रस ढाई तोला इन सब को कांच अथवा मिट्टी के बर्तन में घोलकर के एक रस निकालें। स्नान करने के पश्चात सूर्योदय के समय सूर्य के तरफ मुंह करके इस पंचामृत का प्रयोग करें। अवधि 40 दिन से 3 महीने तक है।
12. सर्पदंश यदि सांप ने काट लिया हो तो घाव पर बार-बार गाय के ताजे गोबर (Cow dung) से लिप करते रहने से सांप का विष का प्रभाव दूर होकर के रोगी स्वस्थ हो जाता है गाय एक औषधि है इसका समय समय पर प्रयोग करके हम लाभ उठा सकते हैं।

