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शनि प्रदोष व्रत- ऐसे करें पूजन, दूर हो जाएंगे सभी कष्ट

शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि भगवान की पूजा होती है। काला तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द शनि को बहुत प्रिय हैं। इसलिए इनके द्वारा शनि की पूजा होती है।

शनि की दशा को दूर करने के लिये यह व्रत किया जाता है। इस दिन शनि स्त्रोत का पाठ भी विशेष लाभदायक सिद्ध होता है। मान्यता है कि यह व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।

इस दिन यदि शनि से संबंधित कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो दुर्भाग्य भी दूर होता है। कहा तो यह भी जाता है कि यह व्रत अगर कोई स्त्री करती है तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन बिना जल पिए व्रत रखना होता है।

पूजन विधि
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इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शंकर, पार्वती और नंदी जी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग व इलायची अर्पित करनी चाहिए। सायंकाल में भी शिवजी की इसी तरह पूजा करें और पुनः एक बार उक्त सभी सामग्री भगवान को अर्पित करें।

-भगवान शिव की सोलह तरह की सामग्री से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद आठ दीपक अलग-अलग दिशाओं में जलाएं और दीपक रखते समय प्रणाम करें। यदि संभव हो तो इस दिन कांसे की कटोरी में तिल का तेल लेकर अपना चेहरा देखना चाहिये और जो भी शनिदेव के नाम का दान स्वीकार करता हो उसे तेल दान कर दें।

-इस दिन बूंदी के लड्डू यदि काली गाय को खिलाएंगे तो भाग्योदय होगा। इसके साथ ही काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलानी चाहिए।

-शनि प्रदोष के दिन कम से कम एक माला शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। जाप के दौरान उच्चारण शुद्ध रहना चाहिए।

इस दिन ध्यान देने योग्य कुछ और बातें इस प्रकार हैं-

-इस दिन हनुमान जी की भी पूजा करें।
-ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करें।
-गरीब को तेल में बने खाद्य पदार्थ खिलाएं।
-जरूरतमंदों की मदद करें
-शनिदेव की प्रतिमा को देखते समय भगवान की आंखों में नहीं देखें।
-इस दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है।

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धर्म के गूढ़ रहस्यों और ज्ञान को जनमानस तक सरल भाषा में पहुंचा रहे श्री रवींद्र जायसवाल (द्वारिकाधीश डिवाइनमार्ट,वृंदावन) इस सेक्शन के वरिष्ठ सामग्री संपादक और वास्तु विशेषज्ञ हैं। वह धार्मिक और ज्योतिष संबंधी विषयों पर लिखते हैं।

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