Author: Religious Desk

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Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि कलश स्थापित सामाग्री, मुहूर्त पूजन और विशेष उपाय

Chaitra Navratri 2024 माता के पूजा में कलश के नीचे रखे पात्र में जौ बोना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर ये जौ हरे-भरे निकलते हैं तो घर में सुख समृद्धि आती है और अगर ये जौ मुरझाए हुए निकलते हैं तो यह भविष्य में होने वाले किसी अशुभ घटना का संकेत हो सकता है. इसके अलावा पूजा सामग्री में मुख्य रूप से बंधनवार होता है

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Holi 2024: होली कब है? जानिए होलिका दहन का मुहूर्त और पूजा विधि-बन रहे हैं अत्यंत शुभ योग

Holi 2024 : होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्योहार है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं।

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Kalki Dham: इंटरलॉकिंग पद्धति पर बनेगा दुनिया का अनोखा मंदिर-कल्कि धाम मंदिर

Kalki Dham हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, कलियुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे और कलियुग का अंत करेंगे। कल्कि धाम के प्राचीन मंदिर के पास कल्कि पीठ में एक सफेद घोड़े की प्रतीमा भी लगी हुई है, जिसकी मान्यता है कि जब कल्कि अवतार लेंगे, तो वह सफेद घोड़े पर सवार होंगे।

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ग्रहों के बुरे प्रभाव: अशुभ Shani से हो सकता है लकवा?

Shani  देव भक्ति में लीन व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करने में सहायक होते हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को धैर्य, संयम, और न्यायपूर्ण बुद्धि प्राप्त होती है, जो उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं। इसलिए, शनि देव की उपासना से ही व्यक्ति अपने जीवन को एक उच्च स्तर पर पहुँचा सकता है।

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Makar Sankranti (मकर संक्रान्ति) का महत्व 2024, मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को? शंका समाधान

Makar Sankranti (मकर संक्रान्ति)  धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है. इस दिन पूजा, पाठ, दान, तीर्थ नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथा के अनुसार भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, लेकिन दक्षिणायन सूर्य होने के कारण बाणों की शैया पर रहकर उत्तरायण सूर्य का इंतजार करके मकर संक्रांति होने पर उत्तरायण में अपनी देह का त्याग किया, ताकि वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाएं.

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Karva Chauth व्रत आज-सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी चंद्रमा की पूजा?- Karwa Chauth 2023

Karva Chauth सती के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। इसलिए करवाचौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।Karwa Chauth 2023

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दिन के अनुसार चुनिए Lucky Colour: Positive Energy देता है रंगों का तालमेल

Lucky Colour कुछ रंगों से हमारा अच्छा तालमेल होता है, जो हमें ‘Positive Energy देते हैं। इसलिए कुछ खास रंग हमें ज्यादा आकर्षित करते हैं। इसे ही ‘कलर साइंस’ या रंग विज्ञान कहा जाता है। लेकिन ज्योतिष पर यकीन करने वाले भी दिन के लिहाज से रंगों का चयन करने लगे हैं। बड़े लोगों और बड़े शहरों से शुरू हुआ यह विश्वास अब मझोले शहरों के लोगों में पैठ बनाता जा रहा है। छोटे शहर में भी ऐसे कई लोग हैं, जो खास दिन में खास रंग के कपड़े पहनने को वरीयता देते हैं।

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Pitru Paksha 2023: जल्दी ही शुरू होने जा रहे हैं पितृ पक्ष,२९ सितम्बर को पूर्णिमा एवं प्रतिपदा का श्राद्ध होगा

Pitru Paksha 2023: जिन पूर्वजो का देहावसान पूर्णमासी में हुआ हो वे अपने पितृ का श्राद्ध पूर्णमासी (२९ सितम्बर २०२३) को करेगे । श्राद्ध कर्म दोपहर १२रू०० बजे से ३रू०० बजे तक होता है। पितरो के निमित्त सभी कार्य इसी अवधि में सम्पन्न करने चाहिए। पुराणो के अनुसार दक्ष प्रजापति की कन्या स्वधा का विवाह पितरो से हुआ था। इसलिए पितरो के निमित्त जो भी पदार्थ दिया जाए चाहे भोज्य पदार्थ हो या वस्त्र, दान-दक्षिणा हो स्वधा कहकर देना चाहिए तो स्वधा उसे पितरो के पास पहुँचा देती है।

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मंदिर के शिखर दर्शन का महत्व – Importance of Shikhar Darshan

Importance of Shikhar Darshan शिखर दर्शन पर जाते समय मंत्रों का जाप करें। यदि आपके इष्ट देवता भगवान शिव हैं तो शिखर दर्शन के समय ॐ नमः शिवाय का जाप करें। विष्णु के भक्तों के लिए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और माता रानी के भक्तों के लिए ‘मंत्र दुं दुर्गायै नमः’ का जाप करें, ताकि आपकी मनोकामना पूरी हो सके।

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क्यों मनाया जाता है RakshaBandhan का त्योहार?

RakshaBandhan 30 अगस्त 2023 को रात 09 बजकर 03 मिनट के बाद राखी बांधी जा सकती है। वहीं 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 7 मिनट से पहले राखी बांध सकते हैं।रक्षाबंधन मनाए जाने के संबंध में अनेक पौराणिक एवं ऐतिहासिक प्रसंगों का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि देवराज इंद्र बार-बार राक्षसों से परास्त होते रहे। वह हर बार राक्षसों के हाथों देवताओं की हार से निराश हो गए।

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Malmas 2023: आज से शुरू हो गया है मलमास, इस दौरान क्या करें और क्या नहीं?

Malmas 2023 मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधर आनंद ब्रह्मचारी ने बताया कि तीन वर्ष के भीतर अधिमास आता है. इसकी वैज्ञानिक वजह यह है कि सूर्य की परिक्रमा करने में पृथ्वी को 365 दिन 6 घंटे लगते हैं. सनातन धर्म में काल गणना पद्धति चंद्रमा पर आधारित है. चंद्रमा की सोलह कलाओं के आधार पर ही दो पक्षों का एक मास माना जाता है.

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