Religious

श्री कृष्ण Janmashtami : 8 वर्षों के पश्चात् मिल रहा है सभी तत्वों का दुर्लभ योग

Janmashtami   हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. इस त्योहार को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मदिन को श्रीकृष्ण जयंती या फिर जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. अनेकों वर्षों में कई बार भाद्रपद कृष्ण-जन्माष्टमी अष्टमी की अर्द्धरात्रि को वृष का चन्द्र तो होता है, परन्तु रोहिणी नक्षत्र नहीं होता। इसी पंचांग में प्रायः इस वर्ष 30 अगस्त, 2021 ई. को प्रायः सभी तत्वों का दुर्लभ योग मिल रहा है जोकि गत 8 वर्षों के पश्चात् बन रहा है अर्थात् 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अर्द्धरात्रिव्यापिनी अष्टमी तिथि, सोमवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृषस्थ चन्द्रमा का दुर्लभ एवं पुण्य दायक योग बन रहा है।

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस पूरे छः तत्वों के साथ इस दिन आधी रात के समय रोहिणी में यदि अष्टमी तिथि मिल जाए तो उसमें श्रीकृष्ण का पूजार्चन करने से तीन जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं, यह एक दुर्लभ योग होता है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र के योग के बिना हो तो “केवला” और “रोहिणी” नक्षत्र युक्त हो तो ‘जयन्ती’ कहलाती है। ‘जयन्ती’ में बुधवार या सोमवार का योग आ जाए तो वह अत्युत्कृष्ट फलदायक हो जाती है। ‘केवलाष्टमी’ और ‘जयन्ती’ में अधिक भिन्नता नहीं है, क्योंकि अष्टमी के बिना जयन्ती का स्वतन्त्र स्वरूप नहीं हो सकता।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार जन्म-जन्मान्तरों के पुण्यसंचय से ऐसा योग मिलता है। जिस मनुष्य को “जयन्ती” उपवास का सौभाग्य मिलता है, उसके कोटि जन्मकृत पाप नष्ट हो जाते हैं तथा जन्म-बन्धन से मुक्त होकर वह परम दिव्य वैकुण्ठादि भगवद् धाम में निवास करता है

‘पद्मपुराण’ के अनुसार जिन मनुष्यों ने श्रावण (भाद्रपद) में रोहिणी, बुधवार या सोमवार युक्तअथवा कोटि-कुलों की मुक्ति देने वाली नवमीयुक्त जन्माष्टमी का व्रत किया है वे प्रेतयोनि को प्राप्त हुए अपने पितरों को भी प्रेतयोनि से मुक्त कर देते हैं।

 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त- 30.08.2021, दिल्ली

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 29.08.2021-11:26 pm
अष्टमी तिथि समाप्त- 30.08.2021- 2 am
रोहिणी नक्षत्र आरंभ- 30.08.2021, 6:39 am
रोहिणी नक्षत्र समाप्त- 31.08.2021, 9:44 am

जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त- 30.08.2021, अर्धरात्रि 11:59 बजे से 12:44 am तक
कुल अवधि- 45 मिनट
व्रत पारण समय-31.08.2021, प्रातः 9:44 am के उपरांत

 

जन्माष्टमी की कथा- 

बरसात की एक रात में कारागार में देवकी और वासुदेव के यहां श्री कृष्ण का जन्म हुआ. देवकी क्रूर राजा कंस की बहन थी. कंस अपनी बहन से बहुत प्रेम करता था. लेकिन जिस दिन वासुदेव से देवकी का विवाह हुआ उसी दिन एक आकाशवाणी हुई कि देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगी. यह सुनते ही कंस घबरा गया और कंस ने देवकी और वासुदेव को विदा करने के स्थान पर कारागार में बंद कर दिया. इसके बाद कंस ने एक-एक कर देवकी व वासुदेव के 7 बच्चों का वध कर दिया. इसके बाद वह घड़ी आई, जिसमें कृष्ण का जन्म होना था. तो कृष्ण जन्म के बाद एक दिव्य आवाज ने वासुदेव को वृंदावन में अपने दोस्त नंद के घर कृष्ण को ले जाने के लिए कहा. अपने बच्चे के जीवन की खातिर, उन्होंने सभी तूफानों को पार किया और कृष्ण को वृंदावन ले गए और सुरक्षित रूप से कृष्ण को यशोदा और नंद के पास छोड़ दिया.

वासुदेव एक बालिका के साथ राजा कंस के सामने इस उम्मीद गया यह सोचकर कि वह उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा.

मगर निर्दयी कंस ने उसे भी मार दिया. इस छोटी लड़की को कोई नुकसान नहीं हुआ, वह रूप धारण कर हवा में उठीं और उसने कंस की मृत्यु के बारे में चेतावनी देकर अंतर्ध्यान हो गई. इसके बाद कृष्ण ने वृंदावन में बाल लीलाएं दिखाने के बाद कृष्ण में समय आने पर कंस का वध किया.

 पकवान

जन्‍माष्‍टमी  पर लोग श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाते हैं. जन्माष्टमी के दि‍न कृष्ण भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लि‍ए उनके मनपसंद खाद्य पदार्थ बनाते हैं. कृष्ण को माखन चोर कहा जाता है. उन्हें भोग लगाने के लिए यकीनन आप उनके पसंदीदा चीजें बनाने की तैयारी में होंगे. जन्माष्टमी के दि‍न नंद के लाल, बाल गोपाल श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाए जाते हैं.

चरणामृत या पंचामृत बनाने की विधि- 

पंचामृत बनाने की सामग्री-
500 ग्राम दूध
एक कप दही
4 तुलसी के पत्ते
1 चम्मच शहद
1 चम्मच गंगाजल

यह भी ले सकते हैं-

100 ग्राम चीनी (पिसी हुई)
एक चम्मच चिरौंजी
2 चम्मच मखाने
1 चम्मच घी

 पंचामृत 

सबसे पहले अपने मन में पवित्र भाव लाएं. कान्हां को याद करें और हरे कृष्ण बोलकर एक साफ बर्तन लें. मन में भगवान का नाम रटते हुए इसमें दूध ड़ालें और इसके बाद इसमें शहद मिला लें. एक-एक करेके इसमें तुलसी, शहद, गंगाजल ड़ालें. दही का इस्तेमाल अंत में करें. भोग के लिए आपका चरणामृत या पंचामृत तैयार है. अब आप चाहें तो इसमें चीनी, चिरौंजी, मखाने और पिघला हुआ घी ड़ाल लें.

जन्माष्टमी पूजा विधि
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिसके कारण यह व्रत सुबह से ही शुरु हो जाता है। दिनभर भगवान हरि की पूजा मंत्रों से करके रोहिणी नक्षत्र के अंत में पारण करें। अर्द्ध रात्रि में जब आज श्रीकृष्ण की पूजा करें।

इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते वक्त इस मंत्र का ध्यान करें-

“ऊं यज्ञाय योगपतये योगेश्रराय योग सम्भावय गोविंदाय नमो नम:”

इसके बाद श्रीहरि की पूजा इस मंत्र के साथ करनी चाहिए
“ऊं यज्ञाय यज्ञेराय यज्ञपतये यज्ञ सम्भवाय गोविंददाय नमों नम:”

अब श्रीकृष्ण के पालने में विराजमान करा कर इस मंत्र के साथ सुलाना चाहिए-
“विश्राय विश्रेक्षाय विश्रपले विश्र सम्भावाय गोविंदाय नमों नम:”

जब आप श्रीहरि को शयन करा चुके हो इसके बाद एक पूजा का चौक और मंडप बनाए और श्रीकृष्ण के साथ रोहिणी और चंद्रमा की भी पूजा करें। उसके बाद शंख में चंदन युक्त जल लेकर अपने घुटनों के बल बैठकर चंद्रमा का अर्द्ध इस मंत्र के साथ करें।

श्री रोदार्णवसम्भुत अनिनेत्रसमुद्धव।
ग्रहाणार्ध्य शशाळेश रोहिणा सहिते मम्।।

इसका मतलब हुआ कि हे सागर से उत्पन्न देव हे अत्रिमुनि के नेत्र से समुभ्छुत हे चंद्र दे!  रोहिणी देवी के साथ मेरे द्वारा दि गए अर्द्ध को आप स्वीकार करें।  इसके बाद नंदननंतर वर्त को महा लक्ष्मी, वसुदेव, नंद, बलराम तथा यशोदा को फल के साथ अर्द्ध दे और प्रार्थना करें कि हे देव जो अनन्त, वामन. शौरि बैकुंठ नाथ पुरुषोत्म, वासुदेव, श्रृषिकेश, माघव, वराह, नरसिंह, दैत्यसूदन, गोविंद, नारायण, अच्युत, त्रिलोकेश, पीताम्बरधारी, नारा.ण चतुर्भुज, शंख चक्र गदाधर, वनमाता से विभूषित नाम लेकर कहे कि जिसे देवकी से बासुदेव ने उत्पन्न किया है जो संसार , ब्राह्मणो की रक्षा क् लिए अवतरित हुए है। उस ब्रह्मारूप भगवान श्री कृष्ण को मै नमन करती हूं। इस तरह भगवान की पूजा के बाद घी-धूप से उनकी आरती करते हुए जयकारा लगाना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करने के बाद अपने व्रत को खो ले।

अगर आप भी जन्माष्टमी का व्रत रख रहे हैं तो इस तरह से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें:

– सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– अब घर के मंदिर में कृष्ण जी या फिर ठाकुर जी की मूर्ति को पहले गंगा जल से स्नान कराएं.
– इसके बाद मूर्ति को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और केसर के घोल से स्नान कराएं.
– अब शुद्ध जल से स्नान कराएं.
– रात 12 बजे भोग लगाकर लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना करें और फिर आरती करें.
– अब घर के सभी सदस्यों को प्रसाद दें.
– अगर आप व्रत रख रहे हैं तो दूसरे दिन नवमी को व्रत का पारण करें.

जन्माष्टमी का पारण अगले दिन सूर्योदय के पश्चात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद किया जाना चाहिये।वर्ष 2021 मे जन्माष्टमी व्रत की पारणा यानि व्रत को अगले दिन 31.08.2021, प्रातः 9:44 am के उपरांत ही खोलने का मुहूर्त है।

Religious Desk

हमारे धार्मिक सामग्री संपादक धर्म, ज्योतिष और वास्तु के गूढ़ रहस्यों को सरल और स्पष्ट भाषा में जनमानस तक पहुँचाने का कार्य करते हैं। वे धार्मिक ग्रंथों, आध्यात्मिक सिद्धांतों और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित लेखन में विशेषज्ञता रखते हैं। उनका उद्देश्य समाज में सकारात्मकता फैलाना और लोगों को आध्यात्मिकता के प्रति जागरूक करना है। वे पाठकों को धर्म के विविध पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए समर्पित हैं, ताकि सभी लोग अपने जीवन में मूल्य और आस्था का समावेश कर सकें।

Religious Desk has 278 posts and counting. See all posts by Religious Desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 − two =