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Health Insurance का जाल: क्या आप भी उसी धोखे का शिकार हो रहे हैं, जिसमें क्लेम कभी पास नहीं होता?

अरे! क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप Health Insurance की पॉलिसी लेते हैं, तो क्या आपको सच में किसी बीमारी से सुरक्षा मिलती है या फिर ये सिर्फ एक और खाता खोलने का तरीका है? अब देखिए, अगर आप 2024-25 में अपना क्लेम बनाने की सोच रहे हैं, तो पूरी उम्मीद है कि आपको गहरी निराशा होगी, क्योंकि आईआरडीए की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, 35.37% क्लेम रिजेक्ट कर दिए जाते हैं! जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने, लगभग एक तिहाई लोग अपने Health Insurance क्लेम को लेकर जो उम्मीदें पालते हैं, वो टूट जाती हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि “यह क्या बात हुई?!” तो चलिए, हम आपको बताते हैं। Health Insurance कंपनियाँ आपको आकर्षित करने के लिए खूबसूरत विज्ञापन और लुभावने ऑफर्स देती हैं। एक शानदार पॉलिसी जो आपके लिए एक सुरक्षा कवच बनकर आएगी, ऐसा सपना दिखाती हैं। लेकिन जब आप क्लेम करने जाते हैं, तो अचानक से ये कंपनियाँ आपको बताती हैं, “माफ कीजिए, ये बीमारी हमारे प्लान में कवर नहीं है” या “आपकी पॉलिसी का एक्टिवेशन टाइम पूरा नहीं हुआ है।” अच्छा, तो अब आपकी परेशानियों का क्या होगा? क्या आपने इसके लिए लाखों रुपये दिए थे?

क्लेम रिजेक्शन: क्या आपने कभी सोचा था कि ऐसा होगा?

सच पूछिए तो, ये सब सुनकर आपको बहुत आश्चर्य नहीं होना चाहिए। स्वास्थ्य बीमा कंपनियाँ ऐसा काम करती हैं कि कोई भी आदमी धोखे का शिकार हो जाए और फिर उसे लगे कि शायद गलती उसकी है। कितना आश्चर्यजनक है कि जब पॉलिसी दी जाती है, तो कंपनियाँ इस तरह से डेटा पेश करती हैं कि आम इंसान समझ ही नहीं पाता कि उसे कौन सा प्लान लेना चाहिए। और बाद में वही लोग सोचते हैं कि शायद उन्होंने ही गलत प्लान चुना।

अब तो यह स्थिति हो गई है कि लोग पॉलिसी लेते समय शर्तें पढ़ने की जगह सिर्फ उस छोटे से बॉक्स को टिक करके आगे बढ़ जाते हैं। “चलो, यही सही है, फिर कभी देखेंगे।” लेकिन जब क्लेम रिजेक्ट होता है, तो पॉलिसी के छोटे-छोटे फ़ॉन्ट्स में छिपी शर्तें मुंह चिढ़ाती हैं। हां, वही शर्तें जिन्हें न पढ़ने का खामियाजा अब आपको भुगतना पड़ता है। क्या ये धोखा नहीं है?

क्लेम रिजेक्शन के खिलाफ उठाने का कोई सवाल नहीं

“आपकी पॉलिसी का कवर नहीं है” और “आपकी पॉलिसी एक्टिव नहीं है,” जैसे जवाब आम हो चुके हैं। और यही नहीं, कई बार तो यह भी होता है कि क्लेम रिजेक्ट नहीं होता, बल्कि कुछ अंश आपको मिल जाता है, बाकी को रोक दिया जाता है। है ना मजेदार बात? यही तो है वह सिस्टम जो आपको भ्रमित करके अपने फायदे के लिए काम करता है। किसी और के पास इस कारोबार में पैसा और मुनाफा होगा, लेकिन आम आदमी के पास सिर्फ परेशानियाँ और क्लेम रिजेक्शन की कहानियाँ हैं।

भारत का Health Insurance कारोबार: एक और बड़ा धोखा

अब जब बात क्लेम रिजेक्शन की हो रही है, तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 2024-25 में सरकार ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों से 24,500 करोड़ रुपये का टैक्स वसूला है। जी हां, यह वही सरकार है जो हर साल 18% GST इकट्ठा करती है, और फिर वही पैसा बीमा कंपनियों की तिजोरी में चला जाता है। और यही नहीं, यह सरकारी कमाई ऐसे व्यवसाय से हो रही है जहां लगभग 35% क्लेम रिजेक्ट कर दिए जाते हैं। क्या यह नहीं लगता कि यह एक और जबर्दस्त शोषण है?

अब बात करते हैं प्राइवेट अस्पतालों की। उनका कारोबार भी लगातार बढ़ रहा है, और यह अनुमान है कि यह भविष्य में लगभग 12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। ज़रा सोचिए, एक तरफ तो बीमा कंपनियाँ और सरकार मुनाफा कमा रही हैं, दूसरी तरफ प्राइवेट अस्पताल आपको लूटने के नित नए तरीके ढूंढ रहे हैं। अब इस सबके बीच आम आदमी कहां खड़ा है? हेल्थ इंश्योरेंस के नाम पर टैक्स का भुगतान करना और फिर रिजेक्ट हुए क्लेम का खर्च अपनी जेब से भरना। क्या यह समझदारी का खेल है?

सरकार को इस पर ध्यान देना होगा

अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक यह सिस्टम चलता रहेगा? क्या सरकार को इस उद्योग की सच्चाई पर ध्यान नहीं देना चाहिए? अब तो यह जरूर बनता है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि आम आदमी को किसी भी प्रकार के धोखे का सामना न करना पड़े। हर नागरिक को यह सुविधा मिलनी चाहिए कि वह सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में अपनी बीमारी का इलाज करा सके, चाहे उसके पास हेल्थ इंश्योरेंस हो या नहीं। और अगर हेल्थ इंश्योरेंस लिया है, तो कम से कम उसे क्लेम रिजेक्शन जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े।

क्या भविष्य में हम हेल्थ इंश्योरेंस के एक बड़े धोखे का हिस्सा बनेंगे?

यह सवाल वाकई बहुत गंभीर है। अब तक तो Health Insuranceउद्योग ने खुद को एक तरह से धोखाधड़ी का पर्याय बना लिया है। अब यह सरकार और इस उद्योग की जिम्मेदारी है कि यह सिस्टम पारदर्शी हो, ताकि लोगों का विश्वास बना रहे और क्लेम रिजेक्शन की स्थिति में हर व्यक्ति को सच्चाई और मदद मिल सके।

अगर यह उद्योग यथास्थिति पर चलता रहा, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी कि लोग हेल्थ इंश्योरेंस से भागने लगें और यह एक बड़ा धोखा बनकर रह जाए।

Health Insurance का उद्देश्य स्वास्थ्य सुरक्षा देना था, लेकिन आज यह केवल एक और व्यापारिक खेल बनकर रह गया है। जब भी आप हेल्थ इंश्योरेंस लेने का सोचें, तो यह याद रखें कि हो सकता है कि आपके द्वारा चुकाए गए हर पैसे का कोई फायदा न हो और आपको सिर्फ दुख और क्लेम रिजेक्शन का सामना करना पड़े। क्या आपको भी यही करना है? या फिर सरकार को इस पर कार्रवाई करने का वक्त आ गया है? यह सवाल अब और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।

Shashank Goel

शशांक गोयल विज्ञान और रोबोटिक्स के शिक्षक हैं, जिन्होंने यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक (B.Tech.) और उत्पादन अभियांत्रिकी में स्नातकोत्तर (M.Tech.) की डिग्री प्राप्त की है। वे शाकांक्षा चेंबर ऑफ साइंस एजुकेशन (एक गैर-सरकारी संगठन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और शिक्षा क्षेत्र में 14 से अधिक वर्षों का अनुभव रखते हैं। शशांक एक प्रमाणित लाइफ कोच, मोटिवेशनल स्पीकर, करियर काउंसलर, गाइड, और मेंटर हैं। कंटेंट राइटर, कवि, और ब्लॉगर शशांक की काव्य कृतियाँ और लेखन प्रबुद्ध वर्ग द्वारा सराहे जाते हैं।

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