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दिल्ली-एनसीआर में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल

संशोधित मोटर वाहन अधिनियम समेत ट्रांसपोर्टरों के हितों से जुड़ी मांगों को लेकर यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (यूएफटीए) ने केंद्र और दिल्ली सरकार के खिलाफ गुरुवार को चक्का जाम करने की घोषणा की है। इसके चलते गुरुवार को लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बसों से उतरने के बाद जो लोग ऑटो लेकर अपने दफ्तर या कॉलेज तक जाते हैं उन्हें कोई साधन नहीं मिल रहा। पूरे दिल्ली-एनसीआर में इस हड़ताल का व्यापक असर देखा जा रहा है।हड़ताल की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई स्कूल बंद हैं। हालांकि दिल्ली मेट्रो और डीटीसी की बसों पर इस बंद का असर नहीं है। गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुबह लोगों को कार्यालयों तक जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि यूएफटीए संगठन की ओर से आयोजित हड़ताल के बाद निजी बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा सड़कों से नदारद रहे।

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एक सरकारी कर्मचारी किशोर लाल ने कहा कि उन्हें मेट्रो से कार्यालय जाना पड़ा क्योंकि उनकी आवासीय कालोनी से चलने वाली बस आज नहीं आई। सीजीओ परिसर में काम करने वाले लाल ने कहा, ‘हमने कार्यालय जाने के लिए 15 मिनट तक बस की प्रतीक्षा की लेकिन वह नहीं आई। इसलिए अब हम मेट्रो ले रहे हैं।’

डीटीसी बसों में सामान्य दिनों की अपेक्षा आज ज्यादा यात्री नजर आ रहे हैं। कुछ ऑटोरिक्शा भी चल रहे हैं। एक ऑटोरिक्शा चालक ने कहा कि उनकी रात्रिकालीन शिफ्ट सुबह आठ बजे समाप्त होती है, इसलिए वह अभी ऑटो चला रहे हैं और दोपहर तक यह भी बंद हो जाएगा।अनुमान है कि एक दिन में सरकार को वाहनों के बंद होने से 23 हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

यूएफटीए के अध्यक्ष डॉ. हरीश सभ्रवाल के नेतृत्व में बुधवार को चेम्सफोर्ड क्लब में प्रेस वार्ता बुलाई गई। इस प्रेसवार्ता में यूएफटीए के बैनर तले एकजुट होने वाले दिल्ली-एनसीआर के 41 व्यावसायिक ट्रांसपोर्ट संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

डॉ. हरीश सभ्रवाल ने कहा कि ट्रांसपोर्ट संगठन संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के तहत लागू किए गए नए जुर्माने की राशि को कम करवाने के लिए पिछले कई दिनों से केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ बैठकें कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशों की तर्ज पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ा दी, लेकिन विदेशों की तर्ज पर ट्रांसपोर्टरों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में नहीं सोचा गया।