उत्तर प्रदेश

Varanasi Gangrape Case: पीएम कार्यालय पहुंची पीड़िता की सहेली और आरोपी पक्ष, उठी इंसाफ की गरज

Varanasi Gangrape Caseउत्तर प्रदेश के दिल कहे जाने वाले वाराणसी शहर में बीते कुछ दिनों से एक ऐसा सनसनीखेज मामला तूल पकड़ चुका है जिसने आम जन से लेकर शासन-प्रशासन तक को हिला कर रख दिया है। लालपुर पांडेयपुर थाना क्षेत्र की एक 19 वर्षीय युवती के साथ कथित रूप से हुए सामूहिक दुष्कर्म ने पूरे जिले को झकझोर दिया है। इस भयावह वारदात के बाद जहां पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए 14 आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजा, वहीं अब इस मामले में नया मोड़ तब आया जब पीड़िता की सहेली और आरोपियों के परिजन खुद न्याय की गुहार लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनसंपर्क कार्यालय जा पहुंचे।


प्रधानमंत्री कार्यालय पर गूंजा इंसाफ का स्वर

मंगलवार की सुबह जैसे ही जवाहर नगर एक्सटेंशन स्थित प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय पर भारी संख्या में लोग जमा होने लगे, पुलिस महकमे में खलबली मच गई। गुरुधाम चौराहे पर ही भीड़ को रोक दिया गया, लेकिन थोड़ी देर बाद पीड़िता की सहेली और आरोपी पक्ष को पीएम कार्यालय जाने की अनुमति दे दी गई। वहां एसीपी भेलूपुर को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई।


मामले की पूरी परतें: 29 मार्च से 3 अप्रैल के बीच हुआ था कथित कांड

एफआईआर के मुताबिक 29 मार्च से 3 अप्रैल के बीच युवती के साथ 12 नामजद और 11 अज्ञात युवकों ने अलग-अलग स्थानों पर सामूहिक दुष्कर्म किया। यही नहीं, दुष्कर्म के बाद उसे शहर के कई इलाकों—लंका, हुकुलगंज, नदेसर, मलदहिया, सिगरा आईपी मॉल के पास, अस्सी घाट, चौकाघाट, औरंगाबाद और दो होटलों के बाहर फेंक दिया गया। युवती दो बार अपनी सहेली के घर भी पहुंची थी, लेकिन डर और धमकी के चलते वह खुलकर कुछ नहीं कह सकी।


14 आरोपी गिरफ्तार, परिजनों का सवाल—सिर्फ एक पक्ष पर कार्रवाई क्यों?

पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। हालांकि, आरोपी पक्ष का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई है और केवल एक पक्ष की सुनवाई हो रही है। उनके अनुसार पीड़िता की सहेली की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। कई परिजन यह भी कह रहे हैं कि उनके बेटे निर्दोष हैं और उन्हें फंसाया जा रहा है।


मीडिया की चुप्पी पर उठे सवाल, सोशल मीडिया पर उबाल

इस हाई प्रोफाइल केस को लेकर सोशल मीडिया पर भी बवाल मचा हुआ है। कई यूज़र्स सवाल कर रहे हैं कि जब घटना इतनी गंभीर है, तो राष्ट्रीय मीडिया इस पर चुप क्यों है? वहीं स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले को लेकर बेहद संवेदनशील हैं, जिससे किसी भी प्रकार की अफवाह या सांप्रदायिक तनाव ना फैले।


महिलाओं की सुरक्षा पर फिर उठे सवाल

वाराणसी में यह कोई पहली घटना नहीं है जब महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े हुए हैं। इससे पहले भी कई बार छेड़छाड़, शोषण और दुष्कर्म की घटनाएं सामने आती रही हैं। लेकिन इस बार मामला सीधे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण और भी संवेदनशील बन गया है। युवती की उम्र महज 19 वर्ष और इतने सारे आरोपियों की गिरफ्तारी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


राजनीतिक रंग भी पकड़ रहा है मामला

अब यह मामला सिर्फ अपराध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें राजनीतिक रंग भी घुलता दिख रहा है। विपक्षी दलों ने प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेताओं ने बयान जारी कर न्याय की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। कुछ संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस केस में न्यायोचित कार्रवाई नहीं हुई, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।


पीएमओ की चुप्पी: क्या उठेगा कोई ठोस कदम?

हालांकि अब तक प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पीड़िता की सहेली और आरोपी पक्ष की ओर से उठाए गए कदमों के बाद उम्मीद की जा रही है कि शायद केंद्र से कोई निर्देश स्थानीय प्रशासन को मिले। उधर, पुलिस का कहना है कि जांच तेजी से चल रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।


लोगों की मांग: हो सीसीटीवी फुटेज की जांच और फॉरेंसिक रिपोर्ट सार्वजनिक

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि जिन इलाकों में पीड़िता को छोड़ा गया, वहां के सीसीटीवी फुटेज की जांच हो और फॉरेंसिक रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए ताकि किसी भी पक्ष को शक की गुंजाइश न रहे। साथ ही पीड़िता को समुचित सुरक्षा और काउंसलिंग दी जाए ताकि वह न्याय की लड़ाई मजबूती से लड़ सके।

क्या वाराणसी बनेगा कानून-व्यवस्था सुधार की मिसाल या फिर एक और अनदेखा मामला?

सवाल यही है—क्या वाराणसी प्रशासन इस मामले को उदाहरण बनाकर न्याय की मिसाल कायम करेगा, या फिर यह केस भी किसी दबाव, सौदेबाजी या राजनीतिक दखल के चलते अधर में रह जाएगा? जब मामला देश के प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र का है, तो जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। अब देखना यह है कि आगे की जांच और कार्रवाई किस दिशा में जाती है।

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