मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की तीन बस्तियां इन दिनों चर्चा में हैं। ये हैं शंकर नगर, उड़िया बस्ती और नई बस्ती। ये बस्तियां सुर्खियों में इसलिए हैं क्योंकि यहां के लोगों पर कोवैक्सिन का ट्रायल हुआ है। कोवैक्सिन कोरोनावायरस से बचने का टीका है।
हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने सरकारी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर ये वैक्सीन बनाई है। भोपाल में पीपुल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने करीब 1700 लोगों पर कोवैक्सिन का ट्रायल किया है। ट्रायल में शामिल एक वॉलंटियर दीपक मरावी की वैक्सीन लगने के 9वें दिन मौत हो गई। इसके बाद से ही वैक्सीन ट्रायल सवालों के घेरे में आ गया है। हालांकि, सरकारी रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ट्रायल की वजह से दीपक की मौत नहीं हुई।जमीनी हकीकत जानने के लिए हमने बुधवार को तीनों बस्तियों का दौरा किया और सीधे उन लोगों से ही बातचीत की, जिन्होंने कोवैक्सिन का टीका लगवाया है।
फ्री में लग रहा है तो लगवा दो, बाद में दो हजार रुपए देने पड़ेंगे शंकर नगर में हमें सबसे पहले शिशुपाल मिले। सड़क किनारे ही बैठे थे। इन्होंने खुद तो ट्रायल का टीका नहीं लगवाया लेकिन इनकी पत्नी और बेटा ट्रायल में शामिल हुए। शिशुपाल कहते हैं, ‘अस्पताल वाले घर आए थे। उन्होंने कहा कि फ्री में टीका लग रहा है तो लगवा लो। नहीं लगवाओगे तो बाद में दो हजार रुपए देकर लगवाना पड़ेगा।’ आपने टीका क्यों नहीं लगवाया? मैंने ये पूछा तो बोले कि, ‘मैं तो 16 तारीख से जो टीका लगेगा वो लगवाऊंगा।’ हमने पूछा, ऐसा क्यों? तो बोले, ‘हमें 750 रुपए का लालच नहीं था।इसलिए ट्रायल वाला नहीं लगवाया। अब 16 तारीख के बाद सरकार ही लगा रही है। मंत्री ने घोषणा की है कि वो भी लगवाएंगे। PM-CM सब लगवाएंगे। इसलिए खतरा नहीं रहेगा।’
मां ने लगवाया लेकिन बेटी ने ट्रायल में शामिल होने से इंकार कर दिया शंकर नगर में ही हमें राधा बाई भी मिलीं, जो ट्रायल में शामिल हुई थीं। राधा ने बताया, ‘अस्पताल की गाड़ी आई थी। उन्होंने बोला कि कोरोना का टीका लगेगा और पैसे भी मिलेंगे। मुझे दो बार टीका लगा। दूसरी बार लगने के बाद एक-दो दिन बुखार-दस्त लगे फिर दवाई ले ली, तो आराम हो गया।’ राधा बाई ने हमें वो फार्म दिखाया जो उन्हें हॉस्पिटल की तरफ से दिया गया है। राधा को पहला टीका 6 दिसंबर और दूसरा 3 जनवरी को लगा।
राधा बाई ने हमें वो फार्म दिखाया जो उन्हें हॉस्पिटल की तरफ से दिया गया है।राधा को पहला टीका 6 दिसंबर और दूसरा 3 जनवरी को लगा
राधा के पास ही उनकी बेटी खड़ी थीं। वे बोलीं, हमने मम्मी को मना किया था कि टीका मत लगवाओ, फिर भी वो लगवाने चली गईं। हम तो नहीं गए। आप क्यों नहीं गईं? ये पूछने पर बोलीं, ‘हमको पता था कि ये किसी ओर का टीका है, इसलिए हम नहीं गए।’ सड़क किनारे बैठी सरस्वती बाई ने बताया, ‘हमको एक सुई 7 दिसंबर को लगी थी। दूसरी इसी महीने 4 तारीख को लगी। सुई लगने के बाद कोई तकलीफ नहीं हुई।’आपको टीका लगाने के पहले क्या बताया गया था? ये पूछने पर बोलीं, ‘बोला था कि कोरोना का टीका लगा रहे हैं। फॉर्म भी दिया था और दो बार 750-750 रुपए दिए। एक घंटे में टीका लग गया था।’
उन्होंने कहा था कि आप काम छोड़कर जा रही हो इसलिए 750 रुपए मजदूरी के देंगे। ये भी बोला था कि, बाद में यही टीका दो-दो हजार में लगेगा, अभी फ्री में लग रहा है।
हमें कोई दिक्कत नहीं है, फिर भी सब अफवाह फैला रहे हैं उड़िया बस्ती में हमे पप्पू रामसेवक मिले। इन्हें भी दो बार टीका लग चुका है। मैंने पूछा, आपको टीका कब और कितनी बार लगा? तो बोले, ‘तारीख का तो पता नहीं। लेकिन एक पिछले महीने लगा था और दूसरा इस महीने लगा। अस्पताल वालों ने मजदूरी देने का बोला था। आस-पड़ोस के सब लोग जा रहे थे, तो मैं भी चला गया।’ यहीं खड़ी मोना बाई बोलीं, ‘मुझे दो बार टीका लगा। टीका लगाने के बाद जांच भी हुई थी और टीका लगने के बाद कोई तकलीफ भी अभी तक नहीं हुई।’
उड़िया बस्ती में ही रहने वाली पिंकी वैक्सीन को लेकर उड़ रही अफवाहों से परेशान हैं। वे कहती हैं, ‘हमें कोई दिक्कत ही नहीं हुई। फिर भी टीवी वाले बोल रहे हैं कि चलो, आप टीवी पर दिखोगी।जब कुछ हुआ ही नहीं तो हम क्यों जाएं।’ पिंकी ने बताया, ‘पड़ोस के मोहल्ले की कुछ औरतें रोज आकर बोलती हैं कि, तुमने वैक्सीन क्यों लगवा ली। कोई मरा तो नहीं। इस कारण कल रात उससे बहुत झगड़ा भी हो गया था।’ पिंकी के मुताबिक, कुछ लोग वैक्सीन को लेकर बेवजह अफवाहें उड़ाने में लगे हैं।
हमारे साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं हुई
नई बस्ती में रहने वाली खुशबू विश्वकर्मा कहती हैं कि, ‘मुझे पहला टीका 4 दिसंबर को लगा था और दूसरा 4 जनवरी को लगा। टीका लगने के बाद अभी तक कोई दिक्कत नहीं हुई।’हमने पूछा कि, उन्होंने टीका लगाने के पहले आपको क्या बोला था तो इस पर बोलीं, ‘उन्होंने हमसे कहा था कि ये इम्युनिटी बढ़ाने का टीका है। टीका लगाने के बाद कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ।’
खुशबू कहती हैं, ‘मेरे पति नरेंद्र का अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ है। उन्हें भी टीका लगा और वो भी ठीक हैं। पहले की तरह काम पर जा रहे हैं।’ खुशबू के नजदीक ही शांति बाई बैठीं थीं।
कहती हैं, ‘हम ग्यारह लोग एक साथ टीका लगवाने गए थे। हमारे साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं हुई। हॉस्पिटल वालों ने कहा था, मर्जी हो तो चलो। चलोगे तो मजदूरी भी देंगे’।