हमें सबूत चाहिए, आपके पास अडानी समूह के खिलाफ क्या सबूत है- मुख्य न्यायाधीश Dhananjaya Y. Chandrachud
मुख्य न्यायाधीश Dhananjaya Y. Chandrachud ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा, “हमें विदेशी रिपोर्टों को सच क्यों मानना चाहिए? हम रिपोर्ट को खारिज नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें सबूत चाहिए. तो आपके पास अडानी समूह के खिलाफ क्या सबूत है?”
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश Dhananjaya Y. Chandrachud ने कहा, “किसी प्रकाशन की बात को बिल्कुल सच नहीं माना जा सकता है.” सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण से पूछा कि शीर्ष अदालत अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को कैसे “विश्वसनीय” मान सकती है. सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत को “हमारी जांच एजेंसियों” पर भरोसा करना होगा क्योंकि भूषण ने सेबी द्वारा की गई जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने कहा, “हमारे पास सेबी की जांच पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है. सेबी एक वैधानिक निकाय है जिसे शेयर बाजार के उल्लंघनों की जांच करने का काम दिया गया है. क्या उच्चतम न्यायालय के लिए यह उचित है – बिना किसी सामग्री के – हमारी खुद की एक एसआईटी का पुनर्गठन करना.” पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए भूषण ने शीर्ष अदालत से अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए किसी अन्य एसआईटी या विशेषज्ञों के समूह के गठन का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सेबी द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया गया है.
मुख्य न्यायाधीश Dhananjaya Y. Chandrachud ने कहा, “मिस्टर भूषण, उन्होंने (सेबी) जांच पूरी कर ली है. वे कह रहे हैं कि अब यह उनकी न्यायिक शक्ति में है. क्या सेबी को कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले जांच का खुलासा करना चाहिए?” उन्होंने कहा कि जांच के तहत संस्थाओं को सुनवाई का अवसर दिए बिना सेबी अपराध का आरोप नहीं लगा सकती.
सुनवाई के दौरान सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बाजार नियामक समय विस्तार की मांग नहीं कर रहा है और 24 में से 22 जांच को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है. शेष दो मामलों के संबंध में उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अंतरिम प्रकृति की है और सेबी ने विदेशी एजेंसियों से जानकारी मांगी है और उसका “समय सीमा पर कोई नियंत्रण” नहीं है.