“कहां हैं Ayatollah Khamenei? बंकर में छुपे या कुछ और? ईरान के सर्वोच्च नेता की रहस्यमयी गुमशुदगी पर उठे सवाल”
ईरान के सर्वोच्च नेता Ayatollah Khamenei बीते एक हफ्ते से नदारद हैं, और उनके गायब होने की खबर ने मध्य पूर्व से लेकर वैश्विक राजनीति तक खलबली मचा दी है।
खामेनेई की गुमशुदगी के साथ गहराया संदेह
ईरान की राजनीति के सबसे ताकतवर और निर्णायक चेहरे अयातुल्ला खामेनेई का बीते 7 दिनों से न दिखना अब सिर्फ एक मामूली अनुपस्थिति नहीं रह गया है। खासकर तब, जब यह घटना इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर बमबारी के तुरंत बाद घटित हुई। सुरक्षा विशेषज्ञों से लेकर आम जनता तक, हर किसी के मन में अब यही सवाल है – “आखिर कहां हैं खामेनेई?”
इजरायल-अमेरिका हमलों के बाद गायब हुए सर्वोच्च नेता
13 जून को शुरू हुए सैन्य संघर्ष ने ईरान को झकझोर कर रख दिया। इजरायली ड्रोन और मिसाइल हमलों में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। ईरानी आंकड़ों के अनुसार इस हमले में 627 लोग मारे गए और 5,000 से अधिक घायल हुए। इसके बाद से ही अयातुल्ला खामेनेई सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिए। न कोई बयान, न कोई तस्वीर, न ही कोई वीडियो – जिससे इस बात की संभावना को बल मिला कि ईरान के सर्वोच्च नेता गंभीर खतरे में हैं या जानबूझकर छिपे हुए हैं।
सुरक्षा को लेकर साजिश की आशंका
कई रिपोर्ट्स का दावा है कि खामेनेई को तेहरान स्थित एक गुप्त भूमिगत बंकर में शिफ्ट किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक संचार पर पूरी तरह से रोक है और सिर्फ बेहद विश्वसनीय गार्ड्स की टीम ही उनसे संपर्क में है। ये सुरक्षा दल किसी भी संचार उपकरण का उपयोग नहीं करता ताकि उनकी लोकेशन को ट्रैक न किया जा सके।
खामेनेई के ऑफिस के सीनियर अफसर मेहदी फजाएली ने एक टीवी शो में बस इतना कहा, “हम सभी को प्रार्थना करनी चाहिए। जो लोग उनकी सुरक्षा का काम कर रहे हैं, वे पूरी ईमानदारी से काम कर रहे हैं।”
इस वक्तव्य ने केवल आशंकाओं को और गहरा किया।
स्वास्थ्य को लेकर फिर उठे सवाल
अक्टूबर 2024 में भी खामेनेई की गंभीर बीमारी की खबरें सामने आई थीं। उस समय न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट किया था कि वे एक गंभीर शारीरिक स्थिति में हैं और उनका इलाज गुप्त रूप से किया जा रहा है। हालांकि नवंबर 2024 में लेबनान के राजदूत से उनकी मुलाकात की खबरें आईं, लेकिन अब फिर से वही सवाल उठ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि खामेनेई कोमा में हो सकते हैं, या उन्हें किसी जानलेवा हमले से बचाया गया है। हालांकि इन सभी दावों की न तो पुष्टि हुई है और न ही आधिकारिक खंडन आया है।
उत्तराधिकार को लेकर अटकलें चरम पर
जब कोई नेता लंबे समय तक अनुपस्थित होता है, तो सबसे पहला सवाल आता है – अगर वो लौटे नहीं तो उनकी जगह कौन लेगा?
इसी सवाल का जवाब तलाशते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स ने 21 जून को एक और बड़ा दावा किया कि Ayatollah Khamenei ने तीन वरिष्ठ मौलवियों को अपने संभावित उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उनका बेटा मोजतबा खामेनेई इस सूची में नहीं है। जबकि पहले ये माना जा रहा था कि वही अगले सर्वोच्च नेता हो सकते हैं। इस घटनाक्रम ने सत्ता संघर्ष की संभावनाओं को जन्म दिया है।
इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को उत्तराधिकार की प्रक्रिया में एक मजबूत खिलाड़ी माना जा रहा है, और ये भी अटकलें हैं कि IRGC के भीतर ही सत्ता के लिए गुटबाजी चल रही है।
इजरायल की धमकी बनी अनुपस्थिति की बड़ी वजह?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री द्वारा खामेनेई की हत्या की खुली धमकी के बाद से उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गईं। यहां तक कि कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल द्वारा खामेनेई की हत्या योजना को वीटो कर दिया था, ताकि हालात बेकाबू न हो जाएं।
हाल ही में खामेनेई के नाम से आए कुछ संदेशों में अमेरिका और इजरायल को कड़ी चेतावनी दी गई। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये संदेश उन्होंने खुद दिए या किसी ने उनके नाम से जारी किए।
सड़कों और सोशल मीडिया पर बवाल
खामेनेई की अनुपस्थिति ने सोशल मीडिया को जैसे आग लगा दी है। पुराने वीडियो क्लिप्स और भाषण दोबारा वायरल हो रहे हैं। कुछ यूजर्स ने उन्हें व्यंग्यात्मक रूप से “फेमिनिस्ट मौलवी”, “मैरिज काउंसलर”, “हाइडिंग आयरन मैन” जैसे नामों से पुकारा।
तेहरान की सड़कों पर हालात अजीब हैं – एक ओर सरकार विरोधी प्रदर्शन कम हुए हैं, लेकिन दूसरी ओर महिलाओं के प्रदर्शन में खामेनेई की तस्वीरें उठी हुई नजर आईं, जो समर्थन और विरोध दोनों का मिला-जुला संदेश देती हैं।
खानमैन अखबार के संपादक मोहसेन खलीफे ने बताया, “उनकी कई दिनों की अनुपस्थिति ने हम सभी को बहुत चिंतित कर दिया है। जो उन्हें मानते हैं, वे बेचैन हैं।”
क्या यह रणनीतिक चुप्पी है या गंभीर स्थिति?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि खामेनेई जानबूझकर शांत हैं, ताकि मौजूदा हालात में कोई कमजोर संदेश न जाए। लेकिन सवाल यह है कि अगर वे स्वस्थ हैं, तो सामने क्यों नहीं आते?
क्या यह एक राजनीतिक रणनीति है या कोई बड़ी सच्चाई छिपाई जा रही है?
दुनिया भर की खुफिया एजेंसियां और राजनयिक हलकों में इस रहस्यमयी गुमशुदगी को लेकर बेचैनी है।

