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क्या Earth पर मर्दों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा? वैज्ञानिकों की रिपोर्ट ने मचाई हलचल

Earth पर जीवन के खात्मे के बारे में कई तरह की भविष्यवाणियां की जाती रही हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी रिपोर्ट जारी की है, जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है। यह रिपोर्ट बिल्कुल अलग और चौंकाने वाली है, क्योंकि इसमें यह दावा किया गया है कि आने वाले समय में धरती पर मर्दों का अस्तित्व ही खत्म हो सकता है। जी हां, यह बिल्कुल सच है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब सिर्फ लड़कियां ही पैदा होंगी और मर्दों का जन्म होना पूरी तरह से रुक जाएगा।

वाई क्रोमोसोम का सिकुड़ना, मर्दों के भविष्य पर खतरा

यह शोध वाशिंगटन डी.सी. की वैज्ञानिक संस्था द्वारा किया गया है, जिसमें एक अहम दावा किया गया है कि वाई क्रोमोसोम (Y chromosomes) धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है और एक दिन ऐसा आएगा जब यह पूरी तरह से गायब हो जाएगा। यद्यपि यह कोई तात्कालिक खतरा नहीं है, लेकिन अगर इसे भविष्य के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है। याई क्रोमोसोम पुरुष लिंग का निर्धारण करने में अहम भूमिका निभाता है। अगर यह क्रोमोसोम गायब हो जाता है, तो इसके साथ ही धरती पर मर्दों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा।

इस शोध में यह भी बताया गया है कि इंसान और दूसरे मैमल्स में लिंग निर्धारण के लिए दो गुणसूत्र (क्रोमोसोम) होते हैं: X और Y। इन दोनों के मेल से ही लिंग तय होता है, यानि लड़कों में X और Y क्रोमोसोम होते हैं जबकि लड़कियों में दो X क्रोमोसोम पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वाई क्रोमोसोम अब धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है और उसमें मौजूद जीन की संख्या भी कम होती जा रही है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले लाखों वर्षों में मर्दों का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो सकता है।

वाई क्रोमोसोम का इतिहास: पहले था बड़ा और शक्तिशाली

वाई क्रोमोसोम पहले बहुत बड़ा हुआ करता था और इसमें करीब 900 जीन होते थे। लेकिन अब यह सिकुड़कर सिर्फ 45 जीन तक रह गया है। इसका मतलब यह है कि वाई क्रोमोसोम में बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है, और इसके सिकुड़ने की गति बहुत तेज़ हो गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक यह प्रक्रिया पूरी होगी, तब तक हम लाखों सालों तक विलुप्त होने से पहले अन्य तरीकों से इसका समाधान पा सकते हैं, लेकिन यह चिंता का विषय है।

कोशिका विभाजन और उत्परिवर्तन (Mutations) का प्रभाव

ऑस्ट्रेलियाई आनुवंशिकीविद जेनी ग्रेव्स का कहना है कि इस बदलाव के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण हैं। उन्होंने कहा कि वाई क्रोमोसोम अंडकोष (testicles) में पाया जाता है, लेकिन यह कभी अंडाशय (ovaries) में नहीं पाया जाता। अंडकोष में कोशिका विभाजन की प्रक्रिया के दौरान उत्परिवर्तन होते हैं, जिससे जीन में बदलाव आता है। दरअसल, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन यही बदलाव वाई क्रोमोसोम के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। ग्रेव्स ने कहा कि वाई क्रोमोसोम में सिर्फ एक ही जीन होता है, जो पुरुषों को बनाता है, और इस जीन में लगातार उत्परिवर्तन हो रहे हैं। इसके कारण ही यह जीन धीरे-धीरे अपनी प्रभावशीलता खो रहा है।

क्या मर्दों का खत्म होना सच है?

वैज्ञानिकों का मानना है कि मर्दों का पूरी तरह से गायब होना एक लंबी प्रक्रिया होगी, जो लगभग 70 लाख साल तक जारी रह सकती है। यह समय एक विकासवादी दृष्टि से देखा जाए तो बहुत ही लंबा होता है। इसलिए, भले ही यह स्थिति भविष्य में संभावित हो, लेकिन इसके लिए हमें एक लंबा समय मिलेगा। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि अगर वाई क्रोमोसोम पूरी तरह से खत्म हो जाए, तो इंसान के शरीर में एक नया लिंग निर्धारण जीन विकसित हो सकता है, जैसा कि कुछ अन्य जीवों में देखा गया है।

महिलाओं के लिए क्या होगा?

यदि वाई क्रोमोसोम गायब हो जाएगा तो क्या इसका मतलब यह होगा कि केवल महिलाएं ही जीवित रहेंगी? वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा नहीं है, क्योंकि इसके लिए नए जीन का विकास हो सकता है। लेकिन अब तक यह सिर्फ एक अनुमान ही है। यद्यपि, इस पर रिसर्च और अध्ययन जारी है, जो भविष्य में और अधिक स्पष्टता लाएगा।

इस शोध का महत्व

इस शोध ने सिर्फ वैज्ञानिकों को ही नहीं, बल्कि आम जनता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर सचमुच ऐसा होता है तो भविष्य की दुनिया कैसी होगी। हालांकि इस समय यह खतरा बहुत दूर है, फिर भी यह एक जटिल और दिलचस्प विषय है, जिस पर और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

यह शोध न केवल मानव जाति के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जैविक और आनुवंशिक बदलावों का प्रभाव हमारे भविष्य पर कितना गहरा हो सकता है। इस रिपोर्ट ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि अगर हम समय रहते इन बदलावों को समझने और उनकी दिशा में शोध करने में सक्षम हो गए, तो हम इस संकट से निपट सकते हैं।

Dr Swapnila Roy Roy

उत्कृष्ट शैक्षिक अध्ययन और पर्यावरण शोध में धनी डॉ0 स्वप्निला रॉय राजस्थान के एक विश्वविद्यालय में रिसर्च डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। जादवपुर विश्वविद्यालय से उच्चतम शिक्षा पूर्ण करने वाली डॉ0 रॉय अनेक शैक्षिक संस्थानों से जुड़ी रही हैं और छात्रों के मार्गदर्शन सम्बन्धी विषयो पर मुखरता से लिखती हैं।

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