वैश्विक

गाजा संकट पर Donald Trump का वार, नेतन्याहू का हमला और फ्रांस का ऐलान – दुनिया में बढ़ा फिलिस्तीन-इजराइल तनाव

गाजा पट्टी में जारी संघर्ष और राजनीतिक खींचतान अब केवल इजराइल और फिलिस्तीन तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह अब वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक टकराव में बदल चुकी है। Donald Trump- अमेरिका, इजराइल और फ्रांस की ताज़ा प्रतिक्रियाओं ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान इस जटिल मुद्दे की ओर खींचा है।

“हमास मरना चाहता है” – Donald Trump का तीखा बयान

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने गाजा में युद्धविराम (सीजफायर) की बातचीत टूटने का सीधा आरोप हमास पर लगाया है। CNN की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने कहा:

“मुझे लगता है कि हमास मरना चाहता है, और ये बहुत ही बुरी स्थिति है। अब वक्त आ गया है कि ये काम पूरा किया जाए।”

ट्रम्प ने इससे पहले यह उम्मीद जताई थी कि गाजा में जल्द ही युद्धविराम और बंधकों की रिहाई को लेकर समझौता हो सकता है। लेकिन इस हफ्ते ट्रम्प प्रशासन ने दोहा में चल रही बातचीत से अपने वार्ताकारों को वापस बुला लिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका की धैर्य की सीमा खत्म हो चुकी है।

बंधकों को लेकर हमास पर सवाल

ट्रम्प ने यह भी आरोप लगाया कि अब जब केवल कुछ ही बंधक बचे हैं, तो हमास की बातचीत में दिलचस्पी घट गई है। यह बयान तब आया जब अमेरिका और इजराइल के बीच मिलकर बंधकों को छुड़ाने को लेकर साझा प्रयास चल रहे हैं।


नेतन्याहू का जवाब – हमास है सबसे बड़ी बाधा

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी शुक्रवार को इस मुद्दे पर सख्त बयान दिया। यरूशलम पोस्ट के अनुसार उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि:

“हमास ही बंधकों की रिहाई में सबसे बड़ी रुकावट है।”

उन्होंने बताया कि अमेरिका और इजराइल इस संकट से निपटने के लिए अब एक साझा रणनीति पर काम कर रहे हैं। नेतन्याहू ने अपने रक्षा मंत्रालय और सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा:

“हम अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि बंधकों को सुरक्षित वापस लाया जा सके, हमास के आतंक के शासन को समाप्त किया जा सके, और पूरे क्षेत्र में स्थायी शांति लाई जा सके।”


फ्रांस ने दिया फिलिस्तीन को झटका और सहारा दोनों!

दूसरी ओर फ्रांस ने ऐसा फैसला लिया है जिसने इस कूटनीतिक उथल-पुथल को और गहरा कर दिया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को ऐलान किया कि फ्रांस जल्द ही फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा।

उन्होंने कहा कि वह यह मान्यता सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान औपचारिक रूप से घोषित करेंगे। मैक्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा:

“मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति की दिशा में फ्रांस की प्रतिबद्धता के तहत मैंने यह फैसला लिया है। शांति संभव है। आज सबसे जरूरी है कि गाजा में जंग रुके और नागरिकों की जान बचे।”


फिलिस्तीन की खुशी, इजराइल की नाराज़गी

फ्रांस के इस फैसले से फिलिस्तीनी अथॉरिटी में उत्साह है, लेकिन इजराइल ने तीव्र विरोध जताया है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा:

“यह फैसला आतंकवाद को इनाम देने जैसा है और यह गाजा जैसे एक और ईरानी समर्थित प्रॉक्सी को जन्म देगा। फिलिस्तीनी राष्ट्र शांति के लिए नहीं, बल्कि इजराइल को खत्म करने के लिए इस्तेमाल होगा।”

वहीं, PLO के उपाध्यक्ष हुसैन अल-शीख ने कहा:

“हम मैक्रों के इस निर्णय की सराहना करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और फिलिस्तीनी जनता के अधिकार के प्रति फ्रांस की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”


140 से अधिक देश पहले ही दे चुके हैं मान्यता

फ्रांस, फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला सबसे बड़ा पश्चिमी देश होगा। अब तक 140 से अधिक देशों ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है। इनमें भारत, रूस, चीन, ब्राजील समेत कई यूरोपीय देश शामिल हैं।

फिलिस्तीनी लोग एक ऐसा देश चाहते हैं जिसमें वेस्ट बैंक, पूर्वी यरूशलम, और गाजा पट्टी शामिल हो — जिन पर इजराइल ने 1967 के युद्ध के दौरान कब्जा कर लिया था।


यूरोप में भी बढ़ रही है बेचैनी – फ्रांस करेगा आपात बैठक

गाजा संकट को देखते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने ब्रिटेन और जर्मनी के नेताओं के साथ आपात बैठक का ऐलान किया है। इसमें गाजा में हो रही मौतों को रोकने, नागरिकों तक सहायता पहुंचाने और युद्ध विराम की रणनीति पर चर्चा होगी।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा:

“राज्य का दर्जा फिलिस्तीनी जनता का जन्मसिद्ध अधिकार है। संघर्षविराम हमें एक फिलिस्तीनी राष्ट्र की मान्यता और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में ले जाएगा।”


क्या बदल रहा है पश्चिमी देशों का नजरिया?

फ्रांस के इस कदम को विश्लेषक पश्चिमी नीति में बदलाव के रूप में देख रहे हैं। पहले जहां अमेरिका और उसके सहयोगी पूरी तरह से इजराइल के साथ खड़े थे, अब गाजा में मानवाधिकार संकट, भूख और तबाही ने कई देशों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

फ्रांस में यूरोप की सबसे बड़ी मुस्लिम और यहूदी आबादी रहती है, जिससे यह संकट वहां की आंतरिक राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है।


क्या टू-स्टेट सॉल्यूशन बनेगा समाधान?

फ्रांस और सऊदी अरब अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ पर एक विशेष सम्मेलन का आयोजन करेंगे। इसका मकसद है — इजराइल और फिलिस्तीन के बीच एक स्थायी समाधान खोजना जिसमें दोनों पक्षों को सुरक्षा, संप्रभुता और सम्मान मिल सके।


गाजा संघर्ष अब वैश्विक राजनीति की धुरी बन चुका है। डोनाल्ड ट्रम्प की हमास पर सीधी टिप्पणी, नेतन्याहू की सख्त चेतावनी और फ्रांस का साहसिक फैसला — यह सब इस ओर इशारा कर रहे हैं कि मिडिल ईस्ट में एक बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव दस्तक दे रहा है। सवाल है कि यह बदलाव शांति लाएगा या संघर्ष को और गहरा करेगा?

 

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