उत्तर प्रदेश

Ghaziabad पुलिस में सनसनी: अवैध धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड का मददगार इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान सिद्दीकी सस्पेंड, छांगुर बाबा गैंग पर बड़ा शिकंजा

Ghaziabad पुलिस प्रशासन ने अवैध धर्मांतरण और उससे जुड़ी गड़बड़ी के मामलों में बड़ी कार्रवाई करते हुए क्राइम ब्रांच के प्रमुख इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान सिद्दीकी को निलंबित कर दिया है। यह कदम मेरठ पुलिस की जांच और इनपुट के बाद उठाया गया है, जिसमें सिद्दीकी पर 2019 के एक लापता लड़की मामले में मिलीभगत और पीड़ित परिवार को धमकाने का गंभीर आरोप है। यह मामला छांगुर बाबा गैंग के अवैध धर्मांतरण रैकेट से जुड़ा हुआ है, जिसने लंबे समय से उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में अपनी जड़ें जमा रखी हैं।


2019 का लापता लड़की मामला और अब्दुल रहमान सिद्दीकी की भूमिका

2019 में मेरठ के सिविल लाइन थाने में तैनात थे अब्दुल रहमान सिद्दीकी, जब एक लड़की के अचानक लापता होने की शिकायत दर्ज हुई। परिवार ने आरोप लगाया कि लड़की को छांगुर बाबा गैंग के सदस्य बदर अख्तर सिद्दीकी ने मॉडलिंग और बेहतर जिंदगी का लालच देकर अपने जाल में फंसाया और फिर अपहरण कर लिया। परिवार की शिकायत पर इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने जांच में लापरवाही बरती और पीड़ितों को धमकाकर मामले को दबाने का प्रयास किया।

इस घिनौने खेल में पुलिस अधिकारी का नाम सामने आने से इस रैकेट की सच्चाई उजागर हो गई, जो आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू और सिख परिवारों की लड़कियों को अपना निशाना बनाता है।


छांगुर बाबा गैंग का भयावह नेटवर्क

छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन और उनके साथी बदर अख्तर सिद्दीकी ने अवैध धर्मांतरण के इस बड़े रैकेट को लंबे समय तक चलाया। आरोप है कि उन्होंने प्रेमजाल, धमकियां और नशीले पदार्थों का इस्तेमाल कर 18 से 25 वर्ष की करीब 7-8 लड़कियों को फंसाया और उनका धर्मांतरण कराया। बदर अख्तर सिद्दीकी गाजियाबाद के गोविंदपुरम इलाके से इस रैकेट का संचालन करता था।

उत्तर प्रदेश एटीएस ने 5 जुलाई 2025 को छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को लखनऊ से गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि इस गैंग को पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की से भारी विदेशी फंडिंग मिल रही थी, जिसका उपयोग धर्मांतरण और देशविरोधी गतिविधियों में किया जाता था।


गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर का कड़ा रुख

पुलिस आयुक्त जे. रविंदर गौड़ ने साफ कहा है कि पुलिस विभाग में अपराधियों से मिलीभगत करने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब्दुल रहमान सिद्दीकी के खिलाफ मिले सबूतों के आधार पर उनकी तुरंत निलंबन की कार्रवाई की गई है। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि मामले की पूरी छानबीन की जा रही है और दोषी पाए जाने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी।

सस्पेंड किए गए अधिकारी पर यह भी आरोप हैं कि उन्होंने बदर अख्तर सिद्दीकी के साथ मिलकर कई मामलों को दबाने की कोशिश की। यह बात इसलिए भी हैरान करने वाली है क्योंकि अब्दुल रहमान को हाल ही में गणतंत्र दिवस के मौके पर गैलेंट्री मेडल से सम्मानित किया गया था।


धर्मांतरण रैकेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई और जांच का दायरा

अब्दुल रहमान सिद्दीकी के निलंबन के बाद गाजियाबाद पुलिस में बड़े स्तर पर जांच शुरू हो गई है। एटीएस और पुलिस विभाग अब इस रैकेट से जुड़ी विदेशी फंडिंग और अन्य संदिग्धों की पहचान करने में जुटे हैं। पुलिस विभाग में अब और संदिग्ध अधिकारियों की भी जांच की मांग जोर पकड़ रही है।

धर्मांतरण रैकेट ने पूरे उत्तर प्रदेश में भय का माहौल बनाया है, और अब इस मामले की तह तक जाकर दोषियों को सजा दिलाना पुलिस प्रशासन की प्राथमिकता बन गई है।


पीड़ित परिवारों का दर्द और न्याय की उम्मीद

लापता लड़कियों के परिवार इस कार्रवाई से कुछ राहत महसूस कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ कर कानून के कठोरतम दंड से नवाजा जाए। परिवारों का आरोप है कि गैंग ने न केवल लड़कियों का अपहरण किया बल्कि उनके जीवन को बर्बाद कर दिया।

इसी के साथ, पुलिस प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह के घिनौने रैकेटों के खिलाफ कड़ा नियंत्रण हो, ताकि निर्दोष लोग इस प्रकार की घटनाओं से बच सकें।


अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ पुलिस विभाग में बढ़ती चुनौतियां

यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा करता है। भ्रष्टाचार, मिलीभगत और भ्रष्ट अधिकारी अपराधियों को संरक्षण देने की घटना अब आम होती जा रही है। गाजियाबाद के इस सनसनीखेज मामले ने यह दर्शाया कि कैसे एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी भी अपराधियों के हाथ मजबूत कर सकते हैं।

पुलिस विभाग को चाहिए कि वह ऐसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए और विभाग में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करे।


गाजियाबाद में अवैध धर्मांतरण रैकेट से जुड़े छांगुर बाबा गैंग के मामले में पुलिस अधिकारी अब्दुल रहमान सिद्दीकी के निलंबन ने इस गोरखधंधे के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई का परिचय दिया है। यह मामला न केवल अपराध की गहरी जड़ों को उजागर करता है बल्कि पुलिस विभाग में सुधार और जवाबदेही की भी मांग करता है। आगामी जांच और सजा की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को मजबूत करने में निर्णायक साबित होगी।

 

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