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Anti-India Conspiracy Unfolds! बांग्लादेश में ISI के इशारे पर वक्फ बिल के खिलाफ बवाल, ढाका में भारतीय दूतावास को घेरने की साजिश

Anti-India Conspiracy Unfolds /ढाका: भारत में पारित वक्फ अमेंडमेंट बिल को लेकर पड़ोसी देश बांग्लादेश में भूचाल सा माहौल बन चुका है। अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि एक सुनियोजित भारत-विरोधी साज़िश है। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI की शह पर बांग्लादेश के कट्टरपंथी दलों ने भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है।

भारतीय संसद के वक्फ बिल पर मचा बवाल

विवाद की जड़ भारतीय संसद में हाल ही में पास हुआ वक्फ अमेंडमेंट बिल है, जिसे लेकर बांग्लादेश की खिलाफत मजलिस पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है। इस पार्टी ने ऐलान किया है कि 23 अप्रैल को ढाका स्थित भारतीय दूतावास के सामने विशाल विरोध मार्च निकाला जाएगा। इसका उद्देश्य भारत सरकार पर कथित तौर पर “मुस्लिम समुदाय की ज़मीन हड़पने” और “मंदिर निर्माण” जैसे आरोपों को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना है।

पाकिस्तान की ISI का खुला समर्थन

यह कोई सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं है। सूत्रों के अनुसार, इस पूरे अभियान के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का खुला समर्थन है। खिलाफत मजलिस पार्टी के कई सदस्य पाकिस्तान के मदरसों में प्रशिक्षित हैं और कई नेता सीधे तौर पर तालिबान, अल-कायदा और ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी संगठनों से संबंध रखते रहे हैं।

यह वही पार्टी है जिसने पहले भी कई मौकों पर भारत विरोधी प्रदर्शनों में अहम भूमिका निभाई है। इसके नेताओं ने अपनी मीटिंग्स में खुले तौर पर भारत सरकार के खिलाफ जहर उगला है और वक्फ अमेंडमेंट बिल को मुसलमानों के खिलाफ घोषित किया है।

भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा, बंगाल को बनाने की कोशिश निशाना

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सब कुछ एक गहरी साजिश के तहत हो रहा है। बांग्लादेश में भारत विरोधी प्रदर्शनों के ज़रिए पाकिस्तान, खासकर ISI, पश्चिम बंगाल के मुस्लिम इलाकों में भावनात्मक माहौल तैयार करना चाहती है। दोनों देशों के बीच भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भड़काकर कट्टरता को बढ़ावा देना ISI की पुरानी रणनीति रही है।

वरिष्ठ विदेश मामलों की पत्रकार पारुल चंद्रा के अनुसार, “इन प्रदर्शनों का सीधा असर भारत पर न हो, लेकिन इससे एक उकसाव वाला माहौल बनता है। इससे बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में कट्टरता को हवा मिलती है।”

इतिहास में भी भारत विरोधी गतिविधियों में अग्रणी रही है खिलाफत मजलिस

बांग्लादेश की खिलाफत मजलिस कोई नई पार्टी नहीं है। इसकी स्थापना दिसंबर 1989 में हुई थी और इसका उद्देश्य एक शरिया आधारित इस्लामिक स्टेट की स्थापना है। यह पहले भी भारत के खिलाफ कई बार मोर्चा खोल चुकी है।

1993 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद इस पार्टी ने ढाका से अयोध्या तक मार्च निकालने की कोशिश की थी, लेकिन बांग्लादेश सरकार ने उन्हें खुलना में रोक दिया। 2006 में लेबनान युद्ध के समय भी इस पार्टी ने सड़कों पर उत्पात मचाया था।

हालांकि बांग्लादेश की राजनीति में इसका कोई ठोस जनाधार नहीं है, लेकिन यह पार्टी बार-बार धार्मिक भावनाएं भड़का कर अपने लिए जगह बनाने की कोशिश करती है। आगामी आम चुनावों में यह BNP के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है।

ढाका की सड़कों पर उबाल, भारत के खिलाफ नारेबाज़ी

पार्टी के सेंट्रल एग्जीक्यूटिव काउंसिल की एक बैठक में तय किया गया कि वक्फ बिल के विरोध में ढाका में एक बड़ा मार्च निकाला जाएगा, जिसका नेतृत्व पार्टी के अध्यक्ष स्वयं करेंगे। इस दौरान भारतीय दूतावास के बाहर ज्ञापन सौंपा जाएगा जिसमें बिल को रद्द करने की मांग की जाएगी।

इस बैठक में पार्टी के अध्यक्ष ने भाजपा और मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि “मुसलमानों की ज़मीन पर मंदिर बनवाने की साजिश की जा रही है और वक्फ बिल इसके लिए एक उपकरण बन चुका है।”

भारत के लिए चिंता की बात

इस पूरे घटनाक्रम से भारत के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। ISI के समर्थन से बांग्लादेश में भारत विरोधी शक्तियों को बल मिल रहा है। अगर यह प्रदर्शन उग्र रूप लेता है, तो यह दोनों देशों के रिश्तों पर असर डाल सकता है।

भारत को इस घटनाक्रम पर कड़ी निगरानी रखनी होगी, क्योंकि यह केवल एक वक्फ बिल का विरोध नहीं बल्कि भारत की छवि और सुरक्षा के खिलाफ एक बड़ी प्रोपेगेंडा मुहिम है।

बांग्लादेश की सरकार की भूमिका भी संदेह के घेरे में

यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार इस विरोध प्रदर्शन पर क्या कदम उठाती है। हसीना सरकार, जो अब तक भारत की करीबी मानी जाती रही है, क्या इस पार्टी को लगाम लगा पाएगी या यह मामला उनके हाथ से निकल जाएगा?

गौरतलब है कि जमात-ए-इस्लामी और BNP जैसे दल पहले भी भारत विरोधी घटनाओं में शामिल रहे हैं। अब जब इन सभी का ISI से संबंध सामने आ रहा है, तो यह तय है कि आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया की राजनीति में हलचल और बढ़ेगी।

 यह तो आगाज़ है…

बांग्लादेश में भारत के खिलाफ चल रही इस नई साज़िश को हल्के में लेना खतरनाक होगा। ISI और कट्टरपंथी ताकतों की शह पर चल रही यह मुहिम सिर्फ एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है – भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की, और दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने की।

News-Desk

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