उत्तर प्रदेश

Bundelkhand Expressway पर चार ई-वे हब: योगी सरकार का नया मास्टरप्लान बदल देगा यूपी का औद्योगिक नक्शा

उत्तर प्रदेश के विकास की रफ्तार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। अब बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को केवल एक शानदार सड़क मार्ग नहीं बल्कि आर्थिक, पर्यटन और औद्योगिक गतिविधियों के लिए एक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक परियोजना के तहत एक्सप्रेसवे पर चार अत्याधुनिक Bundelkhand Expressway E-Way Hubs विकसित किए जा रहे हैं, जो न सिर्फ यात्रियों के लिए सुविधाजनक होंगे बल्कि निवेश और रोजगार के नए द्वार भी खोलेंगे।

तीन जिलों में बनेगा आधुनिकता का नया मॉडल

ताजा जानकारी के अनुसार, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के तीन प्रमुख जिलों—बांदा, हमीरपुर और जालौन में कुल चार ई-वे हब बनाए जाएंगे। यूपीईडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) की हालिया समीक्षा बैठक में इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी गई।

  • हमीरपुर में 10 हेक्टेयर भूमि पर एक ई-वे हब

  • बांदा में 10 हेक्टेयर में एक हब

  • जालौन में एक्सप्रेसवे के दोनों ओर दो ई-वे हब विकसित किए जाएंगे

कुल मिलाकर 40 हेक्टेयर ज़मीन इस प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित की गई है।

यात्रियों के लिए ग्लोबल स्टाइल में सुविधाएं

इन हब्स में यात्रियों को मिलेगी विश्‍वस्तरीय सुविधा जो उन्हें मेट्रो सिटी जैसे अनुभव देगी। हब्स में निम्नलिखित प्रमुख सुविधाएं शामिल होंगी:

  • पेट्रोल-सीएनजी पंप और ई-व्हीकल चार्जिंग स्टेशन

  • RO सिस्टम युक्त शुद्ध पेयजल सुविधा

  • अत्याधुनिक शौचालय

  • मल्टी-क्विज़ीन फूड कोर्ट

  • बजट होटल और थीम पार्क

  • लॉजिस्टिक और वाणिज्यिक पार्क

  • बच्चों के लिए आधुनिक प्ले ज़ोन

  • सुरक्षा हेतु हाई-टेक CCTV कैमरा निगरानी सिस्टम

इन सुविधाओं का उद्देश्य सिर्फ आराम नहीं, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है। Bundelkhand Expressway E-Way Hubs से जहां पर्यटकों को बेहतरीन अनुभव मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों को भी लाभ होगा।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे: यूपी का प्रगतिशील परिवर्तन

2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास और जुलाई 2022 में उद्घाटन के बाद, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे एक प्रगतिशील संरचना के रूप में उभरा है। इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट जिलों को जोड़ते हुए यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्से को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जोड़ता है।

इस एक्सप्रेसवे ने न सिर्फ यातायात को आसान किया बल्कि किसानों, व्यापारियों और आम नागरिकों के लिए भी संभावनाओं का नया मार्ग खोल दिया है। और अब जब इस पर ई-वे हब विकसित किए जा रहे हैं, तो यह परियोजना सिर्फ एक परिवहन परियोजना नहीं रह गई—यह उत्तर प्रदेश की औद्योगिक क्रांति का आधार बनती जा रही है।

चार्जिंग स्टेशन से लेकर इंडस्ट्रियल पावरहाउस तक

यूपीईडा के सहायक अभियंता एस.के. यादव के अनुसार, इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ मिलकर ई-व्हीकल चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना पर काम तेजी से चल रहा है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा को भी बढ़ावा देगा।

जहां एक ओर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी बड़ी चुनौती बनी हुई थी। इन हब्स में चार्जिंग स्टेशनों की सुविधा यात्रियों और ट्रांसपोर्टर्स के लिए राहत की सांस होगी।

औद्योगिक निवेश और रोजगार के लिए नया मील का पत्थर

Bundelkhand Expressway E-Way Hubs को केवल यात्रियों की सुविधा तक सीमित नहीं रखा गया है। यह स्थान उद्योगों के लिए भी एक आकर्षण केंद्र बनने जा रहा है। लॉजिस्टिक पार्क और वाणिज्यिक स्थल स्थानीय उद्यमियों, स्टार्टअप्स और कंपनियों के लिए स्वर्ण अवसर बनेंगे।

बुंदेलखंड क्षेत्र, जो लंबे समय तक पिछड़ेपन का प्रतीक माना जाता रहा, अब ‘नई औद्योगिक पहचान’ की ओर बढ़ रहा है। स्थानीय युवाओं को रोजगार, ट्रेंडिंग टेक्नोलॉजी के साथ स्किलिंग, और नई संभावनाओं की शुरुआत इन हब्स के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी।

टूरिज्म को भी मिलेगा बूस्ट

थीम पार्क, खेल क्षेत्र और फूड कोर्ट जैसी सुविधाएं ना केवल यात्रियों के लिए बल्कि टूरिज्म के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहलू साबित होंगी। बुंदेलखंड क्षेत्र में ऐतिहासिक स्थलों और धार्मिक स्थलों की कोई कमी नहीं है—चित्रकूट, कालिंजर और बांदा के मंदिर पहले से ही प्रसिद्ध हैं। अब यह हब्स इन स्थलों के लिए एक नया प्रवेश द्वार बनेंगे।

नया युग, नया उत्तर प्रदेश

योगी आदित्यनाथ सरकार की सोच स्पष्ट है—केवल सड़कें नहीं बनानी, बल्कि सड़कों को अवसरों का मार्ग बनाना है। Bundelkhand Expressway E-Way Hubs इसका प्रमाण हैं। यह परियोजना दिखाती है कि कैसे एक रणनीतिक रूप से विकसित की गई सड़क परियोजना न केवल आवागमन की सुविधा देती है बल्कि राज्य की आर्थिक रीढ़ भी बन सकती है।

बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र में यह पहल समाज और अर्थव्यवस्था दोनों को गति देने वाली साबित हो रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं पहुंचेंगी और माइग्रेशन को भी रोका जा सकेगा।

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