हिंदुस्तान की बेटी ने लहू में लगाई वतनपरस्ती की मुहर: ऑपरेशन सिंदूर की हीरो बनीं कर्नल Sophia Qureshi
भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब बात देश की सुरक्षा की होती है, तो न कोई मजहब देखा जाता है, न ही कोई लिंग। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जवाब देते हुए भारतीय सेना ने मंगलवार देर रात पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर डाला। इस रणनीतिक और साहसी ऑपरेशन को नाम दिया गया – ऑपरेशन सिंदूर। लेकिन इस मिशन की असली स्टार कोई और नहीं बल्कि भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी (Sophia Qureshi) थीं, जिनका नाम अब देश की हर जुबान पर है।
Sophia Qureshi: नाम नहीं, अब एक प्रतीक है वतनपरस्ती का
सोफिया कुरैशी का नाम सामने आते ही सोशल मीडिया पर तारीफों की बाढ़ आ गई। ट्विटर (अब एक्स) पर एक यूज़र ने लिखा, “भारतीय सेना का कोई धर्म नहीं होता – नाम याद रखिए, कर्नल सोफिया कुरैशी।” एक अन्य यूज़र ने लिखा, “गुजरात की मुस्लिम महिला अफसर ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है, हमें ऐसे भारत पर नाज़ है।”
कर्नल सोफिया कुरैशी ने उस घड़ी में प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया जब देश का गर्व आसमान छू रहा था। उनके साथ वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री भी मौजूद थे। लेकिन जिनकी मौजूदगी सबसे ज़्यादा असर छोड़ गई, वो थीं कर्नल सोफिया कुरैशी।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी: वो नाम जो इतिहास में दर्ज हो गया
सोफिया कुरैशी मूल रूप से गुजरात के वडोदरा की रहने वाली हैं। उनका जन्म 1981 में हुआ था। बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली सोफिया हमेशा से ही सेना के लिए समर्पित रहीं। उनके दादा भारतीय सेना में थे और पिता भी सेना में धार्मिक शिक्षक के रूप में सेवा दे चुके हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी का सबसे अहम फैसला तब लिया जब उन्होंने सेना की वर्दी पहनने का संकल्प लिया। और आज, वह अपने दृढ़ निश्चय का जीता-जागता उदाहरण बन गई हैं।
उनकी शादी मेकनाइज़्ड इन्फेंट्री में तैनात सेना अधिकारी मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुई और उनका एक बेटा है – समीर कुरैशी।
पहली महिला जो बनीं अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास की भारतीय कमांडर
कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम सिर्फ भारत में नहीं, अंतरराष्ट्रीय फलक पर भी जाना जाता है। 2016 में उन्होंने ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारत का नेतृत्व किया। यह भारत में आयोजित सबसे बड़ी मल्टीनेशनल मिलिट्री ड्रिल थी, जिसमें 18 देशों ने हिस्सा लिया था। सोफिया उस ड्रिल की इकलौती महिला कमांडर थीं, जिसने पुरुष प्रधान सैन्य पंक्तियों में अपनी अलग पहचान बनाई।
संयुक्त राष्ट्र में सेवा: संघर्ष क्षेत्रों में दिया मानवता का संदेश
सोफिया कुरैशी ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने कर्तव्य निभाए हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत कांगो और अन्य अफ्रीकी क्षेत्रों में छह वर्षों तक सेवा की। इस दौरान उन्होंने ceasefire मॉनिटरिंग और मानवतावादी प्रयासों में भी भागीदारी की। उनकी सेवा को यूएन ने भी सराहा और कई मौकों पर उनका नाम ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स पर चमका।
ऑपरेशन सिंदूर: दुश्मन को चीरता हिंदुस्तान का जवाब
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, शहीद हो गए थे। इस जघन्य कृत्य का जवाब भारत ने बेहद सटीक और रणनीतिक तरीके से दिया। रात के अंधेरे में भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान और POK के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय बहावलपुर भी शामिल था।
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह एक संदेश था कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा। इस मिशन में सबसे आगे थीं कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने न सिर्फ रणनीति बनाई, बल्कि हर कदम पर उसे सटीकता से लागू भी किया।
भारत ने दिया स्पष्ट संदेश: अब बर्दाश्त नहीं करेंगे आतंक
भारत सरकार ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए। पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक रिश्ते घटाए गए, SAARC वीजा एक्सेम्प्शन स्कीम के तहत सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए गए और सिंधु जल संधि की समीक्षा की जा रही है।
महिला शक्ति की मिसाल बनीं कर्नल सोफिया
कर्नल सोफिया कुरैशी की यह उपलब्धि केवल सैन्य दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय महिला के लिए प्रेरणा है। वह इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि मेहनत, समर्पण और देशभक्ति के दम पर कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
उनका एक बयान वायरल हो रहा है: “ये वर्दी पहनना मेरे लिए सिर्फ नौकरी नहीं, यह मेरा धर्म है, मेरा इमान है।” यह बात उस भावना को दर्शाती है जो आज के भारत को नया आकार दे रही है – मजहब नहीं, कर्म ही पहचान है।
देश ने देखा एक नई ‘शक्ति’ का उदय
आज जब पूरा देश कर्नल सोफिया कुरैशी को सलाम कर रहा है, तो यह याद रखना होगा कि यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था – यह उस नई सोच का प्रतिबिंब था जो भारत को आगे ले जा रही है।
भारतीय सेना अब किसी भी सूरत में पीछे हटने वाली नहीं है। और इसकी अगुवाई कर रही हैं वो महिलाएं जो अब सिर्फ घर की नहीं, देश की भी रक्षा कर रही हैं।