अमेरिका और तालिबान के बीच संघर्ष विराम:भारत की परियोजनाएं प्रभावित होंगी
अमेरिका और तालिबान के बीच संघर्ष पर विराम लगने के साथ ही अफगानिस्तान में शांति की उम्मीद की जा रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ट्वीट कर कहा है कि लंबे समय के बाद तालिबान के साथ बात बन गई है। इससे अफगानिस्तान में हिंसा रुक सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में हिंसा रोकने के लिए एक समझौते पर अमेरिका 29 फरवरी को हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता के सफल होने से भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भू राजनैतिक रूप से अहम अफगानिस्तान में तालिबान के कदम पसारने से वहां की नवनिर्वाचित सरकार को खतरा होगा और भारत की कई विकास परियोजनाएं प्रभावित होंगी।
US Secretary of State Mike Pompeo tweets,"After decades of conflict, we have come to an understanding with Taliban on a significant reduction in violence across #Afghanistan. This is an important step on a long road to peace,& I call on all Afghans to seize this opportunity." pic.twitter.com/K2w6maJLtf
— ANI (@ANI) February 21, 2020
इसके अलावा भी पश्चिम एशिया में पांव पसारने की तैयारी में लगी मोदी सरकार को बड़ा नुकसान होगा।तालिबान के साथ अमेरिका की शांति वार्ता पाकिस्तान के लिए एक फायदे का सौदा है। इसलिए इन दोनों ध्रुवों के बीच पाकिस्तानी सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई बिचौलिए का काम कर रही है। अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों के वापस जाते ही पाकिस्तान तालिबान की मदद से कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे सकता है।
तालिबान को अमेरिका के साथ बातचीत की मेज पर पाकिस्तान ही लेकर आया क्योंकि वह अपने पड़ोस से अमेरिकी फौजों की जल्द वापसी चाहता है। कतर की राजधानी दोहा में हो रही अमेरिका-तालिबान वार्ता में शामिल होने के लिए पाकिस्तान ने कुछ महीने पहले ही तालिबान के उप संस्थापक मुल्ला बारादर को जेल से रिहा किया था।
अगर अफगानिस्तान में तालिबान की जड़ें मजबूत होती हैं तो वहां की सरकार को हटाने के लिए पाकिस्तान तालिबान को सैन्य साजो-सामान मुहैया करा सकता है। क्योंकि, अफगानिस्तान की वर्तमान सरकार के साथ पाकिस्तान के संबंध सही नहीं है।
भारत पहले ही अफगानिस्तान में अरबों डॉलर के लागत वाले कई मेगा प्रोजेक्ट्स को पूरा कर चुका है और कुछ पर अभी भी काम चल रहा है। भारत ने अब तक अफगानिस्तान को लगभग तीन अरब डॉलर की सहायता दी है जिसके तहत वहां संसद भवन, सड़कों और बांध आदि का निर्माण हुआ है। वहां कई मानवीय व विकासशील परियोजनाओं पर भारत अभी भी काम कर रहा है। इस कारण अफगानिस्तान में भारत की लोकप्रियता खूब बढ़ी है।
भारत 116 सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर काम कर रहा है जिन्हें अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में क्रियान्वित किया जाएगा। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, पेयजल, नवीकरणीय ऊर्जा, खेल अवसंरचना और प्रशासनिक अवसंरचना के क्षेत्र भी शामिल हैं। भारत काबुल के लिये शहतूत बांध और पेयजल परियोजना पर भी काम कर रहा है।