चीन ने कैलाश-मानसरोवर के पास सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल को तैनात किया
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव अभी जारी है। दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने खड़ी हैं। कमांडर स्तर की वार्ता और राजनयिक स्तर पर चल रही बातचीत के बावजूद चीन अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है और लगातार उकसावे वाली हरकतें कर रहा है।
एलएसी पर सैन्य गतिविधियों में बढ़ोतरी करने के बाद अब चीन ने कैलाश-मानसरोवर के पास मौजूद एक झील के पास सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल को तैनात किया है।
🔴Satellite images have revealed that Kailash Mansarovar – a Hindu pilgrimage site – now looks like a war zone with heavy artillery and #Chinese military presence. #China have been enhancing military facilities, deploying surface-to-air missiles near Mount Kailash. pic.twitter.com/xAoh46r4TL
— IDU (@defencealerts) August 23, 2020
इपोक टाइम्स में छपी एक खबर में विशेषज्ञों ने बताया है कि मिसाइल की तैनाती चीन की ओर से जारी आक्रामक उकसावे का हिस्सा है, जिससे दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और जटिल हो सकता है।
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील, जिसे आमतौर पर कैलाश-मानसरोवर स्थल के रूप में जाना जाता है, चार धर्मों द्वारा पूजनीय है और भारत में सांस्कृति और आध्यात्मिक शास्त्रों से जुड़ा हुआ है।
हिंदू इस स्थल को शिव और उनकी पत्नी पार्वती का निवास मानते हैं, तिब्बती बौद्ध लोग पहाड़ को कंग रिंपोछे कहते हैं। जैन इस पहाड़ को अस्तपद कहते हैं और इसे वह स्थान मानते हैं जहां उनके 24 आध्यात्मिक गुरुओं में से प्रथम ने मोक्ष प्राप्त किया। तिब्बत के बौद्ध पूर्व धर्म बोन्स के अनुयायी इस पर्वत को आकाश की देवी सिपाईमेन का निवास स्थान बताते हैं।
भारत द्वारा एलएसी पर पीछे हटने से इंकार करने के बाद चीन ने इस मिसाइल को उस पवित्र स्थल पर लगाया गया है, जो गंगा नदी की सहायक चार अंतर-नदियों (सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णालीका) का उद्गम स्थल है।
लंदन बेस्ड थिंक टैंक ब्रिज इंडिया में जियोपॉलिटिकल विशेषज्ञ और लेखक प्रियजीत देबसरकार ने इपोक टाइम्स को ईमेल पर बताया, ‘मेरी नजर में यह भारत के खिलाफ चीन की उकसावे की कार्रवाई का हिस्सा है
जो एलएसी पर लद्दाख से पूर्वी और मध्य सेक्टर में दिख रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘तिब्बत में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल की तैनाती से हैरानी नहीं होनी चाहिए। यह शुद्ध रूप से अधिनायकवादी अस्थिरता और भारत को उकसाने के लिए है, जिसने चीनी खतरे और आक्रामकता के सामने पीछे हटने से इनकार कर दिया है।’
वॉशिंगटन बेस्ड ह्यूस्टन इंस्टीट्यूट इनिशिटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया की डायरेक्टर अपर्णा पांडे ने कहा कि चीन धर्म और संस्कृति में विश्वास और उनका सम्मान नहीं करता है।