Cooperation Revolution: अमित शाह ने लॉन्च की ‘सहकारी इंटर्न योजना’, ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर भारत का मजबूत कदम
Cooperation Revolution भारत में सहकारिता के क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) की 91वीं आम परिषद की बैठक में ‘सहकारी इंटर्न योजना’ की शुरुआत की। यह योजना सहकारिता के सिद्धांतों को बढ़ावा देने और ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
क्या है सहकारी इंटर्न योजना?
यह योजना सहकारी संस्थानों जैसे राज्य और जिला सहकारी बैंकों, पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों) और अन्य सहकारी संगठनों के साथ तालमेल बिठाने में मदद करेगी। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) इसका क्रियान्वयन करेगा, जिससे युवा प्रतिभाओं को सहकारी क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा।
इस योजना का उद्देश्य सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण विकास को गति देना, नए विचारों को लागू करना, और सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करना है।
सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव
इस बैठक में अमित शाह ने सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए एक सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह विश्वविद्यालय सहकारिता के लिए क्षमता निर्माण में मदद करेगा और सहकार से समृद्धि के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सहकारिता के माध्यम से करोड़ों किसानों और ग्रामीण नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सहकारिता और आत्मनिर्भर भारत का संबंध
अमित शाह ने इस मौके पर कहा कि सहकारिता आंदोलन न केवल देश के नागरिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर रहा है, बल्कि यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है। एनसीडीसी इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है और सहकारी क्षेत्र को सशक्त करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है।
उन्होंने कहा, “देश की लाखों सहकारी समितियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और समाज के विभिन्न वर्गों की आजीविका सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।”
श्वेत क्रांति 2.0: पूर्वोत्तर राज्यों पर विशेष ध्यान
गृह मंत्री अमित शाह ने श्वेत क्रांति 2.0 के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में दुग्ध सहकारी संघों को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और एनसीडीसी से इस दिशा में मिलकर काम करने और वित्तीय सहायता प्रदान करने का आह्वान किया।
अमित शाह ने कहा, “दुग्ध सहकारी संघों की स्थापना से महिलाओं और आदिवासी समुदायों को सशक्त करने में मदद मिलेगी।”
नई तकनीकों और सहकारिता का मेल
आधुनिक तकनीक के सहकारिता के क्षेत्र में उपयोग पर जोर देते हुए, अमित शाह ने एक ऐप आधारित कैब कोऑपरेटिव सोसाइटी सेवा की स्थापना का सुझाव दिया। यह सेवा न केवल ड्राइवरों की आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि सीधे लाभ उनके पास पहुंचने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों को राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के माध्यम से एकीकृत किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार होगा।
चीनी उद्योग में सुधार की योजनाएं
चीनी उद्योग की वित्तीय क्षमता को बढ़ाने के लिए अमित शाह ने एक पांच-वर्षीय व्यापक योजना तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों की फंडिंग को 25,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने की जरूरत है।
इससे न केवल चीनी उद्योग की स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा।
सहकारी आंदोलन का भविष्य
सहकारिता को ग्रामीण विकास और आर्थिक सुधार का अहम माध्यम बताते हुए अमित शाह ने कहा कि सहकारी आंदोलन के जरिये भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने सहकारी समितियों को हर स्तर पर सशक्त करने की बात कही और उन्हें ग्रामीण भारत में बदलाव का मजबूत उपकरण बताया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान
भारत में सहकारिता का यह नया मॉडल न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक मिसाल बनेगा। सरकार का लक्ष्य है कि सहकारिता के माध्यम से भारत को एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभारा जाए।
सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाना, महिलाओं और आदिवासी समुदायों का सशक्तिकरण, और आर्थिक विकास सुनिश्चित करना इस योजना का मूल उद्देश्य है। ‘सहकारी इंटर्न योजना’ और अन्य पहलें भारत में सहकारिता की नई परिभाषा गढ़ने का काम करेंगी।