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Delhi कोचिंग सेंटर की त्रासदी: छात्रों की मौत से उठे गंभीर सवाल

Delhi के ओल्ड राजेंद्र नगर में शनिवार शाम को हुई भारी बारिश के बाद एक कोचिंग सेंटर की इमारत के बेसमेंट में पानी भर गया। इस हादसे में तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना ‘राव आईएएस स्टडी सेंटर’ में हुई, जहां सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करवाई जाती थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने न केवल छात्रों और उनके परिवारों को गहरे शोक में डाल दिया है, बल्कि दिल्ली सरकार और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटनास्थल पर अधिकारियों की लापरवाही

दिल्ली अग्निशमन विभाग (डीएफएस) के अनुसार, जलभराव की सूचना उन्हें शनिवार शाम करीब सात बजे मिली। घटनास्थल पर पहुंची ‘आप’ सांसद स्वाति मालीवाल ने सरकार और प्रशासन पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि 12 घंटे से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद न तो दिल्ली सरकार का कोई मंत्री, न ही MCD का मेयर, और न ही कोई अधिकारी मौके पर पहुंचे। मालीवाल ने इसे केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि हत्या करार दिया और दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की।

बीजेपी का आक्रोश

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह त्रासदी नहीं, बल्कि हत्या है। बेसमेंट में लाइब्रेरी कैसे चल रही थी? पहले जो जांच बैठाई गई थी, उसका क्या हुआ?” सचदेवा ने कहा कि ये छात्र देश का भविष्य हैं और दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है। उन्होंने नाले की सफाई की मांग को अनदेखा करने के लिए सरकार की आलोचना की और कहा कि केजरीवाल की सरकार ने पूरी दिल्ली को बर्बाद कर दिया है।

एमसीडी का बयान

एमसीडी सुपरवाइजर ऋषिपाल ने कहा कि राहत और बचाव का काम लगभग पूरा हो चुका है और बेसमेंट में अब केवल 3-4 इंच पानी बचा है। एमसीडी ने सभी मशीनें लगा दी हैं और बेसमेंट समेत पूरी इमारत को खाली कर दिया गया है।

दिल्ली सरकार की असफलता

इस घटना ने दिल्ली सरकार की प्रशासनिक विफलताओं को उजागर किया है। छात्रों की सुरक्षा और बुनियादी ढांचे की अनदेखी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां सरकार विभिन्न योजनाओं और विकास कार्यों का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं उनकी कार्यप्रणाली की पोल खोल देती हैं।

कोचिंग सेंटर की भूमिका

कोचिंग सेंटर भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। बेसमेंट में लाइब्रेरी चलाने की अनुमति कैसे मिली? क्या सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था? इन सवालों का उत्तर देना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

सरकार की नाकामी और राजनीति

इस घटना के बाद जिस तरह से राजनीतिक बयानबाजी शुरू हुई, उसने सरकार की नाकामी को और भी स्पष्ट कर दिया। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए, लेकिन असल में दोषी कौन है, इसका निर्णय जनता को ही करना होगा। आम आदमी पार्टी की सरकार पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि वे केवल राजनीति में ही रुचि रखते हैं, जबकि जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाते।

छात्रों की मौत का सामाजिक प्रभाव

इस त्रासदी का प्रभाव केवल उन परिवारों तक सीमित नहीं है जिन्होंने अपने बच्चों को खो दिया, बल्कि यह समाज के हर उस वर्ग को प्रभावित करता है जो अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए कोचिंग सेंटर भेजता है। छात्रों की मौत ने शिक्षा के प्रति हमारे दृष्टिकोण और हमारी प्रशासनिक व्यवस्थाओं की विफलताओं को उजागर किया है।

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर की इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे शहर की व्यवस्था कितनी लचर है। सरकार की नाकामी, प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने इस त्रासदी को और भी गंभीर बना दिया है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और दोषियों को सख्त सजा मिले। इसके लिए न केवल सरकार और प्रशासन को बल्कि समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा।

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