Iran-Israel conflict: क्या अब जंग टालना मुमकिन नहीं?
Iran-Israel conflict ईरान और इजरायल के बीच तनाव अब अपने चरम पर पहुंच गया है। हाल ही में ईरान ने इजरायल पर 200 बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों से हमला कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। यह हमला मंगलवार की रात को हुआ, जब ईरान ने इजरायल के विभिन्न हिस्सों पर मिसाइलों की बरसात की। ईरान का दावा है कि उसकी 90% मिसाइलें अपने लक्ष्यों पर सटीक प्रहार करने में सफल रहीं। वहीं, इजरायल ने इस हमले के जवाब में करारा जवाब देने का आश्वासन दिया है।
मिसाइल हमला: इजरायल की तैयारी ने टाल दी बड़ी तबाही
ईरान के इस हमले से बड़े पैमाने पर तबाही की आशंका थी, लेकिन इजरायल ने पहले से ही कुछ एहतियाती कदम उठाए थे। नेतन्याहू की सरकार को हमले की पूर्व सूचना मिल चुकी थी, जिसके चलते इजरायल ने हमले से पहले ही अपनी सुरक्षा तैयारियों को पुख्ता कर लिया था। यही कारण है कि मिसाइलों के बावजूद इजरायल में जानमाल का भारी नुकसान नहीं हुआ। इजरायल ने कई इलाकों में पहले ही पाबंदियां लागू कर दी थीं और नागरिकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए थे।
इजरायल ने कार्मेल, वादी अरा, मेनाशे, सामरिया, शेरोन, डैन, यारकोन, शेफला, जेरूसलम और शफेला जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए थे। सुरक्षा की दृष्टि से, शैक्षणिक गतिविधियों और सार्वजनिक समारोहों को भी सीमित कर दिया गया था। ओपन एरिया में 30 से अधिक लोगों को इकट्ठा होने पर प्रतिबंध था, और बंद जगहों में अधिकतम 300 लोगों की उपस्थिति की अनुमति थी। इन सुरक्षा उपायों ने हमले के प्रभाव को काफी हद तक कम कर दिया।
इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट की बैठक
मंगलवार को दोपहर में ही इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट की एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी। इसमें हमले से निपटने की रणनीति पर चर्चा की गई। इजरायल को यह पता चल गया था कि ईरान बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है, जिनका प्रभाव अत्यंत विनाशकारी हो सकता है। इन मिसाइलों की गति इतनी तेज होती है कि वे लॉन्च होने के 12 मिनट के भीतर इजरायल के लक्ष्यों तक पहुंच सकती हैं। इजरायल के सहयोगी अमेरिका ने भी इस बारे में जानकारी दी थी और हमले के पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी।
अमेरिका का समर्थन और इजरायल का पलटवार
ईरानी मिसाइल हमले के तुरंत बाद, इजरायल ने दावा किया कि उसने अधिकांश मिसाइलों को नष्ट कर दिया है। इसमें अमेरिका ने भी इजरायल का साथ दिया, जिसने अपने एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को सक्रिय कर दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद वॉर रूम में मौजूद थे और उन्होंने अमेरिकी सेना को हर संभव सहायता प्रदान करने का आदेश दिया।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले के बाद ईरान को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ईरान ने बहुत बड़ी गलती की है और उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इजरायल के इस पलटवार ने पूरे पश्चिम एशिया में एक नई अनिश्चितता को जन्म दे दिया है।
हिजबुल्लाह और हमास: ईरान के सहयोगी
ईरान का इजरायल पर यह हमला अचानक नहीं हुआ। इसके पीछे हिजबुल्लाह और हमास जैसे संगठन भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिन्हें ईरान से समर्थन मिलता है। हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह और हमास के नेता इस्माइल हानिया की मौत के बाद से ही ईरान में इजरायल के खिलाफ नाराजगी चरम पर थी। ईरान ने इस हमले को नसरल्लाह की मौत का बदला बताया है। यह स्पष्ट है कि ईरान अपने सहयोगी संगठनों को मजबूत करने और इजरायल के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार था।
इजरायल-ईरान तनाव की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ महीनों में, इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष बढ़ता गया है। उत्तरी लेबनान की सीमा पर गोलाबारी लगभग रोजमर्रा की घटना बन गई है। अक्टूबर 2023 में, हमास ने इजरायल पर अपने लड़ाकों को भेजकर हमला किया, जिसके बाद से गाजा में संघर्ष और तेज हो गया। इस दौरान इजरायल ने हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह और हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया को मौत के घाट उतारा। इसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों की बरसात कर दी, जिससे संघर्ष और गहरा हो गया।
क्या आने वाले समय में और बड़े हमले होंगे?
ईरान और इजरायल के बीच यह संघर्ष केवल एक शुरुआत है। दोनों देशों के बीच शांति की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही है। ईरान ने जिस तरह से इजरायल पर हमले किए, उससे स्पष्ट है कि आने वाले समय में और भी बड़े हमले हो सकते हैं। इसके अलावा, रूस और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों की भागीदारी ने इस संघर्ष को और जटिल बना दिया है। जहां रूस ईरान का समर्थन कर रहा है, वहीं अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है। यह संघर्ष अब केवल ईरान और इजरायल तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैलने की संभावना बनाता जा रहा है।
वैश्विक प्रभाव और पश्चिम एशिया में तनाव
ईरान और इजरायल के बीच यह ताजा संघर्ष केवल दोनों देशों तक सीमित नहीं रहेगा। इस जंग का असर पूरे पश्चिम एशिया पर होगा। लेबनान, सीरिया, इराक, और यहां तक कि यमन में भी तनाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, दुनिया की बड़ी शक्तियां जैसे अमेरिका, रूस और चीन इस जंग में अपनी-अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। वैश्विक राजनीति पर इसका गहरा असर पड़ सकता है और यह संघर्ष एक विश्वव्यापी संकट का रूप ले सकता है।
निष्कर्ष: क्या शांति की कोई संभावना बची है?
ईरान और इजरायल के बीच तनाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हाल ही में हुए मिसाइल हमले ने इस संघर्ष को और जटिल बना दिया है। जहां एक ओर इजरायल ने मिसाइलों को नष्ट करने और पलटवार की तैयारी कर ली है, वहीं दूसरी ओर ईरान भी किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। वैश्विक स्तर पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, और यह सवाल उठता है कि क्या पश्चिम एशिया में अब शांति की कोई संभावना बची है?