Afghanistan तालिबान को दी धमकी इस्लामिक स्टेट ने
इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस (ISKP) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) को बड़ी धमकी दी है. संगठन ने अपनी प्रचार पत्रिका में कहा है कि उसके लड़ाके इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान के राष्ट्रपति महल को तालिबान (Taliban) का कब्रिस्तान बना देंगे.
आईएसकेपी ने पाकिस्तान की कुछ धार्मिक संगठनों की पाकिस्तानी सेना का साथ देने के लिए की निंदा करते हुए कहा कि उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. तालिबान ने अफगानिस्तान प्रशासन के बाद अफगानिस्तान को इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान का नाम दिया था. ध्यान रहे कि इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस के एक आत्मघाती हमलावर ने पिछले सप्ताह अफगानिस्तान के बल्ख के गवर्नर कार्यालय में घुसकर गवर्नर को उड़ा दिया था.
आतंकवादी संगठन आईएसकेपी की अल अजीम मीडिया ने पश्तो भाषा में वॉइस ऑफ खुरासान का 19 वां अंक प्रकाशित किया. इस पत्रिका में कुल 90 पेज हैं. इसमें तालिबान को कड़ी चेतावनी दी गई है कि साफ तौर पर कहा गया है कि तालिबान जिस धार्मिक पहलू के जरिए शासन कर रहा है, वह पूरी तरह से गलत है.
आईएसकेपी के लड़ाके जल्द ही इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान की राष्ट्रपति महल को तालिबान का कब्रिस्तान बना देगें. आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस ने साफ तौर पर कहा है कि अर्ग में एक बार पहले भी कब्रिस्तान बन चुका है और तालिबान खुद साल 2013 में इसे कर्बिस्तान बनाने की कोशिश कर चुका है पर वह कामयाब नहीं हुआ था लेकिन आईएसकेपी के लड़ाके जल्द ही अपने मकसद में कामयाब होंगे. काबुल स्थित राष्ट्रपति के महल को आधिकारिक तौर पर अर्ग के नाम से जाना जाता हैं.
ये एक पश्तो भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है महल. काबुल स्थित महल जिसका निर्माण ब्रिटिश हुकूमत ने कराया था. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति का ऑफिशियल रेजीडेंस बना हुआ है. 2021 से यहां के चप्पे-चप्पे पर तालिबान का कब्जा है और यहां तालिबानी झंडा लहराने लगा है.
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस राष्ट्रपति महल के अंदर जिस कब्रिस्तान की बात कर रहा है वह साल 1978 में की घटना है जब वहां सौर क्रांति हुई थी और मोहम्मद दाऊद खान जो अफगानिस्तान के पांचवें प्रधानमंत्री थे उन्हें और उनके परिवार को अफगानिस्तान की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ अफगानिस्तान के सदस्यों ने अर्ग के अंदर ही मार डाला था. इस आतंकवादी संगठन के हौसले इसलिए भी बढ़े हुए हैं क्योंकि पिछले सप्ताह ही उसके एक आत्मघाती हमलावर ने अफगानिस्तान के एक गवर्नर को उसके कार्यालय में घुसकर मार दिया था.
आईएसकेपी, तालिबान से इसलिए बेहद नाराज है क्योंकि उसके शासनकाल में उसके कई बेहतरीन लड़ाके तालिबान के हाथों मारे गए हैं. वॉइस ऑफ खुरासान मैगजीन के इस अंक में उसने खैबर पख्तूनख्वा के दीर इलाके के एक आईएसकेपी सदस्य अब्दुल्ला अदेल के बारे में भी जानकारी दी है जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से आईएसकेपी में आया था और वह आईएसकेपी के लिए अनेक बार लड़ा लेकिन बाद में तालिबान शासन आने पर तालिबान के लड़ाकों ने उसकी पहचान कर उसे मार गिराया.