तालिबानी हिरासत में दानिश सिद्दीकी की लाश विकृत, कई चोटों के निशान
पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करने वाले भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की लाश तालिबान की हिरासत में बुरी तरह विकृत पाई गई थी। यह जानकारी इसी हफ्ते अफसरों की ओर से दी गई। मौके से आई शुरुआती तस्वीरों में उनके शव पर कई चोटों के निशान भी नजर आए।
अमेरिकी अखबार “दि न्यू यॉर्क टाइम्स” (एनवाईटी) ने दो भारतीय अधिकारियों और वहां दो अफगानी स्वास्थ्य अफसरों के हवाले से बताया कि शाम को जब भारतीय पत्रकार का मृत शरीर रेड क्रॉस को सौंपा गया और कंधार के एक अस्पताल में शिफ्ट किया गया, तब वह बुरी तरह से विकृत पाया गया था।
अखबार ने कई फोटोज को देखा-परखा, जो कि उसे भारतीय अफसरों और अफगानी स्वास्थ्य अधिकारियों से मिले थे। एक भारतीय अफसर ने एनवाईटी को बताया कि सिद्दीकी की लाश पर दर्जन भर के आसपास तो गोलियों के जख्म थे, जबकि चेहरे और सीने पर टायर के निशान थे।
कंधार के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मृत शरीर शहर के मुख्य अस्पताल में रात आठ बजे के करीब उसी दिन (जिस दिन जान गई थी) लाया गया था। अफसर के अनुसार, दानिश का चेहरा तो पहचानने लायक भी नहीं था। यह तक पता नहीं लग पा रहा था कि आखिरकार लाश के साथ किया क्या गया है।
वैसे, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि हो सकता है कि तालिबान ने सिद्दीकी को जिंदा पकड़ा और फिर हत्या कर दी हो। हालांकि, इस तरह की खबरों की पुष्टि नहीं की जा सकती है। मगर एक भारतीय अफसर ने यह बताया कि सिद्दीकी के मृत शरीर पर चोट के जो निशान हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि उन्हें करीब से गोली मारी गई।
वहीं, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद की ओर से सफाई में कहा गया कि कुछ भी गलत नहीं हुआ है। वह बोले कि उन्हें लाशों को सम्मान के साथ व्यवहार करने और उन्हें स्थानीय बुजुर्गों या रेड क्रॉस को सौंपने का आदेश दिया गया था।
दरअसल, 16 जुलाई, 2021 को अफगानिस्तान और तालिबान के बीच हुई हिंसक झड़प के दौरान दानिश की जान चली गई थी। यह घटना परिस्थितिजन्य थी या फिर कुछ और? यह फिलहाल आधिकारिक तौर पर स्पष्ट नहीं है। बता दें कि 38 साल के सिद्दीकी मूलरूप से दिल्ली के रहने वाले थे और उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ाई की थी।