Kupwara Attack: भारतीय सेना की वीरता और मोहित राठौर के बलिदान की कहानी
जम्मू कश्मीर के Kupwara Attack में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान हुए मोहित राठौर (25) हर आंख को नम कर गए। जब मोहित के बलिदान की सूचना गांव सभानगर के लोगों को पता चली तो हर कोई सांत्वना देने उनके घर पहुंच गया। पिता नत्थू सिंह राठौर का कहना है कि उन्हें अपने इकलौते बेटे को खोने का दुख है, लेकिन उनका बेटा जांबाज सिपाही था। गर्व है कि उसने सबसे आगे जाकर एक आतंकवादी को मार गिराया। वहीं दो दिन पहले फोन पर हुई बातचीत को याद कर पत्नी रुचि फफक-फफक कर रो रही हैं।
सभानगर गांव निवासी मोहित राठौर 2017 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे। करीब दो साल पहले ही रुचि से उनकी शादी हुई थी। उनके कोई संतान नहीं है। बृहस्पतिवार को उनकी पत्नी से मोबाइल फोन पर बात हुई थी। तब रुचि ने कहा था कि वह छुट्टी लेकर घर आ जाएं, लेकिन उन्होंने अभी घर आने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह नवंबर में आएंगे। तभी अपनी छोटी बहन पूजा के लिए बरेली में लड़का देखने जाएंगे। उन्होंने बरेली में अपनी बहन के लिए फौजी ही वर देखा था। मोहित की दो बड़ी बहनों रजनी और नीतू की शादी हो चुकी है। नीतू के पति उपेंद्र भी सेना में हैं। गांव में जैसे ही उनके बलिदान होने की खबर आई तो लोग मोहित राठौर की बहादुरी से जुड़ी यादों पर चर्चा करते दिखे और सांत्वना देने के लिए उनके घर पहुंचे।
देर रात मोहित राठौर की पत्नी रुचि की हालत बिगड़ गई। उसे इस्लामनगर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। दातागंज के विधायक राजीव कुमार सिंह भी मौके पर पहुंचे। परिजनों से मिले और कहा कि राज्य सरकार की संवेदना परिवार के साथ है। हर संभव सहयोग मिलेगा।
भारतीय सेना की वीरता
सुरक्षाबलों ने कुपवाड़ा के माच्छिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बैट हमले को नाकाम कर एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया है। हमले में शामिल दो अन्य आतंकी घने अंधेरे का फायदा उठाकर पीओके भाग निकलने में सफल रहे। हमले में एक जवान भी बलिदान हो गया। जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) कैप्टन सहित चार जवान घायल बताए जा रहे हैं। सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया है और सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारतीय सेना कितनी सशक्त और सजग है। हमारे जवान हमेशा देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं और हर मुश्किल परिस्थिति में अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटते। मोहित राठौर और उनके साथी जवानों की वीरता को सलाम है।
बढ़ते आतंकवाद की चुनौती
भारत में आतंकवाद एक गंभीर समस्या बन चुका है। पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकवादी संगठन लगातार हमारे देश की सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। कुपवाड़ा में हुए इस हमले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आतंकवादियों के इरादे कितने खतरनाक हैं।
पाकिस्तान की आतंकवादी फैक्टरी
पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को समर्थन और पोषण देता आ रहा है। वहां की धरती पर कई आतंकी संगठन खुलेआम अपनी गतिविधियाँ चला रहे हैं। इन संगठनों को पाकिस्तान सरकार और सेना का अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त होता है। वे भारत में आतंकवादी हमले करने के लिए प्रशिक्षित आतंकियों को भेजते हैं।
भारतीय सेना की तैयारी
भारतीय सेना ने हमेशा ही आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दिया है। सेना की तत्परता और सशक्त कार्रवाई से आतंकवादी हमलों को नाकाम किया गया है। सेना की मजबूत किलेबंदी और आधुनिक हथियारों से लैस होने के कारण आतंकवादी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाते।
नैतिक जिम्मेदारी
ऐसी घटनाओं से हमें यह सीखने की जरूरत है कि हमारी नैतिक जिम्मेदारी क्या है। हमें अपने सैनिकों के बलिदान का सम्मान करना चाहिए और उनके परिवारों को हर संभव मदद प्रदान करनी चाहिए। सरकार को भी सैनिकों के परिवारों की सुरक्षा और उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
शिक्षा और जागरूकता
बढ़ते आतंकवाद से निपटने के लिए शिक्षा और जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है। हमारे युवाओं को यह समझाना आवश्यक है कि आतंकवाद किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि देश की सेवा करने का सबसे बड़ा माध्यम सेना में शामिल होकर देश की रक्षा करना है।
Kupwara Attack में हुए हमले में मोहित राठौर और उनके साथी जवानों का बलिदान हमारे लिए एक प्रेरणा है। उनकी वीरता और देशभक्ति को सलाम करते हुए हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम हमेशा अपने देश की सुरक्षा के लिए तैयार रहेंगे। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। सेना की मजबूत किलेबंदी और हमारे जवानों की वीरता के कारण ही हम अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
हमारे देश के वीर जवानों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनकी यादें हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी और हम उनके अदम्य साहस और वीरता को हमेशा नमन करते रहेंगे। कुपवाड़ा हमले में बलिदान हुए जवानों के प्रति हमारी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि।
इस घटना से हमें यह भी सिखना चाहिए कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और देश की सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए। देश की सुरक्षा केवल सेना की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश की रक्षा के लिए तत्पर रहे।