Muzaffarnagar चरथावल में दहशत की रात: रोनी हाजीपुर–बिरालसी के बीच खेत में दिखा तेंदुआ, एक महीने से मंडरा रहा खतरा! ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग पर लापरवाही के आरोप
Muzaffarnagar चरथावल क्षेत्र में leopard spotted होने की खबर ने देर रात ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ा दीं। रोनी हाजीपुर और बिरालसी गांवों के बीच स्थित नसीब सिंह के सरसों के खेत में एक तेंदुआ दिखाई देने से इलाके में अफरा-तफरी फैल गई।
रात करीब 10:30 बजे, ग्रामीणों ने तेंदुए को सड़क किनारे शांत मुद्रा में बैठे देखा। खेत की ओर से आती हल्की रोशनी और वाहनों की हेडलाइट में तेंदुआ स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया।
दो वाहनों की रोशनी में दिखा तेंदुआ—ग्रामीण और पुलिस 112 टीम बने प्रत्यक्षदर्शी
जानकारी के अनुसार, बिरालसी से लौट रहे कुछ ग्रामीणों ने जैसे ही सड़क किनारे झाड़ियों में हलचल देखी, उन्होंने तुरंत 112 पुलिस वाहन को इशारा कर बुलाया।
जब दोनों वाहनों की हेडलाइट एक साथ खेत की ओर डाली गईं, तब तेंदुआ बिल्कुल साफ नज़र आया, जो सरसों के पौधों के बीच बैठा हुआ था।
ग्रामीणों ने बताया कि तेंदुआ कुछ देर तक वहीं बैठा रहा और जब आवाज़ें बढ़ीं, तो धीरे-धीरे खेत के अंदर गायब हो गया।
यह दृश्य देखकर ग्रामीणों में जंगल से भटके इस जंगली शिकारी को लेकर दहशत फैल गई।
भाकियू नेता विकास शर्मा का दावा—“यह तेंदुआ पिछले एक महीने से इलाके में घूम रहा है”
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के विकास शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में तेंदुआ कोई नई बात नहीं।
उन्होंने कहा—
“यह तेंदुआ पिछले एक महीने से इसी इलाके में घूम रहा है। हम कई बार वन विभाग को सूचित कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यह विभाग की गंभीर लापरवाही है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो किसी बड़े हादसे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
किसान रात में खेतों में काम करने से डर रहे हैं और पशुओं को भी बाहर चरने ले जाने में संकोच कर रहे हैं।
ग्रामीणों की चिंता—“कहीं यह मादा तेंदुआ न हो, आसपास बच्चे भी हो सकते हैं”
स्थानीय लोगों ने आशंका व्यक्त की है कि यह मादा तेंदुआ हो सकती है।
अगर ऐसा है, तो उसके शावक भी आसपास मौजूद हो सकते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
ग्रामीणों का मानना है कि यही कारण है कि तेंदुआ पिछले कई दिनों से इसी इलाके में घूमता दिखाई दे रहा है और शायद सुरक्षित ठिकाना तलाश रहा है।
कई किसानों ने बताया कि बीते दिनों उन्होंने खेतों में जानवरों की असामान्य आवाजें सुनी थीं और कई स्थानों पर पंजों जैसे निशान भी देखे गए थे।
वन विभाग पर गंभीर सवाल—“सूचना देने के बाद भी कोई टीम नहीं आई”
ग्रामीणों ने वन विभाग पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
उनका कहना है कि—
बार-बार सूचना देने के बाद भी
कई बार फोन करने के बावजूद
तेंदुए की गतिविधियों के वीडियो और तस्वीरें भेजने के बावजूद
वन विभाग की कोई भी टीम मौके पर नहीं पहुंची।
इस वजह से गांवों में भय का माहौल है, खासकर देर रात खेतों की ओर कोई नहीं जा रहा।
भाकियू नेता विकास शर्मा ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वन विभाग स्थिति को हल्के में लेता रहा, तो आगामी दिनों में ग्रामीण खुद सुरक्षा कदम उठाने को मजबूर हो सकते हैं।
गांवों में रात की चौकसी बढ़ी—ग्रामीणों ने ढोल, टॉर्च और बाइक गश्त शुरू की
तेंदुए की बढ़ती हलचल को देखते हुए ग्रामीणों ने अपनी स्वयं की सुरक्षा व्यवस्था शुरू कर दी है।
कई गांवों में रात के समय ढोल या थालियों से आवाज़ कर जंगली जानवरों को दूर भगाने की कोशिश की जा रही है।
कुछ युवक टॉर्च लेकर खेतों की ओर गश्त कर रहे हैं।
बाइक पर चार–चार लोग मिलकर रात में पहरा दे रहे हैं।
इन सबका उद्देश्य सिर्फ एक है—
किसी भी अप्रिय घटना को रोकना और लोगों को तेंदुए की अचानक मौजूदगी से सुरक्षित रखना।
जंगली जानवरों की बढ़ती गतिविधियाँ—चरथावल और आसपास के क्षेत्र में पहले भी देखे गए निशान
चरथावल क्षेत्र में जंगली जानवरों की गतिविधियाँ नई नहीं हैं। पिछले साल भी कुछ गांवों में जंगली बिल्ली और चमकदार आंखों वाले किसी बड़े जानवर को रात में देखा गया था।
स्थानीय लोगों का मानना है कि आसपास जंगल और नहरों की पटरी से तेंदुए जैसे वन्य जीव रास्ता भटककर कृषि क्षेत्रों में आ जाते हैं।
हालांकि इस बार स्थिति अधिक गंभीर इसलिए है क्योंकि तेंदुआ
लगातार दिखाई दे रहा है
एक ही क्षेत्र में बना हुआ है
रात के समय सड़क और खेतों के पास घूम रहा है
यह ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
ग्रामीणों की मांग—तुरंत खोज अभियान चलाकर तेंदुए को पकड़ें
ग्रामीणों ने वन विभाग से स्पष्ट मांग की है कि तत्काल
विशेषज्ञ वनकर्मियों की टीम भेजी जाए
पिंजरे लगाए जाएँ
ड्रोन या थर्मल कैमरों से इलाके की निगरानी बढ़ाई जाए
गांवों को अलर्ट नोटिस जारी किया जाए
उनका कहना है कि leopard spotted होने की घटनाएँ आम नहीं होतीं और प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

