Manipur Violence: असफल सरकार, जातीय संघर्ष, और बेबस जनता की आवाज़, ड्रोन से किया गया हमला?
मणिपुर में जारी हिंसा (Manipur Violence) ने एक बार फिर पूरे देश को हिला कर रख दिया है। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच का संघर्ष अब एक ऐसी स्थिति में पहुँच चुका है, जहाँ निर्दोष लोगों की जान जा रही है, और राज्य सरकार इसे नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रही है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा कुकी समुदाय के लिए अलग प्रशासन की मांग को ठुकराने के बाद हिंसा का फिर से भड़कना राज्य सरकार की नाकामी की एक और बानगी है।
मणिपुर में हिंसा (Manipur Violence) का इतिहास और उसके कारण
मणिपुर में हिंसा की जड़ें गहरी हैं, जो दशकों पुरानी हैं। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव, राज्य में समान नागरिक अधिकारों और संसाधनों की मांग, और राजनीतिक अस्थिरता ने इस हिंसा को बढ़ावा दिया है। मई 2023 से यह संघर्ष तेज़ हुआ, जब मैतेई समुदाय और कुकी जनजातियों के बीच जातीय आधार पर टकराव हुआ। यह संघर्ष ना सिर्फ जातीय तनाव का प्रतीक है, बल्कि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
राज्य सरकार की विफलता
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने बार-बार यह दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन घटनाएँ कुछ और ही कहानी बयां करती हैं। राज्य सरकार की ओर से कुकी समुदाय की मांगों को अनदेखा करना, और संवाद की कमी इस हिंसा को और बढ़ावा देने वाले कारकों में से एक है। सरकार की असफलता का एक और उदाहरण हाल ही में हुई घटना है, जिसमें एक महिला की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। इस प्रकार की घटनाएँ बार-बार हो रही हैं और राज्य सरकार उन्हें रोकने में असमर्थ नजर आ रही है।
कुकी और मैतेई समुदाय के बीच तनाव
कुकी और मैतेई समुदायों के बीच का संघर्ष एक गहरे सांप्रदायिक और जातीय विभाजन का परिणाम है। कुकी जनजाति राज्य में अपने अधिकारों की मांग कर रही है, जबकि मैतेई समुदाय इस पर आपत्ति जता रहा है। यह संघर्ष अब इतने उग्र रूप में पहुंच चुका है कि दोनों समुदायों के बीच बातचीत की सभी संभावनाएँ समाप्त हो चुकी हैं। इसका परिणाम यह है कि निर्दोष लोगों की जान जा रही है, और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
आतंकवाद और चरमपंथ की भूमिका
मणिपुर में बढ़ती हिंसा (Manipur Violence) के पीछे एक बड़ा कारण आतंकवाद और चरमपंथ है। कुकी उग्रवादियों द्वारा महिला की हत्या और मैतेई द्वारा उनके गांवों पर गोलीबारी करना इस संघर्ष के उग्र रूप को दर्शाता है। राज्य में आतंकवादी संगठनों की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, और यह राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
पुलिस और सेना की भूमिका
मणिपुर में शांति बहाल करने की कोशिश में पुलिस और सेना की भूमिका महत्वपूर्ण है। हालांकि, उन्हें भी इस संघर्ष में निशाना बनाया जा रहा है। हाल ही में हुई घटना में दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। सेना और अर्धसैनिक बलों को राज्य में तैनात किया गया है, लेकिन उनके प्रयास अभी तक प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।
केंद्र सरकार की भूमिका
केंद्र सरकार ने मणिपुर में हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन उनकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। राज्य सरकार के साथ केंद्र की संवादहीनता और हिंसा पर नियंत्रण पाने में नाकामी ने केंद्र सरकार की भूमिका को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय ने शांति बहाली के प्रयास किए हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके प्रयास पर्याप्त नहीं हैं।
निर्दोष लोगों की हत्याएँ
मणिपुर में हो रही हिंसा में निर्दोष लोगों की जान जा रही है। हाल ही में हुई घटना में एक 31 वर्षीय महिला की मौत हो गई, और उसकी 6 वर्षीय बेटी घायल हो गई। इस प्रकार की घटनाएँ राज्य में फैल रही नफरत और असुरक्षा का प्रमाण हैं। निर्दोष लोगों का मारा जाना यह दर्शाता है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।
बाहरी इलाकों में नई हिंसा की घटना में एक महिला की मौत हो गई और चार अन्य लोग घायल हो गए हैं. इस घटना के बाद सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है.रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ताजा हिंसा में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, हालांकि उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है. गोलीबारी की शुरुआत रविवार दोपहर 2:35 बजे कांगपोकपी के नखुजंग गांव के पास कडंगबंद में हुई.
कडंगबंद इलाके के निवासियों का दावा है कि एक ड्रोन से एक घर पर “बम” गिराया गया है. लोगों ने कथित तौर पर ड्रोन से बम गिराए जाने के वीडियो भी साझा किए, जिनमें लोग अपनी जान बचाने के लिए भागते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि, इन वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है.
इस हमले में 31 वर्षीय नगामबम सुरबाला की मौत हो गई. उन्हें इम्फाल के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित किया गया. इस हमले में उनकी 6 वर्षीय बेटी भी घायल हो गई, जिसके दाहिने हाथ में गंभीर चोट आई है.
पुराना वीडियो और उसकी सामाजिक प्रतिक्रिया
कुछ समय पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें महिलाओं की परेड करवाई जा रही थी। इस वीडियो ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था। इस घटना ने मणिपुर में हो रही हिंसा की भयावहता को और उजागर कर दिया। इस प्रकार के वीडियो और घटनाएँ राज्य में सामाजिक ताने-बाने को पूरी तरह से तोड़ने का काम कर रही हैं।
सामाजिक प्रभाव और आगे का रास्ता
मणिपुर की हिंसा का समाज पर गहरा असर पड़ा है। लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, और सांप्रदायिक तनाव बढ़ता जा रहा है। इस हिंसा ने राज्य के विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास और नफरत को बढ़ा दिया है। सरकार और समाज को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। समाज में शांति और भाईचारा स्थापित करने के लिए सभी पक्षों को संवाद के माध्यम से समाधान निकालने की दिशा में काम करना होगा।
मणिपुर में जारी हिंसा राज्य सरकार की विफलता, जातीय संघर्ष और आतंकवाद का नतीजा है। इस हिंसा को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों को मिलकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। निर्दोष लोगों की जान की कीमत पर यह संघर्ष नहीं चल सकता। समाज में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा।

